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ये आग कब बुझेगी: पिछले साढ़े 3 महीनों में उत्तराखंड के 2500 हेक्टेयर से अधिक जंगल जलकर हुए खाक

-गांव कनेक्शन,

पिछले कई दिनों से उत्तराखंड के जंगलों को आग ने घेर रखा है। आग इतनी ज्यादा है कि इसे बुझाने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से मदद मांगी है। साथ ही अब तक राज्य सरकार द्वारा मदद मांगे जाने पर गृहमंत्री अमित शाह द्वारा बिगड़ती परिस्थति को देखते हुए एयरफोर्स के दो मिग-17 हेलिकॉप्टर को तैनात किया जा चुका है, जिसके बाद गढ़वाल और कुमाऊं के जंगलों में आगे के बुझाने का काम निरंतर जारी है। उत्तराखंड वन विभाग की वेबसाइट के मुताबिक गढ़वाल, कुमाऊं दो कमिश्नरियों और वाइल्ड लाइफ एरिया को मिलाकर पिछले साढ़े 3 महीने में करीब 2539.15 हेक्टेयर वन संपदा जल चुकी है। लगभग 53 हजार वर्ग किमी में फैला हुआ हिमालयी राज्य उत्तराखंड हर साल की तरह इस साल भी जंगल में आग की घटनाओं से जूझ रहा हैं। उत्तराखंड की वन विभाग की वेबसाइट के मुताबिक पिछले करीब साढ़े 3 महीनों में अब तक 1798 आग लगने की घटनाएं उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में दर्ज की जा चुकी हैं, जिस कारण करीब 2539.15 हेक्टेयर पर मौजूद जंगल अब तक खाक हो चुके हैं। यह क्षेत्र करीब 4,600 फुटबाल मैदानों के बराबर होता है। इस दौरान आग से 12647 पेड़ों को नुकसान पहुंचा है।

जलवायु परिवर्तन की मार सहता उत्तराखंड

जानकारों के अनुसार उत्तराखंड में हर साल फरवरी में वसंत की शुरुआत में आग लगने की घटनाएं सामने आने लगती हैं, जो लगभग जून के अंत तक होती हैं। लेकिन ये वर्ष उत्तराखंड में घटित फायर सीजन के लिए तैयार हो रहे वन महकमे और स्थानीय प्रशासन के लिए कुछ अलग रहा क्योंकि इस बार पिछले साल अक्टूबर से ही आग लगने की घटनाएं सामने आने लगी थीं।

डीएफओ देहरादून राजीव धीमान आग लगने की घटनाओं सहित फायर सीज़न के अक्टूबर से शुरू होने पर विस्तार से चर्चा करते हुए बताते है, "ये घटनाएं तीन कारक तय करती है, पहली तापमान दूसरी नमी और आखिर में बॉयोमास फ्यूल (पेड़ो की पत्तियां इत्यादि), जिसमे हमारा कंट्रोल केवल फ्यूल पर है, जो कि वन महकमा हटाने का कार्य भी दिसंबर से शुरू कर देता है, जबकि बाकि दोनों कारक प्राकृतिक है और इस वर्ष सर्दियों के मौसम में बारिश भी बहुत कम देखने को मिली। इसके साथ ही हवा भी काफी तेज़ी से गति में चली रही, जिस कारण मानवीय परिणामों से लगी आग भी तेज़ी से फैलते हुए काफी बड़े क्षेत्र को अपनी चपेट में लेती रही।"

वहीं मौसम विभाग की ओर से जारी बारिश के आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो इस बार जनवरी से मार्च तक उत्तराखंड में केवल 10.9 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि सामान्य तौर पर इस अवधि में 54.9 मिमी बारिश होती है। यानी सामान्य से 80 प्रतिशत कम बारिश हुई। 

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