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2020: नौ महीने में 50 बार प्रदर्शन कर चुके हैं किसान

-डाउन टू अर्थ,

संसद में पारित तीन कृषि विधेयकों के खिलाफ किसान सड़कों पर है। 25 सितंबर 2020 को पूरे देश भर में प्रदर्शन किए जा रहे हैं, लेकिन यह पहली बार नहीं है, जब केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में किसान धरना-प्रदर्शन कर रहे हों। जनवरी से सितंबर 2020 के बीच नौ माह में 20 राज्यों में कम से कम 50 बड़े प्रदर्शन हो चुके हैं, जबकि जनवरी, मई, अगस्त व सितंबर में किसान 4 देशव्यापी प्रदर्शन कर चुके हैं।

ज्यादातर प्रदर्शन हरियाणा और पंजाब में हुए हैं। 25 सितंबर 2020 का प्रदर्शन कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक, 2020 , कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।

किसानों को सबसे बड़ा डर इस बात का है कि सरकार मंडियों को खत्म कर देगी। इन मंडियों का संचालन कृपि उपज विपणन कमेटियों के माध्यम से किया जाता है। चर्चा है कि सरकार किसानों से तय कीमतों पर उपज खरीदना बंद कर देगी और उन्हें निजी खरीदारों के भरोसे छोड़ देगी।

हालांकि केंद्रीय कूषि मंत्री लगातार कह रहे हैं कि ऐसा नहीं होगा। न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) खत्म की और ना ही मार्केट कमेटी की मंडिया खत्म होंगी। लेकिन न तो किसान इस पर भरोसा कर पा रहा है और ना ही विपक्ष।

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का हिस्सा रही अकाली दल (ब) कोटे से मंत्री हरसिमरत कौर केबिनट से इस्तीफा दे चुकी हैं।

कृषि विधेयकों के खिलाफ इलाहाबाद में प्रदर्शन करती महिलाएं। फोटो साभार: भाकियू

इससे पहले नौ अगस्त को अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर किसान देशव्यापी प्रदर्शन कर चुके हैं। इस दिन देश के लगभग 250 किसान संगठनों ने एक साथ कॉरपोरेट भगाओ, देश बचाओ के नारे के साथ प्रदर्शन किया था।

इस साल की शुरुआत में जनवरी 2020 में किसानों ने प्रदर्शन किया। यह बड़ा प्रदर्शन था, जिसमें श्रमिक, कर्मचारी, किसान, ग्रामीण मजदूर शामिल थे और उन्होंने सरकार की आर्थिक नीतियों के विरोध में प्रदर्शन किया।

किसानों के अपने मुद्दे थे, जिनमें कर्ज माफी और बाढ़, सूखा की वजह से बर्बाद फसल की बीमा योजना को सही ढ़ंग से लागू करना शामिल था।

इस प्रदर्शन को लगभग 200 किसान व खेतिहर मजदूर संगठनों ने एक दिन के ग्रामीण भारत बंद आंदोलन को समर्थन दिया।

सरकार ने संसद के मानसून सत्र के दौरान कहा कि कृषि अकेला ऐसा क्षेत्र है, जिसने कोरोनावायरस संक्रमण के दौर में वृदि्ध की, जबकि दूसरे जैसे मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर पर असर दिखाई दिया।

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