Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/mission-solar-charkha-pilot-project-khanwan-bihar-giriraj-singh-hindi.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | वादा 50 सौर चरखा परियोजनाओं का लेकिन मई 2019 से बंद है पायलट प्रोजेक्ट | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

वादा 50 सौर चरखा परियोजनाओं का लेकिन मई 2019 से बंद है पायलट प्रोजेक्ट

-कारवां,

दक्षिण बिहार के नवादा जिले के खानवन गांव की 45 वर्षीय साधना देवी के लिए 31 जनवरी 2016 का दिन खुशियों भरा था. असल में उस दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने चर्चित रेडियो शो मन की बात में उनका जिक्र किया था. साधना ने जनवरी में प्रधानमंत्री को एक पत्र लिख गांव में सोलर या सौर चरखा केंद्र खोलने पर मोदी की प्रशंसा की थी और आभार व्यक्त किया था. उन्होंने पत्र में बताया कि कैसे उन्हें एक चरखा दिया गया है और उसके चलते उन्हें आर्थक तौर पर लाभ पहुंचा है और वह अपने पति के चिकित्सा उपचार का खर्च उठा पाने में सक्षम हो पाई हैं. लेकिन अब पांच साल बाद सोलर चरखा केंद्र बंद हो गया है. नतीजतन साधना एक बार फिर से गरीबी के चक्र में घिर गई हैं.

खानवन में सौर चरखा केंद्र लखनऊ स्थित एक गैर सरकारी संगठन द्वारा संचालित है जिसे भारतीय हरित खादी ग्रामोदय संस्थान या बीएचकेजीएस कहा जाता है. मिशन सोलर चरखा के तहत खानवन पंचायत में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में जनवरी 2016 के पहले सप्ताह में केंद्र का उद्घाटन किया गया. प्रेस सूचना ब्यूरो द्वारा अपनी वेबसाइट और अन्य प्रेस विज्ञप्तियों के अनुसार, मिशन एक "उद्यम संचालित योजना" है जिसका उद्देश्य प्रत्यक्ष रोजगार उत्पन्न करना है, खासकर युवाओं और महिलाओं के लिए, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में सतत और समावेशी विकास हो संभव हो सके और शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन को रोका जा सके. मिशन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के मंत्रालय के अंतर्गत आता है.

मिशन में "व्यक्तिगत या प्रवर्तक एजेंसी" के माध्यम से देश भर में "सौर चरखा समूहों" की परिकल्पना की गई थी. इसका मकसद 8 से 10 किलोमीटर के दायरे में "एक फोकल गांव और आसपास के अन्य गांवों" में एक क्लस्टर को विकसित करना था. इसके अलावा इस तरह के क्लस्टर में 200 से 2042 लाभार्थी (स्पिनर, बुनकर, टांके और अन्य कुशल कारीगर) होने थे. पायलट परियोजना की स्पष्ट सफलता के आधार पर 17 सितंबर 2019 को मंत्रालय ने 550 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ 50 और सौर चरखा समूहों की स्थापना को मंजूरी दी.

हालांकि, खानवन पंचायत की एक दर्जन से अधिक महिलाओं, कुछ दर्जन से अधिक कार्यकर्ता और पंचायत प्रमुख के अनुसार उक्त केंद्र मई 2019 से बंद पड़ा हुआ है. लोगों का कहना है कि महिलाओं को जो चरखे दिए गए थे वे अब बंद पड़े हैं और उनसे कोई आर्थिक लाभ नहीं मिल रहा है. उनकी पासबुक ने इस दावे की पुष्टि भी कर दी है. इनमें से अधिकांश में अंतिम प्रविष्टि मई 2019 की है. इसके अलावा सभी महिलाओं ने कहा कि उन्हें केंद्र बंद होने से पहले महीनों तक भुगतान नहीं किया गया. उन्होंने यह भी बताया कि जब से चरखे को ऋण पर दिया गया था तब से इलाहाबाद बैंक की खानवान शाखा महिलाओं पर दबाव डाल रही थी कि वे ऋण चुकाएं और न चुकाने की दशा में उन्हें ऋण अदायगी के लिए नोटिस भेजा जाएगा. महिलाओं ने कहा कि अब वे ऋण का भुगतान करने के लिए अन्य स्रोतों से कमाए पैसों का इस्तेमाल करती हैं. इनमें से कुछ ने तो यह आरोप भी लगाया कि बैंक ने कई दफा उन्हें बिना बताए खातों से पैसे काट लिए. लोगों की परेशानियों में कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन ने और ज्यादा इजाफा किया है और उनकी वित्तीय स्थिति को पहले से और ज्यादा खराब कर दिया है.

