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दिल्ली दंगा: पांच महीने बाद भी मुआवज़े की 700 याचिकाएं लंबित

-द वायर,

उत्तर पूर्वी दिल्ली में इस साल फरवरी महीने में हुए सांप्रदायिक दंगों के पांच महीने गुजर जाने के बाद भी अब तक 700 मुआवजा याचिकाएं लंबित पड़ी हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रशासन के पास जून के अंत तक मुआवजे के लिए लगभग 3,200 याचिकाएं आईं, जिसमें से 1,700 को मंजूरी दी गई जबकि लगभग 700 याचिकाएं अभी भी लंबित हैं.

एक अधिकारी ने बताया कि वहीं 900 से अधिक याचिकाओं को खारिज कर दिया गया. अब तक विभिन्न श्रेणियों में राहत राशि के तौर पर लगभग 20 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.

रिकॉर्डों का अवलोकन करने से पता चलता है कि दंगों के दौरान मारे गए लोगों की श्रेणी के तहत सात मामलों में नौ-नौ लाख रुपये की मुआवजा राशि नहीं दी जा सकी.

एक मामले में बैंक खाते का विवरण नहीं था, तीन मामलों में डीएनए रिपोर्ट लंबित थी, एक मामले में एफआईआर दर्ज नहीं थी और दो मामलों में दावेदार पेश नहीं हो पाए थे.

दिल्ली में 23 से 26 फरवरी के बीच हुई हिंसा में मोहसिन अली (23) की मौत हो गई थी जबकि मोहसिन की पत्नी गुलजेब परवीन (21) गर्भवती हैं.

मोहसिन हापुड़ में भाजपा के अल्पसंख्यक सेल में अधिकारी थे. 25 फरवरी को खजूरी खास पुलिस थाने से 400 मीटर और सीआरपीएफ कैंप से 200 मीटर की दूरी पर उनका जला हुआ शव बरामद हुआ था.

मोहसिन अली के चाचा इमरान खान बताते हैं, ‘हमारे मामले में हमें मुआवजा राशि नहीं मिली क्योंकि हम अभी भी मोहसिन के मृत्यु प्रमाणपत्र का इंतजार कर रहे हैं. क्राइम ब्रांच ने हमें खजूरी खास पुलिस थाने जाने को कहा था. पुलिस थाने गए तो वहां हमें नॉर्थ एमसीडी जाने को कहा गया, नॉर्थ एमसीडी ने हमें लोकनायक अस्पताल जाने को कहा. मोहसिन के पिता टूटने की कगार पर हैं.’

उन्होंने बताया, ‘शुरुआत में हमने मोहसिन की डीएनए रिपोर्ट का इंतजार किया, जो अप्रैल में आई लेकिन हम अब भी परेशानी का सामना कर रहे हैं. हमें मोहसिन की मौत की जांच के संबंध में कोई जानकारी नहीं है. उसकी (मोहसिन) की पत्नी की डिलीवरी होने वाली है और वह हापुड़ वापस चली गई हैं.’

इमरान ने आगे कहा, ‘नॉर्थ एमसीडी अधिकारियों का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से मृत्यु प्रमाणपत्र में देरी हुई. इसके बिना दिल्ली सरकार नौ लाख रुपये की मुआवजा राशि जारी नहीं करेगी.’

वहीं, दंगों के दौरान मारे गए 19 साल के आकिब की भी मौत हुई थी. आकिब के पिता इकरामुद्दीन कहते हैं कि आकिब 24 फरवरी को घर से हजार रुपये लेकर कपड़े खरीदने गया था.

इकरामुद्दीन ने कहा, ‘हम भागीरथी विहार में किराए के मकान में रहते हैं. उसकी बहन की अप्रैल में शादी होनी थी इसलिए वह कपड़े खरीदने गया था. बाद में हमें पता चला कि भजनपुरा पेट्रोल पंप के पास उसके सिर में चोट लग गई. दो मार्च को जीटीबी अस्पताल में उसकी मौत हो गई.’

इकरामुद्दीन अपने बेटे आकिब की मदद से चूड़ियां बेचते थे. वह कहते हैं, ‘पहले हमने आकिब को खो दिया. फिर लॉकडाउन की वजह से हम पर कहर ही टूट गया. अब तो मकान का किराया चुकाना भी मुश्किल लग रहा है.’

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