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ज्यादातर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड छिपाते हैं जरूरी जानकारियां, नहीं बरतते पारदर्शिता

-न्यूजलॉन्ड्री,

प्रदूषण नियंत्रण के लिए राज्यों में बनाये गये प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आंकड़ों और जानकारियां साझा करने में जितना पारदर्शी होना चाहिए, उतना पारदर्शी नहीं हैं. ज्यादातर बोर्ड जरूरी जानकारियां छिपाते हैं. हैरानी की बात ये है कि अधिकतर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मौजूदा प्रदूषण स्तर के आंकड़ों को लेकर भी अपेक्षित पारदर्शी नहीं हैं.

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) ने कई मानकों पर देश के 29 राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और छह प्रदूषण नियंत्रण कमेटियों का मूल्यांकन किया और पाया कि ज्यादातर बोर्ड बहुत अहम जानकारियां सार्वजनिक नहीं करते हैं.

‘ट्रांसपेरेंसी इंडेक्स: रेटिंग ऑफ पॉलूशन कंट्रोल बोर्ड्स ऑन पब्लिक डिसक्लोजर’ नाम से किये गये इस अध्ययन में सभी मानकों के आधार पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और कमेटियों की रेटिंग की गई है. रेटिंग में 35 बोर्ड और कमेटियों में से महज 14 को ही 50 प्रतिशत से अधिक अंक मिले हैं.

सिर्फ 12 राज्यों ने सार्वजनिक की वार्षिक रिपोर्ट

अध्ययन के मुताबिक, देश के केवल 12 राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी वेबसाइट पर वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित की है. इनमें गुजरात, मध्यप्रदेश, सिक्किम, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु शामिल हैं. असम, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, झारखंड, मणिपुर समेत केंद्र शासित राज्यों ने वार्षिक रिपोर्ट सार्वजनिक करने की जहमत नहीं उठाई.

सीएसई की औद्योगिक प्रदूषण इकाई के प्रोग्राम डायरेक्टर निवित कुमार यादव कहते हैं, “जल अधिनियम 1974, वायु अधिनियम 1981, वाटर सेस एक्ट 1977 व पर्यावरण (संरक्षण) एक्ट 1986 में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के लिए कई तरह की जिम्मेदारियां निर्धारित हैं. इनमें एक जिम्मेदारी हवा और पानी के प्रदूषण से जुड़ी जानकारियां इकट्ठा कर उन्हें सार्वजनिक करना और इसे नियंत्रित करने के लिए उपाय बताना. लेकिन, व्यावहारिक रूप में शायद ही इसका पालन होता है.”

अध्ययन से ये भी पता चलता है कि पर्यावरण नियम के उल्लंघन को लेकर औद्योगिक इकाइयों को कारण बताओ नोटिस जारी करने या उन्हें बंद करने का आदेश देने के मामले में भी अधिकतर बोर्ड जानकारियां नहीं देते हैं. इस मामले में केवल जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल के बोर्ड ने ही अपनी कार्रवाइयों से जुड़े दस्तावेज वेबसाइट पर साझा किए हैं.

इसी तरह केवल दिल्ली, गोवा, हरियाणा, त्रिपुरा और उत्तराखंड के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी वेबसाइट पर बोर्ड की बैठक का विवरण अपलोड किया है. जन सुनवाई जैसे अहम मामले में भी अध्ययन में पाया गया है कि ज्यादातर बोर्ड इसे सार्वजनिक नहीं करते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, केवल कर्नाटक, तेलंगाना, दिल्ली, गुजरात, केरल, पंजाब, राजस्थान, गोवा और मिजोरम ने ही इससे जुड़ी जानकारियां सार्वजनिक की हैं.

“ये अध्ययन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड/कमेटियों की वेबसाइट पर उपलब्ध पिछले चार-पांच सालों के आंकड़ों, वार्षिक रिपोर्टों के आधार पर किया गया है. विस्तृत अध्ययन के लिए हमने 25 संकेतकों का इस्तेमाल किया है,” सीएसई की औद्योगिक प्रदूषण इकाई की प्रोग्राम अफसर श्रेया वर्मा ने कहा.

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