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कटाव से सुरक्षा की मांग पर नदी किनारे सत्याग्रह

-इंडिया वाटर पोर्टल,

बिरजैन गांव के दर्जनों लोग पिछले हफ्ते भर से नदी किनारे सत्याग्रह पर बैठे हुए है. उनकी मांग है कि सरकार नदी के कटाव को रोकने का प्रयास कर उनके घर बचाए, वरना वे यूं ही बैठे रहेंगे और जलसमाधि ले लेंगे, बिरजैन गांव सहरसा जिले के नौहट्टा प्रखंड की सत्तौर पंचायत के अंतर्गत आती है. सत्तौर पंचायत में लगभग 3000 घर हैं. ये पंचायत बाढ़ प्रवण भी है. स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले ऐसा कटाव नहीं होता था, लेकिन वर्ष 2019 से थोड़ा बहुत कटाव शुरू हुआ, जो इस साल तेज हो गया है. सत्याग्रह में शामिल बिरजैन गांव के स्थानीय निवासी इंग्लेश कुमार ने इंडिया वाटर पोर्टल के साथ बातचीत में कहा, “अब तक 35 घर नदी में समा चुके हैं और अगर तत्काल सरकार ने कटाव रोकने के लिए ठोस प्रयास नहीं किया, तो आनेवाले दिनों में पूरी बिरजैन गांव ही नदी में समा जाएगा।”

सहरसा में मुख्य रूप से कोसी नदी से बाढ़ आती है.कोसी नदी कुछ सालों के अंतराल पर कई हिस्सों में बंटती रहती है. बिरजैन गांव से होकर जो नदी बह रही है और जिससे भयावह कटाव हो रहा है, वो भी कोसी की ही उपशाखा है. इंग्लेश कुमार कहते हैं, “ पहले हमारे गांव से होकर कोई नदी नहीं बहती थी. 10 साल पहले अचानक कोसी नदी से एक शाखा इस तरफ से बहने लगी. पहले किसी तरह का कटाव नहीं होता था, लेकिन इस बार पानी की बहाव तेज है, जिस कारण कटाव तेजी से हो रहा है। ” 

बांध पर रह रहे कटाव पीड़ित

इस कटाव से 35 घर पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं. स्थानीय मुखिया प्रभा देवी ने इंडिया वाटर पोर्टल को बताया, “कटाव पीड़ितों को सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिली है, सिवाय तिरपाल के। वे लोग तटबंध पर किसी तरह जिंदगी गुजार रहे हैं।”

मुखिया ने बताया कि लगभग 100 फीट दूरी में नदी में कटाव तेज हो रहा है और अगर सरकार तुरंत कोई कार्रवाई नहीं करेगी, तो इस साल पूरा गांव पानी में समा जाएगा. तटबंध पर रह रहे एक बुजुर्ग ने बताया,  “घर अचानक नदी में चला गया, जिससे जान के सिवा घर में रखा कोई भी सामान बचा नहीं सके। कर्जा लेकर किसी तरह परिवार का पेट पाल रहे हैं। सरकार की तरफ से हमें कोई मदद नहीं मिल रही है।”

“नदी के किनारे को करेंगे पक्का”

स्थानीय प्रशासन ने इस संबंध में बताया कि जल्द ही वहां कटाव को रोकने के लिए कदम उठाया जाएगा. ब्लॉकस्तरीय एक अधिकारी ने कहा, “गिट्टी बालू और सीमेंट से बनी चट्टान जिसे परको पाइल कहा जाता है, वो नदी के किनारे डाला जाएगा कटाव को रोकने का ये सबसे प्रभावी तरीका है. इससे मिट्टी का कटाव नहीं होता है।” उन्होंने कहा कि योजना पास हो चुकी है और युद्धस्तर पर काम शुरू किया जाएगा।

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