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सिंचाई की वजह से भारत में बढ़ रहा है हीट स्ट्रेस

-डाउन टू अर्थ,

क्या खेतों में की गई सिंचाई किसी इंसान के लिए हानिकारक हो सकती है, बात अटपटी है पर सही है। हाल ही में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी), गांधी नगर द्वारा किए एक अध्ययन के अनुसार भारत के कुछ हिस्सों में सिंचाई बढ़ने के साथ वहां रहने वाले लोगों में हीट स्ट्रेस (गर्मी से होने वाला तनाव) में वृद्धि देखी गई है। यह शोध आईआईटी, के साथ पर्ड्यू यूनिवर्सिटी और हेल्महोल्त्ज़ सेंटर फ़ॉर एन्वायर्नमेंटल रिसर्च के शोधकर्ताओं ने मिलकर किया है। यह शोध अंतराष्ट्रीय जर्नल नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित हुआ है।

शोध से पता चला है कि भारत, पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान के कुछ हिस्सों में फसल में वृद्धि के लिए गहन रूप से सिंचाई की जा रही है। जिसके कारण नमी युक्त हीट स्ट्रेस का खतरा बढ़ गया है। अनुमान है कि बढ़ता हीट स्ट्रेस दक्षिण एशिया में करीब 4.6 करोड़ लोगों को प्रभावित कर सकता है।

जब लोग भीषण तापमान का सामना करते हैं तो उनमें दो तरह से हीट स्ट्रेस हो सकता है। पहला जब वातावरण बहुत ज्यादा गर्म होता है तो शरीर उसके अनुकूल बनने के लिए बहुत ज्यादा पसीना छोड़ता है, इस तरह वो अंगों को ठंडा रखने की कोशिश करता है। जबकि दूसरी तरह का हीट स्ट्रेस तब होता है जब वातावरण में तापमान के साथ नमी की मात्रा भी बहुत ज्यादा होती है। उस समय कोई उपाय काम नहीं आता। ऐसे वक्त में पानी पीना और शरीर से पसीना निकलना भी काम नहीं आता। यह स्थिति शरीर के लिए घातक हो सकती है।

इसे समझने के लिए शोधकर्ताओं ने भारत में गंगा के मैदानी भाग में नमी के बढ़ते स्तर की जांच की है। गंगा का मैदानी भाग बहुत उपजाऊ है जहां के बड़े हिस्से पर खेती की जाती है जिसके लिए वहां बड़ी मात्रा में सिंचाई भी की जाती है। शोधकर्ताओं ने वहां रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर हीट स्ट्रेस के पड़ने वाले असर को समझने की कोशिश की है।

इसे समझने के लिए शोधकर्ताओं ने उपग्रह से प्राप्त आंकड़ों की मदद ली है जिसकी मदद से वो मौसम की स्थिति, जमीन और हवा के तापमान और नमी की सटीकता से माप कर सकते थे। शोध में सिंचित क्षेत्रों के साथ-साथ उन क्षेत्रों का भी अध्ययन किया गया है जो सिंचाई से सम्बन्ध नहीं रखते थे।

शोध से पता चला है कि जिन क्षेत्रों में बहुत ज्यादा सिंचाई हुई थी, वहां की जमीन का तापमान अन्य क्षेत्रों की तुलना में 1 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था। जबकि जमीन से ऊपर हवा में तापमान 0.5 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा था। सिंचाई की वजह से वहां की विशिष्ट और सापेक्ष आर्द्रता काफी ज्यादा थी, जो नमी युक्त हीट स्ट्रेस को जन्म देती है। 

निष्कर्ष से पता चला है कि बड़ी हुई आद्रता और गर्मी से उत्पन्न होने वाला हीट स्ट्रेस भारत सहित दुनिया के उस जैसे अन्य क्षेत्रों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। जलवायु में आ रहे बदलावों के चलते जैसे-जैसे वैश्विक तापमान बढ़ रहा है उसके चलते दुनिया के गर्म क्षेत्र और गर्म हो जाएंगे। ऐसे में जब सिंचाई के कारण वातावरण में नमी बढ़ेगी तो वो स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध हो सकती है।

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