Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/delhi-flood-anna-nagar-basti-who-office.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | “सरकार को डब्ल्यूएचओ की चिंता है, जबकि उसकी वजह से हमारे घर गिरे” | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

“सरकार को डब्ल्यूएचओ की चिंता है, जबकि उसकी वजह से हमारे घर गिरे”

-न्यूजलॉन्ड्री,

“झुग्गी-झोपड़ी वालों को इंसान ही ना समझ रहे, बताओ हम कहां जांएगे...अब कहां है मोदी और केजरीवाल, जो झुग्गीवालों को पक्के मकान देने के वादे कर रहे थे. ये सब डब्ल्यूएचओ का करा-धरा है, और कोई भी इसके खिलाफ बोल ना रहा. हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. जब तक हमारी तरफ काम नहीं शुरू होगा इनका काम भी हम नहीं होने देंगे.”

ये आरोप बुधवार को आईटीओ के पास अन्ना नगर कॉलोनी के उन आक्रोशित लोगों ने सरकार और डब्ल्यूएचओ पर लगाए जिनके घर पिछले हफ्ते हुई तेज बारिश से नाले में बह गए थे. अपनी अनदेखी से नाराज रेखा रानी, शीला, विशाल, मंजीत, टिम्मी, माया, नीलम, भूरा, शफीक, राजवती, मुन्नी देवी, सतवीर सहित क़ॉलोनी के सैकड़ों महिला-पुरुषों ने डब्ल्यूएचओ के निर्माणाधीन मुख्यालय के पास आकर हंगामा किया और आरोप लगाते हुए डब्ल्यूएचओ का काम रुकवा दिया.

यहां के निवासियों का आरोप है कि निर्माणाधीन डब्ल्यूएचओ मुख्यालय के बेसमेंट की खुदाई के कारण नाले के पानी का बहाव रुक गया इससे पास में गड्ढ़ा बन गया जिसमें नाले के पास के करीब 10 मकान समा गए. इनमें से 6 परिवार ऐसे हैं जिनके पास अब सिर्फ पहने हुए कपड़े ही बचे हैं.

स्थानीय निवासियों में सरकार और नगर निगम के खिलाफ आक्रोश है कि मकान खोने और सील होने के बावजूद अभी भी उनकी अनदेखी की जा रही है और उनकी समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है. इस बीच कई राजनीतिक दलों के नेता भी उनसे मिलने पहुंचे और उन्हें सहायता का आश्वासन दिया लेकिन अभी तक कोई मदद नहीं मिल पाई है.

बीते रविवार को दिल्ली में हुई तेज बारिश से आईटीओ के नजदीक,स्थित झुग्गी बस्ती अन्ना नगर में 10 मकान नाले में ढह गए थे. इसका वीडियो काफी वायरल हुआ था. अचानक आई इस आफत में लोग किसी तरह अपने घरों से बचकर निकल पाए, लेकिन इनका सारा कुछ घर के साथ बह गया. अच्छी बात ये रही कि इस घटना में किसी की जान नहीं गई.

एहतियातन दिल्ली सरकार और नगर निगम ने पास के कुछ और मकानों को भी खाली करवाकर सील कर दिया है. बेघर हुए इन परिवारों को अधिकारियों ने फिलहाल पास ही इंद्रप्रस्थ मेट्रो स्टेशन के निकट लगाए तंबुओं में अस्थाई शरण दी हुई है. घटना के बाद कुछ लोगों ने नजदीक के मंदिर में भी शरण ली थी.

 

अन्ना नगर बस्ती

नाले से सटी हुई इस बेहद घनी बस्ती में अधिकतर लोग मजदूरी या साफ-सफाई का काम करते हैं. अब मकान ढ़हने और खाली कराने के कारण इन्हें अपने भविष्य को लेकर चिंता है.

राजधानी दिल्ली में पिछले एक हफ्ते से बारिश हो रही है जो दिल्लीवासियों के लिए राहत के साथ-साथ आफत भी लाई है. सरकार के दावों के बावजूद, पानी निकासी की सही व्यवस्था न होने से जगह-जगह जलभराव और आवागमन की दिक्कतों का सामना लोगों को करना पड़ रहा है. केंद्रीय दिल्ली के मिंटो ब्रिज में फंसकर एक व्यक्ति की मौत भी हो चुकी है.

