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नये कृषि कानूनों के बाद भी दूसरे प्रदेश में फसल नहीं बेच पा रहे किसान, मंडियों में नहीं मिल रही MSP, औने-पौने रेट पर बेचने को मजबूर

-गांव कनेक्शन,

"कोई भी व्यक्ति अपना उत्पाद, दुनिया में कहीं भी बेच सकता है। जहां चाहे वहां बेच सकता है, लेकिन केवल मेरे किसान भाई-बहनों को इस अधिकार से वंचित रखा गया था। अब नये प्रावधान लागू होने के कारण, किसान अपनी फसल को देश के किसी भी बाजार में किसी भी कीमत पर बेच सकेगा।" देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 सितंबर को अपने एक ट्वीट ये तब कहा जब लोकसभा और राज्यसभा में सरकार कृषि सुधार से जुड़े बिल पेश कर रही थी।

केंद्र सरकार के कृषि सुधारों से संबंधित तीन नये कृषि कानूनों में किसानों को अपनी फसल कहीं भी, किसी को भी, किसी भी मात्रा में बेचने की छूट दी गई है। 27 सितंबर को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद तीनों कृषि बिल कानून बन गये और इसके ठीक दो दिन बाद 28 सितंबर को हरियाणा बॉर्डर से सटे उत्तर प्रदेश के कुछ किसान जब हरियाणा मंडी में धान बेचने गये तो उनसे धान नहीं खरीदा गया। उत्तर प्रदेश के जिला सहारनपुर के ब्लॉक मुजफ्फराबाद, गांव मनयान के किसान गुरदीप सिंह (38 वर्ष) 29 सितंबर को हरियाणा के जिला यमुनानगर के खिरजाबाद मंडी में 85 कुंतल 6466 किस्म की धान लेकर गये थे। गैर बासमती श्रेणी का यह धान दूसरी किस्मों की अपेक्षा मोटा होता है जिस कारण उत्तर प्रदेश में इसकी खरीद एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर नहीं होती।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान। "हम पहले भी इस मंडी में धान बेचते आये हैं। हरियाणा की सरकार इस धान को भी एमएसपी पर खरीदती है, लेकिन इस बार मंडी में किसी ने हमसे धान खरीदा ही नहीं। पहले तो हम मंडी के बाहर भी एमएसपी से ज्यादा कीमत पर धान बेच देते थे, लेकिन इस बार तो कोई व्यापारी बाहर मिला ही नहीं। मजबूरी में हम वहीं एक जानने वाले के यहां रखकर चले आये।"

गुरदीप कहते हैं। गुरदीप ने इस साल पांच एकड़ में धान लगाया था। "हमारे यहां यही धान 1,000 से 1,200 रुपए कुंतल में बिकता है। हरियाणा की मंडियों में हमें अच्छी कीमत मिलती थी। धान ज्यादा दिन घर रखेंगे तो वजन कम होने लगता है, खराब होने लगता है, ऐसे में हमें बेचकर दूसरी फसल भी तो लगानी होती है।" वे आगे कहते हैं। किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था लागू है। अगर कभी फसलों की कीमत बाजार के हिसाब से गिर भी जाती है, तब भी केंद्र सरकार तय न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही किसानों से फसल खरीदती है ताकि किसानों को नुकसान से बचाया जा सके।

क्योंकि अगली फसल बोनी है, कर्ज देना है किसानों को देश में कहीं भी अपनी फसल बेचने की आजादी देने वाली कृषि विधेयकों के कानून बनने के बावजूद उत्तर प्रदेश के किसान हरियाणा में अपनी फसल नहीं बेच पाये। कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून के तहत किसानों को अपनी फसल कहीं भी, किसी को भी बेचने की आजादी मिली है। देश के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी 22 सितंबर को एक ट्वीट करके कहा, "किसान भाई, विपक्ष द्वारा किए जा रहे दुष्प्रचार से रहें सावधान... कृषि विधेयक ने किया है तरक्की का प्रावधान...'वन नेशन-वन मार्केट' से अब किसान अपनी फसल कहीं भी, किसी को भी बेच सकते हैं।"

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