साधना ने बताया कि चरखा केंद्र को बंद हुए तकरीबन डेढ़ साल हो गए हैं. उन्होंने कहा कि जब केंद्र में काम हो रहा था तब लोग थोड़ा पैसा बना लेते थे. आर्थिक रूप से भी बहुत राहत मिल रही थी लेकिन अब हमारी स्थिति वैसी ही है जैसे चरखा केंद्र खुलने से पहले थी. बीएचकेजीएस के संस्थापक विजय पांडे ने स्वीकार किया है कि "खानवन में जिस तरह से परियोजना शुरू हुई थी उसमें कुछ कमियां थीं. कुछ गुणवत्ता नियंत्रण के मुद्दे, जिसकी वजह से यह केंद्र उस सफलता को हासिल नहीं कर सका जिसकी उम्मीद थी." इसके साथ ही पांडे लोगों के सभी आरोपों का खंडन करते हुए दावा करते हैं कि कोविड-19 के कारण केंद्र को फरवरी 2020 में बंद कर दिया गया. इसके पीछे वह सभी कर्मचारियों के घर चले जाने को बताते हैं. उनका कहना है कि केंद्र दिवाली के बाद फिर से खुलेंगे. 14 नवंबर को दीपावली भी बीत गई लेकिन 18 नवंबर तक भी केंद्र दोबारा शुरू नहीं हो सके.

खानवन में पायलट प्रोजेक्ट के एक भाग के रूप में केंद्र ने स्थानीय महिलाओं को एक सौर चरखा ऋण पर दिया गया था और उन्हें इसे चलाने के लिए प्रशिक्षण भी दिया गया था. पीआईबी द्वारा 5 मार्च 2020 को एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि खानवन पंचायत की कुल 1180 महिलाओं को इस केंद्र से चरखा दिया गया. केंद्र ने इसके साथ कपास भी दिया जिसे महिलाओं द्वारा धागे में बदल केंद्र को सौंप दिया गया. इसके बाद केंद्र करघे पर इसे प्रोसेस कर माल को आगे बेचता है. जिन महिलाओं से मैंने बात की, उनके अनुसार उन्हें एक सूत के लिए 200 रुपए की दर से भुगतान किया जाता था.

खानवान बिहार के पहले मुख्यमंत्री कृष्ण सिंह का जन्मस्थान है. खानवन गांव मुख्य रूप से भूमिहार बहुल गांव है जो बिहार की एक प्रमुख उच्च जाति है. हालांकि, पंचायत के बाकी गांवों की में ज्यादातर अन्य पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति के लोगों की बसावट है. नवादा के सांसद सत्तन सिंह लोक जनशक्ति पार्टी से हैं. हाल ही में संपन्न हुए बिहार राज्य चुनावों में लोजपा ने 243 सदस्यीय विधानसभा में सिर्फ एक सीट जीती. विधानसभा के वर्तमान सदस्य राष्ट्रीय जनता दल या राजद की विभा देवी हैं और पिछला विधायक भी इसी दल का था.

यहां सौर चरखा केंद्र खुलवाने का श्रेय भारतीय जनता पार्टी के नेता गिरिराज सिंह को जाता है. गिरिराज सिंह 2014 से 2019 तक नवादा के सांसद थे और फिलहाल बिहार के एक अन्य निर्वाचन क्षेत्र बेगूसराय का प्रतिनिधित्व करते हैं. वह केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री हैं.

स्थानीय निवासियों ने मुझे बताया कि गिरिराज, जो कि खुद एक भूमिहार हैं, ने 2015 में सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत खानवन गांव को गोद लिया था. यह योजना 2014 में मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई थी. यह एक ग्रामीण विकास कार्यक्रम है, जिसके तहत सभी दलों के सांसद चुने हुए गांव में भौतिक और संस्थागत बुनियादी ढांचे के विकास और उसे एक आदर्श ग्राम या मॉडल गांव में परिवर्तित करने की जिम्मेदारी लेते हैं और मौजूदा योजनाओं के फंड का उपयोग कर विकास कार्यों को पूरा करते हैं. इस तरह के विकास की पहली लक्षित तिथि 2019 थी. गिरिराज उस समय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के केंद्रीय मंत्री थे और उन्होंने खानवन में सौर चरखा केंद्र की स्थापना की. पांडे ने इसकी पुष्टि की. उन्होंने उत्सुकता से बताया, "वर्ष 2015 में खानवान गांव को सांसद गिरिराज सिंह ने गोद लिया था और उसके दो-तीन महीने बाद ही मैंने यहां सौर चरखा परियोजना पर काम शुरू कर दिया था. इससे पहले गया का एक एनजीओ काम कर रहा था लेकिन वह सफल नहीं हो सका. तब मैंने कार्यभार संभाला.”

हालांकि पांडे को इस तकनीक पर काम करने या सौर चरखा परियोजनाओं को चलाने का पूर्व अनुभव नहीं था. उन्होंने बताया कि उन्होंने गिरिराज सिंह की प्रेरणा और आशीर्वाद से 2016 में बीएचकेजीएस का गठन किया.
साधना के पति अरविंद सिंह ने मुझे बताया कि हाल के चुनावों में उन्होंने ग्रामीणों से इस उम्मीद में बीजेपी को वोट देने के लिए कहा था कि अगर बीजेपी नवादा में सत्ता में आई तो केंद्र फिर से शुरू हो सकता है. जब मैंने 2 नवंबर को खानवान गांव का दौरा किया तो हर जगह बीजेपी के झंडे नजर आ रहे थे. पांडे ने गिरिराज को 'दादा' बताते हुए कहा, “दादा का मंत्रालय बदल गया. अगर उसे जारी रखा गया होता तो केंद्र दोबारा शुरू हो जाता. दादा जैसा जुनून किसी ने नहीं दिखाया.”

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.