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झारखंड की पहली आदिवासी लड़की कैसे पहुंची कुश्ती की विश्व चैंपियनशिप में?

-गांव कनेक्शन, 

आदिवासी बाहुल झारखंड के खेल इतिहास में चंचला कुमारी पाहन ने अपना नाम ऐतिहासिक रूप से दर्ज करा लिया है। वह राज्य की पहली खिलाड़ी है जो कुश्ती की विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा लेने जा रही है। गरीब आदिवासी परिवार की यह लड़की महज साढ़े 14 साल की है। रांची जिला मुख्यालय से 33 किलोमीटर दूर हटवाल गांव में बीते 22 जून से लोगों के आने-जाने का तांता लगा हुआ है। आप किसी से भी पूछेंगे कि चंचला का घर किधर है, वह सीधे इस पहलवान के घर पहुंचा देगा। कभी सांसद पहुंच रहे हैं तो कभी विधायक। कभी बुआ, मौसी लड्डू लेकर आ रही हैं तो आसपास के नेता गुलदस्ता और शॉल लेकर उसे सम्मानित करने पहुंच रहे हैं।

बीते 21 जून को दिल्ली में ट्रायल चला। ट्रायल के आखिरी दिन चंचला हरियाणा की खिलाड़ी काजल के साथ लड़ रही थी। परिणाम आते ही तय हो गया कि विश्व चैंपियनशिप में 40 किलोग्राम भार वर्ग के अंडर 15 में वह भारत का प्रतिनिधित्व करेगी। इस कैटेगरी में वह भारत की ओर से एकमात्र खिलाड़ी है। अगले दिन झारखंड के अखबारों में उसकी फोटो सहित खबरें सुर्खियां बटोर रही थी। सोशल मीडिया में उसे बधाइयां दी जा रही थीं।

झारखंड राज्य कुश्ती संघ के अध्यक्ष भोलानाथ सिंह की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, दो महीने पहले कर्नाटक के बेल्लारी में सब जूनियर नेशनल चैंपियनशिप हुई थी। उसमें ऑल ओवर इंडिया से बच्चे आए थे। सबका आपस में ट्रायल हुआ। यहां फर्स्ट, सेकेंड और दो ब्रांज मेडलिस्ट हुए। चंचला को भी यहां ब्रांज मेडल मिला। जबकि गोल्ड मेडल काजल के हिस्से आया। इन चारों मेडलिस्ट बच्चों का 21 जून को दिल्ली में आपस में मुकाबला हुआ। उसमें चंचला ने काजल को हराकर बुडापेस्ट के लिए अपनी सीट पक्की कर ली। व‌र्ल्ड कैडेट कुश्ती चैंपियनशिप 19 से 25 जुलाई के बीच हंगी की राजधानी बुडापेस्ट में होगी। बैंड बाजा के साथ हुआ पहलवान बेटी का स्वागत 23 जून को जब वह रांची रेलवे स्टेशन पर अपने कोच बबलू कुमार के साथ उतरी तो वहां मीडिया पहले से मौजूद था। यहां से वह सीधे झारखंड राज्य कुश्ती संघ के अध्यक्ष भोलनाथ सिंह से मिली और फिर घर। फूल-माला, बैंड बाजा के साथ पूरा गांव अपनी इस बेटी के स्वागत में खड़ा था।

उरांव जनजाति से तालुक रखने वाले पिता नरेंद्रनाथ पाहन कहते हैं, "मैं खेतिहर मजदूर हूं, साथ में प्लंबर का काम भी करता हूं। खेती से जो उपज होती है उसे बाजार में बेचता हूं और फिर उसी से घर चलता है।" उनको तीन बेटी और एक बेटा है। चंचला तीसरे नंबर की है। नरेंद्र नाथ पालन के पास एक एकड़ जमीन है, जिममें पति पत्नी खेती करते हैं। मां मैनो देवी भी खेती करती हैं। कहती हैं, "बेटी पहलवान है, उसको क्या हासिल हुआ है ये पूरी तरह तो नहीं मालूम, लेकिन कुछ अच्छा और बड़ा हासिल हुआ है। तभी तो घर पर इतने बड़े-बड़े लोग आ रहे हैं।" घर आए मेहममानों के स्वागत में व्यस्त मैनी देवी बस इतना चाहती हैं कि बेटी बड़ा होकर बहुत नाम करे और घर परिवार को थोड़ा सहारा दे। बीच में टोकती हुई चंचला कहती है, "साक्षी दीदी, फोगाट दीदी (साक्षी मलिक, पहलवान) लोग की तरह मेडल और फिर उसके बाद तिरंगा भी लहराना चाहती हूं।"

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