घटना के तीन दिन बाद जब हम अन्नानगर पहुंचे तब भी हालात बेहद बुरे थे. आईपी मेट्रो स्टेशन के पास बने फ्लाईओवर के नीचे-नीचे जब हम अन्नानगर की ओर बढ़ रहे थे तो हमें 3 दिन पहले हुए हादसे के निशान जहां-तहां दिखे. नाले में मलबा और घरेलू सामान बहता नज़र आया. लोग संकरी गलियों से चेन बनाकर निकल रहे थे. बाद में हमें पता चला कि आज भी एक मकान ढह गया है.

बेहद संकरी गलियों और दड़बेनुमा घरों के बीच बमुश्किल दो से तीन फुट चौड़ी गलियां हैं. इन्हीं गलियों में पानी के ड्रम पड़े हैं, सड़क पर कपड़े धोते लोग दिखे. कोई-कोई गली इतनी संकरी कि सामने से कोई आ जाए तो दूसलरे को रुकना पड़े. बुनियादी सुविधाओं के जबरदस्त अभाव के बीच बसी है अन्नानगर बस्ती. संसद से बमुश्किल 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह बस्ती आमतौर पर देश और दुनिया को नज़र नहीं आती.

बीच रास्तों में लोग इसी विषय पर चर्चा करने में मशगूल थे, साथ ही सरकार से बेहद नाराज भी थे. कुछ लोगों ने हमें बीच में रोककर एक पेड़ और घर दिखाया जिसकी दीवारों में दरार आ गई थी. “अब बताओ, अगर ये पेड़ गिरा तो कितनों को लेकर मरेगा,” उसने हमसे सवालिया अंदाज में कहा.

बहरहाल पूरी बस्ती पार कर हम उस स्थान पर पहुंचे जहां नाले में दस घर समा गए थे. पुलिस ने पूरे इलाके को सील किया हुआ था. मोहल्ले के लोगों का अभी भी वहां जमावाड़ा लगा हुआ था. जो इसी विषय पर चर्चा करने में व्यस्त थे. वहां हमारी मुलाकात 42 वर्षीय अनुज माया से हुई. वो बेहद उदास, एक हाथ रिक्शे पर बैठे हुए थे. अनुज भी उन लोगों में से एक हैं जिनका मकान इस नाले में ढह गया है.

थोड़ी ना-नकुर के बाद अनुज ने हमें बताया, “हमारा मकान तो आज ही इसमें गिरा है. ये डब्ल्यूएचओ ने जो बेसमेंट में खुदाई की है. उसकी वजह से यह हादसा हुआ है. एनडीआरएफ की टीम भी आई थी. लेकिन अभी कुछ सहायता नहीं मिल पाई है.”

तीन बेटियों और एक बेटे के पिता अनुज माया आईटीओ पर ‘विकास भवन’ के पास चाय की स्टाल लगाते थे. जो अब बंद है.

“अब तो काम-धाम भी कुछ नहीं है,” अनुज ने कहा.

नाले के दूसरी ओर डब्ल्यूएचओ के निर्माणाधीन मुख्यालय में नगर निगम और दूसरे अधिकारी जेसीबी, ट्रक आदि से काम कराने में व्यस्त थे.

हम जब दूसरी तरफ पहुंचे तो पानी से लबालब डब्ल्यूएचओ का निर्माणाधीन बेसमेंट नजर आया. अन्नानगर के स्थानीय निवासी इसे ही दुर्घटना का जिम्मेदार बता रहे हैं. हमने वहां मौजूद नगरनिगम के मुख्य अधिकारी से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कहा, “हमं किसी भी मीडिया वाले से बात करने की इजाजत नहीं है.” इसके बाद वे गाहे-बगाहे, कभी सुरक्षा और कभी काम का हवाला देकर, हमें वहां से जाने के लिए कहते रहे.

घटना के बाद सरकार ने पीड़ितों के पुनर्वास और खाने-पीने के इंतजाम करने की घोषणा की थी. लेकिन जमीन पर ऐसा कुछ दिखा नहीं. हम वहां मौजूद थे, तभी लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. करीब 100 की संख्या में इकट्ठा हुए ये वो लोग थे जिनके मकान या तो ढह गए हैं या फिर खाली करा दिए गए हैं.

लगभग 100 की तादाद में आए इन स्थानीय निवासियों ने डब्ल्यूएचओ का काम यह कहते हुए रुकवा दिया कि सरकार और नगर निगम हमारी अनदेखी कर रहा है और डब्ल्यूएचओ का काम करा रहा है. जब तक हमारी समस्याका समाधान नहीं हो जाता, तब तक हम इनकाकाम भी नहीं चलने देंगे. उन्होंने वहीं धरना देने की चेतावनी भी दी.

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.