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गोरखपुर के गांवों में फैली महामारी, घरों में ही मर रहे बड़ी संख्या में लोग

-न्यूजलॉन्ड्री,

43 वर्षीय राजीव नयन सिंह अपने दो बच्चों के साथ बासूडीहा में रहते हैं. तीन दिन पहले उनकी पत्नी वंदना सिंह का निधन हो गया. राजीव और उनकी पत्नी कोविड पॉजिटिव थे. राजीव और उनकी पत्नी का टेस्ट काफी देर से हुआ. इसकी वजह राजीव हमें बताते हैं, “टेस्टिंग केंद्र कौड़ीराम में बना है. उनके गांव में ऐसी कोई सुविधा नहीं है.”

राजीव की रिपोर्ट 22 अप्रैल को पॉजिटिव आई थी. देखते ही देखते उनकी पत्नी भी बीमार पड़ गईं. 26 अप्रैल को राजीव अपनी पत्नी के साथ कौड़ीराम टेस्टिंग केंद्र पहुंचे. लेकिन पंचायत चुनाव के कारण उस दिन टेस्टिंग करने के लिए कोई नहीं था. राजीव ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “26 अप्रैल को पंचायत चुनाव था. सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों की ड्यूटी लगी थी. कौड़ीराम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कोई नहीं था. ड्यूटी से लौटने के बाद, कर्मचारियों ने तीन बजे टेस्ट किया. हम सुबह आठ बजे घर से निकले थे. वंदना को खासी-ज़ुखाम की शिकायत हो रही थी. पांच घंटा रुकने के बाद नंबर लगा. साढ़े तीन बजे टेस्ट हुआ."

28 अप्रैल को उनकी पत्नी की तबियत ज्यादा बिगड़ने लगी. टेस्ट कराने के बाद किसी सरकारी कर्मचारी का कॉल नहीं आया. प्राइवेट क्लिनिक से जाकर दवा लानी पड़ी. एक दम से ऑक्सीजन लेवल गिरने लगा. वो पेट के बल लेटी रहीं. लेकिन उसे आराम नहीं मिला. "हमने कई बार 108 पर कॉल किया. लेकिन एक बार भी किसी ने फोन नहीं उठाया. एम्बुलेंस के बिना उन्हें कहीं भी नहीं ले जा सकते थे. एम्बुलेंस की व्यवस्था नहीं हो पाई," राजीव बताते हैं.

कई बार कॉल करने के बावजूद एम्बुलेंस उनके गांव नहीं आई और वंदना सिंह को सही समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण घर पर ही उनकी मौत हो गई.

राजीव के गांव बासूडीह में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) है लेकिन वहां किसी तरह की सुविधा नहीं है. अगर केंद्र काम कर रहा होता तो शायद वक़्त रहते एम्बुलेंस या ज़रूरी दवाइयां मिल जातीं और उनकी पत्नी की जान बचाई जा सकती थी.

समय पर इलाज न मिलने के चलते पति-पत्नी की घर पर मौत

बासूडीहा के आस पास के और भी कई गांवों में लोगों की मौत हुई है, लेकिन उनकी लाश को संभालने वाला कोई नहीं था. 25 अप्रैल को ग्राम पंचायत बासूडीहा में 70 वर्षीय रामरतन विश्वकर्मा और उनकी पत्नी 68 वर्षीय जयमती की सुबह पांच और छह बजे घर के अंदर ही मौत हो गई. बताया गया कि रामरतन विश्वकर्मा की पत्नी जयमती की तबीयत तीन दिन से खराब थी. उनको सांस लेने में दिक्कत आ रही थी. प्राइवेट क्लिनिक से लिखवा कर घर में ही वो दवा ले रही थी.

मृतकों का शव दो दिन तक घर में ही पड़ा रहा. जब उनका बेटा मुंबई से वापस लौटा तब जाकर उनके अंतिम संस्कार की व्यवस्था हो सकी. गांव के लोगों ने एम्बुलेंस और नर्स की व्यवस्था करनी चाही पर कुछ भी काम नहीं कर रहा था.

30 बेड वाले बासूडीह स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण 2 करोड़ 56 लाख रुपए की लागत से 2010 में हुआ था. लेकिन इस केंद्र में डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों का आना अभी बाकी है. इस केंद्र के निर्माण के लिए गांव की एक बीघा ज़मीन दी गई. गोरखपुर जनपद के ग्राम सभा बासूडीहा- गम्भीरपुर में स्थित बासूडीहा सामुदायिक स्वास्थय केंद्र चार ब्लॉक के मध्य पड़ता है. यह केंद्र कौड़ीराम, गगहा, देवरिया और रुद्रपुर के लोगों को भी करीब पड़ता है. चार ब्लॉक इस केंद्र का फायदा उठा सकते थे यदि केंद्र अपनी पूरी क्षमता से काम करता.

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