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मछलियों के विकास में बाधा पहुंचा रहा है महासागरों में बढ़ता कार्बन

-डाउन टू अर्थ,

हम लोग वातावरण में बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) जारी करने के लिए जिम्मेदार हैं। उस कार्बन का अधिकांश भाग समुद्र द्वारा अवशोषित हो जाता है। यूनिवर्सिटी ऑफ कनेक्टिकट (यूकोन) के शोधकर्ताओं ने पाया है कि पानी में सीओ2 की अधिकता से मछलियों का आकार छोटा हो रहा है। 

वाशिंगटन विश्वविद्यालय के शोधकर्ता क्रिस्टोफर मर्रे और मरीन साइंसेज के यूकोन एसोसिएट प्रोफेसर हेंस ब्यूमैन ने इस शोध को अंजाम दिया है। यह अध्ययन पब्लिक लाइब्रेरी ऑफ साइंस (प्लोस वन) में प्रकाशित हुआ है।

महासागर सीओ2 का काफी हिस्सा अवशोषित कर लेते हैं। मर्रे कहते हैं अनुमान है कि यह सारे सीओ2 उत्सर्जन का एक तिहाई से लेकर आधे तक अवशोषित करते है। यह वातावरण को साफ करने का एक शानदार काम करते हैं, लेकिन इसकी वजह से समुद्र में अम्लीकरण बढ़ जाता है। 

जीवन रासायनिक प्रतिक्रियाओं पर निर्भर करता है और पीएच में मामूली परिवर्तन भी कुछ समुद्री जीवों के सामान्य शारीरिक कार्यों को बाधित कर सकता है। इसलिए, महासागर का बफरिंग (कार्बन अवशोषित करना) प्रभाव भूमि-निवासियों के लिए अच्छा हो सकता है, लेकिन समुद्र में रहने वालों के लिए इतना अच्छा नहीं है।

ब्यूमैन बताते हैं कि समुद्र के अम्लीकरण के अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने माना है कि मछलियां बहुत अधिक चंचल होती हैं और बढ़े हुए सीओ2 के कारण उनकी सहनशीलता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

मर्रे कहते हैं कि मछली वास्तव में एक सक्रिय जीव हैं, इनमें एक हद तक अम्लीकरण को सहन करने की क्षमता होती है। सीओ2 के स्तर के बढ़ने के साथ-साथ यह भी बढ़ रहा है। इसलिए अम्लीकरण महासागर का एक प्रमुख तनावकर्ता के रूप में उभर रहा है।

ब्यूमैन कहते हैं कि निष्कर्ष निकालने के लिए दीर्घकालिक अध्ययन की आवश्यकता होती है, जो परीक्षण स्थितियों के बीच संभावित अंतर को मापता है। मछली के साथ अध्ययन करना कोई आसान काम नहीं है। मोटे तौर पर प्रयोगशाला में मछली पालन में तार्किक कठिनाइयां होती हैं।

उदाहरण के लिए, कई पिछले प्रयोगों में मछली के विकास पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव को नहीं देखा गया, क्योंकि उन्होंने गलती से मछली के लार्वा को बहुत अधिक भोजन दिया होगा। यह अक्सर इन नाजुक छोटे लार्वा को जीवित रखने के लिए किया जाता है। लेकिन समस्या यह है कि मछली मुसीबत में अपना रास्ता खुद तय कर खाना ढूंढ सकती है। ब्यूमैन कहते हैं इसलिए आप यह सोचकर अपने प्रयोग से दूर हो जाते हैं कि भविष्य में महासागर की परिस्थितियों में मछली की वृद्धि अलग नहीं है।

दूसरे शब्दों में कहें तो, यदि मछली अधिक कैलोरी का सेवन कर रही हैं, क्योंकि उनके शरीर अधिक सीओ2 के स्तरों जैसे तनावों का सामना करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। अधिक भोजन देने से इनके विकास के बारे में सही से पता नहीं लग पाएगा। 

इसके अतिरिक्त, पिछले अध्ययनों से निष्कर्ष निकाला गया है कि मछलियां उच्च सीओ2 स्तर से प्रभावित नहीं होती हैं, ऐसा लंबे समय से व्यावसायिक हितों की पूर्ति के लिए किया जा रहा है। 

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