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ई-सिगरेट, धूम्रपान करने वाले युवाओं में कोरोनावायरस संक्रमण का खतरा अधिक

-डाउन टू अर्थ,

इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि निकोटीन कैसे लिया जा रहा है। निकोटीन युवाओं और वयस्कों के लिए हानिकारक है। ई-सिगरेट में आमतौर पर निकोटीन के साथ-साथ अन्य रसायन होते हैं जो स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने के लिए जाने जाते हैं। कोरोना बीमारी का अधिकतर संबंध श्वसन तंत्र से हैं, यदि पहले ही हम ई-सिगरेट का उपयोग कर हानिकारक रसायनों से अपने श्वसन तंत्र को हानि पहुंचा रहे है, तो ऐसे में कोरोना का खतरा और बढ़ जाता है।

जब लोग उच्च रक्तचाप या मधुमेह जैसी पुरानी बीमारियों से ग्रसित हो, इसके बावजूद वे ई-सिगरेट (वेपिंग) और धूम्रपान करते है तो ऐसे लोगों को कोविड-19 का खतरा सबसे अधिक होता है।

इसके पीछे के वैज्ञानिक सार को समझना कठिन है और अभी तक यह निश्चित नहीं है। लेकिन यह एसीई2 (ACE2) नामक एक एंजाइम से इसका सार निकल सकता है। यह फेफड़ों में कई कोशिकाओं की सतह पर रहता है और कोरोनावायरस के प्रवेश मार्ग के रूप में कार्य करता है।

साक्ष्यों से पता चलता है कि पुरानी सूजन की बीमारी वाले, कमजोर वयस्कों और ई-सिगरेट का उपयोग करने वाले या धूम्रपान करने वाले लोगों में घातक वायरस के प्रवेश द्वार के रूप में काम करने के लिए एसीई 2 रिसेप्टर में प्रोटीन की अधिकता होती है। यह शोध फ्रंटियर्स इन फार्माकोलॉजी नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

प्रोफेसर इरफ़ान रहमान के नेतृत्व में अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ़ रोचेस्टर मेडिकल सेंटर (यूआरएमसी)  के एक शोध दल ने अध्ययन किया है। शोध दल ने महामारी के दौरान अध्ययन की एक श्रृंखला प्रकाशित की, जो एसीई 2 की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताता है। जो पहले से ही कई अन्य वैज्ञानिक गतिविधियों के केंद्र में रहा है। महत्वपूर्ण सेलुलर तंत्रों को प्रभावित करने के लिए यह घातक वायरस ई-सिगरेट (वेपिंग) को नियंत्रित करता है।

प्रोफेसर रहमान की विशेष रुचि उन युवाओं की बढ़ती समस्या पर है जिनका कोरोना परीक्षण पॉजिटिव आया हैं और वे खतरनाक दर पर कोरोनोवायरस को फैला सकते हैं। यहां तक कि कुछ बड़े बच्चे और किशोर जिनके पास एसीई 2 रिसेप्टर का स्तर अधिक है, वे वायरस के लिए अधिक असुरक्षित लगते हैं। प्रोफेसर रहमान, पर्यावरण चिकित्सा, चिकित्सा (पल्मोनरी) और सार्वजनिक स्वास्थ्य विज्ञान के अध्यक्ष हैं।

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