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जलशक्ति अभियान की हकीकत : 256 संकटग्रस्त जिलों में मानसून के दौरान कागजों पर हुआ जलसंचय

-डाउन टू अर्थ,

नीति आयोग की दो वर्ष पूर्व चेतावनी को यदि याद रखें तो इसी वर्ष यानी 2020 में देश के प्रमुख 21 शहरों में भू-जल खत्म हो सकता है। इन्हीं दो वर्षों में नीति आयोग ने तत्काल और मजबूत जल संसाधनों की जरूरत को भी बताया था। इसे ध्यान में रखते हुए केंद्रीय भू-जल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूबी) ने देश के 256 जलसंकट वाले जिलों की पहचान की और बताया कि इनमें 1,186 ब्लॉक ऐसे हैं जो भू-जल के मामले में अतिदोहित (ओवरएक्सप्लॉयटेड) हैं। इसका मतलब हुआ कि इन ब्लॉक में रहने वाले लोग 100 फीसदी भू-जल पर निर्भर हैं। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नारे जलसंचय, बेहतर कल के साथ देश के इन जलसंकटग्रस्त जिलों में 1 जुलाई 2019 से 30 सितंबर, 2019 तक समयबद्ध और लक्ष्यबद्ध 'जलशक्ति अभियान' चलाया गया।

जलसंचय को लेकर यह तीन महीने का मिशन मोड पर चलाया गया अभियान था। कई जिलों ने इसमें बढ़चढ़कर भागीदारी की और कई जिले फिसड्डी रहे। जिलों के काम के दावे के आधार पर जलशक्ति मंत्रालय ने इन जिलों को 10/10 के आधार पर रैकिंग भी दी। इस रैकिंग में शीर्ष पर रहने वाले जिलों ने जश्न मनाया तो फिसड्डी जिले चुप्पी साधे रहे। जिन जिलों को शीर्ष रैकिंग मिली, उनके दावों से लगा कि वे अब जलसंकट का सामना करने के लिए तैयार हैं। लेकिन दावों से इतर कहानी लंबी और कुछ और ही है।

करीब 8 हजार किलोमीटर की यात्रा और दस्तावेजों व साक्षात्कार के साथ जलशक्ति अभियान के कामकाज की जमीनी हकीकत और रैकिंग परिणाम की छानबीन डाउन टू अर्थ ने की है। हकीकत जानने के लिए डाउन टू अर्थ की टीम ने देश के दस शीर्ष और खराब प्रदर्शन वाले अलग-अलग जिलों का दौरा किया। यह सच आप तक सिलसिलेवार स्टोरी के जरिए पहुंचाया जाएगा।

जलशक्ति अभियान के दौरान तीन महीने के दौरान शीर्ष प्रदर्शन करने वाले जिलों में रैकिंग (एक से दस) के आधार पर वाईएसआर कडापा, सांगारेड्डी, तंजौर, बनासकाठा, थूथुकुडी, गया, तिरुवेनल्ली, कुरुक्षेत्र, महबूबनगर, महोबा रहे। वहीं, जलसंचय के कामों में खराब प्रदर्शन करने वाले जिलों में राजगढ़, साउथ गोवा, हुगली, बागलकोट, रांगारेड्डी, बंग्लुरू अर्बन, कटिहार, पलक्कड़, हापुड़, चित्रादुर्गा शामिल हैं।

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