Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/heat-stroke-and-its-symptoms.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | लू लगना असल में होता क्या है और क्यों यह खतरनाक है? | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

लू लगना असल में होता क्या है और क्यों यह खतरनाक है?

-सत्याग्रह, 

हमारे पिताजी का प्रिय जुमला था, ‘चलो, जरा इस स्साले की लू उतारते हैं…’ कोई ज्यादा अकड़ दिखाये, बदमाशी करे, आंय-बांय बोले तो वे मानते थे कि इसके दिमाग में गर्मी चढ़ गई है जिसे समय रहते ठंडा करने की आवश्यकता है वर्ना इसका दिमाग स्थाई तौर पर खराब हो सकता है.

‘किसी की लू उतारना’ यह कहावत एक हद तक मेडिकली भी सही तथ्यों पर आधारित है. लू (हीट स्ट्रोक) की गर्मी भी सीधे दिमाग पर चढ़कर बोलती है. लू या हीट स्ट्रोक का मतलब भी यही है कि शरीर में गर्मी (तापमान) इस कदर बढ़ जाए कि आदमी के मस्तिष्क में मौजूद तापमान नियंत्रण का केंद्र (हाइपोथैलेमस) शरीर के तापमान पर अपना नियंत्रण खो बैठे.

तगड़ी लगी लू की स्थिति में यदि बढ़े हुए शारीरिक तापमान को समय रहते समुचित इलाज द्वारा कम न किया जाए तो आदमी मर भी सकता है. ज्यादा बढ़े तापमान (जिसे तकनीकी भाषा में हाईपर पायरेक्सिया कहा जाता है) के दुष्प्रभाव से शरीर में सब जगह प्रोटीन जम जाता है, खून यहां-वहां रुक सकता है और आदमी के तमाम अंग काम करना बंद कर सकते हैं (इस स्थिति को मल्टी ऑर्गन फेल्योर कहते हैं). तो लू लगने को कभी सामान्य बुखार नहीं मानना चाहिए. इसकी एकदम शुरुआत में ही पहचान होना अति आवश्यक है और तुरंत ही युद्धस्तर पर इसका पूरा इलाज भी उतना ही आवश्यक है. पर इसमें भी कई झोल हैं.

झोल ये हैं :

(1) आजकल वायरल, डेंगू आदि बुखारों का कुछ ऐसा जलवा मीडिया ने बनाया है कि डाक्टरों तक से लू लगने की सरल-सी डायग्नोसिस में गलती हो जाती है. जांचों की घटाटोप में फंसी मेडिकल प्रैक्टिस में इसकी आशंका आजकल बहुत बढ़ गई है कि डॉक्टर इस बीमारी को शुरू में या हल्की लू की स्टेज में न पकड़ पाएं.

(2) लू से चढ़ने वाले बुखार में बुखार उतारने वाली दवाओं (पैरासिटामॉल आदि) का कोई असर नहीं होता क्योंकि ये दवाएं दिमाग में हाइपोथैलेमस पर काम करके ही बुखार उतारती हैं. हीट स्ट्रोक में यही हाइपोथैलेमस की ताप नियंत्रण व्यवस्था अपना काम करना बंद कर देती है. तब? फिर इस बात को जानना बेहद जरूरी है कि किसी ऐसी या वैसी दवा से नहीं बल्कि बुखार तगड़ी कोल्ड स्पॉन्जिंग से ही उतरेगा. हम आगे विस्तार से आपको कोल्ड स्पॉन्जिंग वगैरह के विषय में बतायेंगे.

पूरा लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.