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गुजरात: मृत्यु रजिस्टर का डेटा बताता है कि कोविड मौत का आधिकारिक आंकड़ा 27 गुना कम है

-द वायर,

गुजरात के अमरेली कस्बे के दो श्मशान घाटों में से एक कैलाश मुक्ति धाम में चार भट्टियां ख़राब होने की अलग-अलग स्थिति में हैं. शवों को रखने वाली लोहे की ग्रिल बिना रुके जलती हुई चिताओं के चलते पिघल चुकी है.

किसान मगनभाई श्मशान घाट पर काम करने वाले एक वालंटियर हैं, जो अप्रैल और मई 2021 के उन दिनों, जब कोविड-19 ने शहर को तबाह कर दिया था, को याद करते हुए कहते हैं, ‘एक महीने तक हर दिन 24 घंटे चिताएं जल रही थीं.’

हालात ये थे कि श्मशान में काम करने वाले वालंटियर्स को स्थानीय अखबारों में विज्ञापन देना पड़ा क्योंकि उनकी जलाने वाली लकड़ी की आपूर्ति ख़त्म हो गई थी. करीब 20 लोगों की टीम के तीन सदस्यों ने वायरस के कारण दम तोड़ दिया.

दो महीनों में दो श्मशान घाटों में 1,161 दाह संस्कार किए गए. चूंकि वे अधिकतम इतना ही कर सकते थे, इसलिए शेष शवों को पड़ोसी गांवों में भेज दिया गया. स्थानीय मुस्लिम कब्रिस्तान में अन्य सौ को दफनाया गया. कब्र खोदने के लिए अर्थ मूवर्स को बुलाया गया क्योंकि बहुत सारे शव थे.

अप्रैल और मई के महीने में अमरेली के सिर्फ एक श्मशान में 7.5 डेथ रजिस्टर भरे गए. हर रजिस्टर में 100 पृष्ठ होते हैं. (फोटो: श्रीगिरीश जलिहाल/द रिपोर्टर्स कलेक्टिव)

कोविड-19 की दूसरी लहर ने भारत के बाकी हिस्सों की तरह गुजरात के हर शहर तबाही मचाई थी, जिसमें ढेरों मौतें हुईं. गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा इसे लेकर सटीक डेटा प्रकाशित करने के लिए राज्य सरकार की खिंचाई करने के बावजूद सरकार ने दावा किया कि 2020 में शुरू हुई महामारी की दो लहरों के दौरान केवल 10,075 (इस रिपोर्ट को लिखने के समय तक) लोग कोविड के कारण मारे गए थे. और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि गुजरात ने ‘कोविड संकट को अच्छी तरह से संभाला.’

अब, आधिकारिक रिकॉर्ड साबित करते हैं कि राज्य ने मौतो की संख्या और तबाही की वास्तविक भयावहता पर एक मोटा परदा डाला है.

रिपोर्टर्स कलेक्टिव ने राज्य की 170 नगर पालिकाओं में से 68 से मृत्यु रजिस्टर की प्रतियां प्राप्त कीं. इन रजिस्टरों में अधिकारियों द्वारा सबसे पहले किसी मौत और मृतकों का विवरण दर्ज किया जाता है. हमने जनवरी 2019 और अप्रैल 2021 के बीच हाथ से भरे गए इस रजिस्टरों की प्रतियां एकत्र कीं, जो हजारों पृष्ठों की हैं.

डेथ रजिस्टरों के विश्लेषण से पता चलता है कि 68 नगर पालिकाओं में मार्च 2020 और अप्रैल 2021 के बीच महामारी से ठीक पहले के साल 2019 में इसी अवधि की तुलना में सभी कारणों से 16,892 अतिरिक्त लोगों की मृत्यु हुई.

68 नगर पालिकाओं में राज्य की 6.03 करोड़ की आबादी का 6% हिस्सा है. साधारण अनुपात के हिसाब से अनुमान लगाएं तो महामारी के चलते राज्य में कम से कम 2.81 लाख अतिरिक्त मौतें हुईं. यह सरकार द्वारा राज्य में कोविड-19 से संबंधित मौतों की संख्या के दावे से 27 गुना अधिक है.

हार्वर्ड टीएच चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में महामारी विज्ञान की प्रोफेसर डॉ. कैरोलिन बकी कहती हैं, ‘इन नगर पालिकाओं में अतिरिक्त मौतों की संख्या बताती है कि संबंधित आधिकारिक कोविड-19 मौत की गिनती में महामारी से हुई मौतों का एक बड़ा हिस्सा गायब है.’

‘अतिरिक्त या अधिक मौतें’ अधिकारियों द्वारा छुपाई गई मौतों की गणना को आंकने का एक सरल तरीका है, जिसमें पिछले सामान्य वर्ष की इसी अवधि के साथ महामारी के दौरान की इसी अवधि में कुल मौतों की तुलना की जाती है. सभी अतिरिक्त मौतों को कोविड-19 से नहीं जोड़ा जा सकता, लेकिन मौतों में वृद्धि को समझाने का कोई अन्य वजह न होने के कारण विशेषज्ञ इनमें से अधिकांश का कारण कोविड-19 और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच की कमी को मानते हैं.

गुजरात की अधिक मृत्यु का यह आंकड़ा भी सीमित है क्योंकि नगर पालिकाओं के आंकड़ों में ग्रामीण क्षेत्र शामिल नहीं हैं, जो शहरी क्षेत्रों की तुलना में सार्वजनिक स्वास्थ्य तक न्यूनतम पहुंच रखने वाली कुल आबादी का 57% है. हमने मई 2021 के आंकड़ों को भी बाहर कर दिया है, जिसमें राज्य सरकार के हिसाब से भी अप्रैल से ज्यादा मौतें हुई हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि 68 नगर पालिकाओं में से केवल तीन के पास मई के अंत तक डेटा था.

अकेले अप्रैल 2021 में 6% आबादी में 10,238 अतिरिक्त मौतें हुईं, जो पूरी महामारी की अवधि के 10,075 मौतों के आधिकारिक राज्यव्यापी आंकड़े से कहीं अधिक है.

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