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LPG की तरह रेलवे में भी सब्सिडी छोड़ने के लिए 'गिव इट अप' स्कीम

नई दिल्ली। एलपीजी की तरह सरकार रेलवे टिकटों में भी "गिव इट अप सब्सिडी" स्कीम लागू करेगी। फरीदाबाद के एक यात्री के सुझाव पर रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने अगले हफ्ते से इस स्कीम को लागू करने के निर्देश रेलवे बोर्ड को दिए हैं। एलपीजी की गिव इट अप स्कीम के तहत लगभग एक करोड़ उपभोक्ताओं ने सब्सिडी का त्याग किया है। रेलवे को उम्मीद है कि उसकी स्कीम को भी ऐसा ही समर्थन मिलेगा।

स्कीम के तहत रेल यात्रियों को आरक्षण के वक्त सब्सिडी छोड़ने का विकल्प दिया जाएगा। ऑनलाइन बुकिंग में आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर यात्री से पूछा जाएगा कि क्या वह सब्सिडी छोड़ने का इच्छुक है। यदि "हां" का विकल्प अपनाया गया तो निर्धारित किराये में सब्सिडी की राशि अतिरिक्त रूप से जुड़ जाएगी।

यह स्कीम केवल उन्हीं लोगों पर लागू होगी तो इसे स्वेच्छा से अपनाना चाहेंगे। जो लोग सब्सिडी नहीं छोड़ना चाहते अथवा जिनकी स्थिति सब्सिडी छोड़ने की नहीं हैं, उनसे कोई अतिरिक्त रकम नहीं वसूली जाएगी। वे पहले की तरह सरकार से प्राप्त वित्तीय सहायता का उपयोग करते रहेंगे।

इस स्कीम का आइडिया फरीदाबाद के एक बुजुर्ग अवतार कृष्ण खेर के पत्र से मिला है। यह पत्र उन्होंने 12 जून को रेलमंत्री सुरेश प्रभु को लिखा था। पत्र में खेर ने प्रभु के समक्ष सब्सिडी छोड़ने का प्रस्ताव रखा है। उन्होंने लिखा है कि पिछले दिनों राजधानी एक्सप्रेस से जम्मू जाने और वापस आने के दौरान उन्हें यह जानकर पीड़ा हुई कि आम यात्री रेलवे पर 43 फीसद बोझ डालता है। जबसे वे घर लौटे हैं, इसे लेकर दुखी हैं।

खेर ने लिखा है कि वरिष्ठ नागरिक का दर्जा देने के लिए वे सरकार की प्रशंसा करते हैं। परंतु उनका व्यक्तिगत रूप से मानना है कि सक्षम लोगों को वित्तीय सहायता नहीं दी जानी चाहिए। पत्र के साथ खेर ने 950 रुपए का एक चेक भी भेजा है। और लिखा है कि यह राशि रेलवे ने मुझसे नहीं ली। इसलिए मैं इसे लौटा रहा हूं। मैं और मेरी पत्नी जब कभी भी यात्रा करेंगे वित्तीय सहायता का लाभ नहीं लेंगे।

गौरतलब है कि सब्सिडी के कारण ही रेलवे को हर साल यात्री सेवाओं पर लगभग 3500 करोड़ रुपए का घाटा होता है। लेकिन सामाजिक और राजनीतिक मजबूरी के चलते रेलवे यात्रियों से पूरा किराया नहीं वसूलती। घाटे की दूसरी वजह बुजुर्गों, महिलाओं, सैनिकों, विकलांगों, खिलाड़ियों आदि को मिलने वाली रियायत है। इसे समाप्त करना भी आसान नहीं है।

सब्सिडी छोड़ने से बढ़ा किराया

- लंबी दूरी की ट्रेनों में 43 फीसद सब्सिडी छोड़नी होगी।

- यदि किराया 570 रुपए हुआ तो सब्सिडी छोड़ने से 430 रुपए बढ़कर 1000 रुपए हो जाएगा।

- उपनगरीय (लोकल) ट्रेनो में सब्सिडी की राशि 63 फीसद है।

- लोकल में यदि टिकट 3.70 रुपए का है तो सब्सिडी छोड़ने पर 6.30 रुपए बढ़कर 10 रुपए का होगा।