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GST लागू फिर भी बचे रह गए ये 10 तरह के टैक्स, जानिए

नई दिल्ली। एक देश एक कर की अवधारणा को लेकर अगर आप कोई खुशफहमी पाले बैठे हैं तो जरा ठहरिए। आपको बता दें कि एक जुलाई से लागू हुए वस्तु एवं सेवा कर कानून (जीएसटी) ने भले ही 17 तरीके के टैक्स (केंद्र और राज्य स्तर के) और 23 तरह के सेस (उपकर) को खत्म कर दिया हो, लेकिन अभी भी 10 तरीके के ऐसे कर हैं जो आगे भी जारी रहेंगे। हम आपको अपनी इस खबर में इन्ही 10 करों के बारे में बताने जा रहे हैं।

स्टांप ड्यूटी: प्रॉपर्टी खरीदने के दौरान रजिस्ट्रेशन के वक्त आपको स्टांप ड्यूटी अदा करनी होती है। आपको बता दें कि जीएसटी के अंतर्गत स्टांप ड्यूटी को शामिल नहीं किया गया है। यानी जीएसटी के बाद भी आपको इसे अदा करना होगा।

कस्टम ड्यूटी: कस्टम ड्यूटी को लेकर अभी भी काफी सारे लोगों में कन्फ्यूजन है। जानकारी के लिए बता दें कि कस्टम ड्यूटी विदेश से आयात होने वाले सामान पर लगाई जाती है। सरकार ने बेसिक कस्टम ड्यूटी (बीसीडी) को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा है। यानी आपको आगे भी सरकार की ओर से तय दर से कस्टम ड्यूटी का भुगतान करना होगा।

व्हीकल रजिस्ट्रेशन फीस: कोई नया वाहन खरीदने पर आपको आरटीओ में व्हीकल रजिस्ट्रेशन फीस का भुगतान करना होता है। इसे भी जीएसटी के अंतर्गत नहीं लाया गया है। ऐसे में नई कार की खरीद पर भले ही निर्माता की ओर से आपको जीएसटी का फायदा मिल जाए, लेकिन रजिस्ट्रेशन फीसद में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

शराब पर एक्साइज ड्यूटी: शराब (लिकर) को भी जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। शराब पर एक्साइज ड्यूटी को इससे बाहर रखा गया है। इसे संविधान संशोधन विधेयक के माध्यम से जीएसटी में शामिल किया जाएगा। ऐसे में दो राज्यों के बीच शराब की कीमतों में अभी भी वही अंतर देखने को मिलेगा जैसा कि अभी है। जानकारी के मुताबिक लिकर पर वैट भी बरकरार रहेगा।

बिजली की बिक्री और इसके उपभोग पर टैक्स: जीएसटी के कार्यकाल में आपके बिजली बिल पर भी कोई खास असर नहीं दिखेगा। यानी बिजली बिल पर अभी लगने वाला वैट और केंद्रीय उत्पायद शुल्क जारी रखेगा। जानकारी के लिए बता दें कि अभी भी राज्योंद के पास इस पर वैट लगाने का और केंद्र के पास एक्साभइज लगाने का अधिकार है।

टोल टैक्स: भले ही देश के 22 राज्यों में चेक पोस्ट हटाए जाने का आदेश दे दिया गया हो, लेकिन राजमार्गों पर लगने वाला टोल टैक्स अभी भी जारी रहेगा। यानी टोल टैक्स का भुगतान आपको पहले की ही तरह करते रहना होगा।

रोड टैक्स: जब आप कोई नया वाहन खरीदते हैं तो आपको वन टाइम रोड टैक्स का भुगतान करना होता है। यानी पहले की ही तरह आपको जीएसटी के कार्यकाल में भी रोड टैक्स का भुगतान करते रहना होगा। इसे भी जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है।

मंडी शुल्क: देश में एक जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद केंद्र और राज्य के कई परोक्ष कर समाप्त हो जाएंगे, लेकिन मंडी में कृषि उपज की बिक्री पर लगने वाला मंडी शुल्क बरकरार रहेगा। मंडी शुल्क की दर देश के अलग-अलग राज्यों में भिन्न-भिन्न है। उत्तर प्रदेश में मंडी शुल्क की दर ढाई फीसद है जिसमें सेस भी शामिल है। राज्य की मंडियों को इससे तकरीबन 1,200 करोड़ रुपए की आय होती है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अलग-अलग राज्यों में इससे कितनी आय होती है। वैसे तो अधिकांश राज्यों में मंडी शुल्क डेढ़ से दो फीसद है लेकिन पंजाब और हरियाणा में यह चार फीसद तक है। दरअसल मंडी में जब भी कोई किसान अपना माल बेचने जाता है तो उस पर मंडी शुल्क लगता है। हालांकि नीति आयोग के सदस्य और कृषि विशेषज्ञ डा. रमेश चंद कहते हैं कि मंडी शुल्क कोई कर नहीं है क्योंकि इससे प्राप्त होने वाली धनराशि राज्य सरकार के खजाने में नहीं जाती बल्कि इसका इस्तेमाल मंडियों के रख-रखाव, प्रबंधन और स्टॉफ के लिए किया जाता है। इसलिए जीएसटी आने से इसका कोई लेना-देना नहीं है।

पंचायत शुल्क: वहीं देशभर में मौजूद पंचायतों की ओर से लगाए जाने वाले कर भी यथावत रहेंगे। इन्हें भी जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है लिहाजा ये भी पहले की तरह बरकरार रहेंगे।

म्युनिसिपल टैक्स: म्युनिसिपल टैक्स भी इन्हीं की तरह एक प्रकार का कर है जो पहले की ही तरह बना रहेगा। जानकारी के मुताबिक म्युनिसिपल टैक्स का जीएसटी से कोई लेना देना नहीं है लिहाजा यह टैक्स भी बना रहेगा।