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विश्लेषण: पूरे भारत में लॉकडाउन से कितना काबू आया कोरोनावायरस?

-डाउन टू अर्थ,

भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश है, जिसने 42 दिन के लॉकडाउन का सामना किया। लगभग 130 करोड़ लोग कोरोनावायरस से होने वाली बीमारी (कोविड-19) को फैलने से रोकने के लिए अपने घरों में बंद रहे। 

दो चरणों का लॉकडाउन खत्म होने के बाद सरकारी अधिकारियों ने दावा किया कि इन लॉकडाउन से कई फायदे हुए हैं। इनमें से एक बड़ा फायदा यह हुआ कि भारत ने कोरोनावायरस के संक्रमण फैलने से काफी हद तक रोक दिया। कहा गया कि मामलों के दोगुना होने की दर में सुधार हुआ है और संक्रमण के मामले जिस तेजी से दोगुने हो रहे थे, उसमें कमी आई है। कई दफा केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल दैनिक प्रेस वार्ता में कहा कि मामलों के दोगुने होने की दर अब 12 दिन पहुंच चुकी है जो कि लॉकडाउन की शुरुआत में 25 मार्च को महज 3 दिन था। पर क्या यह सच में एक वैध संकेतक है? 

स्वाथ्य मंत्रालय की नेशनल हेल्थ सिस्टम रिसोर्स सेंटर के पूर्व प्रमुख टी सुंदरा रमन ने डाउन टू अर्थ से कहा कि इस वक़्त संक्रमण के मामले 45,000 से अधिक हैं। अब सरकार कह रही है कि इसको 90,000 पहुंचने में तीन दिन से अधिक लग रहे तो यह उनके लिए एक उपलब्धि है। हमें शुरुआती आंकड़ा भी देखना चाहिए। यह सामान्य समझ की बात है कि जब मामले सैकड़ों में होंगे तो हजारों में होने की तुलना में दोगुने होने में कम वक्त लेंगे। उन्होंने कहा कि बेहतर होगा कि हम ये देखें कि कितने दिनों में 5,000 और उससे अधिक केस जुड़ रहे हैं। 

आंकड़ों पर नजदीक से नजर डालने पर दिखता है कि 5000 केस जुड़ने के दिनों की दर घटती जा रहा है, जिससे यह संकेत मिलता है कि संक्रमण की रफ्तार कम नहीं हुई है।

संक्रमण की संख्या    अवधि
0-5000    30 जनवरी-6 अप्रैल
5000-10,454    अप्रैल 7-13
10,455–15,725    अप्रैल 14-18
15,726–20082    अप्रैल 19-21
20,082–24448    अप्रैल 22-24
24,449–29458    अप्रैल 25- 27
29,459–34866    अप्रैल 28-30
34,867–39,826    मई 1- 2
39,827–46,434    मई 2- 4
 

बढ़ते मामलों को देखना का एक और तरीका तीन दिन का औसत है। worldometers.info जो कि एक स्वतंत्र कोविड-19 के मामलों का ट्रैकर है, कहता है कि अभी भारत में 3 दिन में 3060 मामले सामने आ रहे हैं, जो कि शुरुआत में 76 थे। 

भारत दूसरे अत्यधिक प्रभावित देशों के साथ कैसे तुलना करता है? भारत से अधिक मामलों वाले 10 शीर्ष के देशों में तीन दिन में आने वाले औसत मामले सभी में कम है, सिर्फ ब्राजील और रूस को छोड़कर जिसका 3 दिन का औसत 5,386 और 10,279 है। 

इस गणना में स्पेन, यूनाइटेड किंगडम, इटली और अमेरिका को शामिल नहीं किया गया है, क्योंकि सूची में से भारत से अधिक मामले वाले देशों को बढ़ते क्रम में शामिल किया गया है।  

"हमने कर्व को सीधा (फ्लेट) कर दिया है," दो मई को लव अग्रवाल ने यह कहा। हालांकि ऊपर जो आंकड़े पेश किए गए उससे उनके दावे की पुष्टि नहीं होती। विशेषज्ञों को भी इस बात पर संदेह है। "लॉकडाउन की घोषणा जब हुई थी, तब 257 मामले थे। अब मामले 155 गुणा बढ़ चुके हैं। अगर आप उम्मीद करते हैं कि यह 200 गुणा बढ़ने वाले थे, तो यह एक तरह से अच्छी खबर बनाई गई है," मशहूर वायरोलॉजिस्ट टी जैकब जॉन कहते हैं। 

"कोई यह कैसे दावा कर सकता है कि कर्व अब सपाट हो गया है, जबकि पूरा देश लॉकडाउन में है। यह कृत्रिम रूप से पैदा की गई स्थिति है। लॉकडाउन खत्म करने के बाद सही आंकड़े सामने आएंगे," यह कहना है एक वरिष्ठ वैज्ञानिक का जो विज्ञान और तकनीक मंत्रालय में काम करते हैं। संयोगवश भारत एकमात्र देश है, जहां कोरोना मरीजों की संख्या 45,000 से अधिक होने के बाद भी दावा किया जा रहा है कि वायरस का सामुदायिक प्रसार (कॉम्युनिटी ट्रांसमिशन) शुरू नहीं हुआ है। 

इसके अलावा यह भी दावा किया जा रहा है कि भारत में मरीजों के ठीक होने की दर काफी अच्छी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक पांच मई की प्रेस वार्ता में ठीक होने की दर 27.41 थी, जबकि वैश्विक औसत 32 प्रतिशत है। पेरू जो कि संक्रमण के मामले में भारत के समकक्ष है, का ठीक होने का दर 30 फीसदी है। 

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