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NET NEUTRALITIY: जानिए DOT रिपोर्ट कैसे लगाएगी आपकी जेब पर चपत

नई दिल्ली। नेट न्यूट्रैलिटी पर सरकार का क्या रूख होगा इसका सबको लंबे समय से इंतजार था। गुरुवार को डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम के पैनल ने नेट न्यूट्रैलिटी पर अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है। रिपोर्ट सरसरी तौर पर नेट न्यूट्रैलिटी यानी इंटरनेट इस्तेमाल की आजादी का दावा करती है। लेकिन इसमें कई ऐसे पेंच हैं, जिन्हे अगर सरकार लागू करती है, तो इंटरनेट इस्तेमाल के फ्रीडम पर अंकुश लग जाएगा। यानी आपके लिए इंटरनेट का यूज महंगा हो जाएगा |
क्या कहती है रिपोर्ट
रिपोर्ट सरसरी तौर पर नेट न्यूट्रैलिटी के बनाए रखने की बात कहती है। उसका कहना है कि देश में अफोर्डेबल ब्रॉडबैंड, क्वॉलिटी ब्रॉडबैंड और यूनिवर्सल ब्रॉडबैंड पाने का सभी नागरिक को अधिकार है। यूजर के अधिकार बने रहना जरूरी है। इसे ध्यान में रखते हुए टेलीकॉम सेवाएं और इंटरनेट सेवाएं देने वाली कंपनियों को अपने सेवाएं देनी चाहिए। यानी यूजर क्या कंटेट भेजता है, रिसीव करता है, पोस्ट करता है, उसे लीगल रुप से इस्तेमाल करने में कोई भेदभाव का सामना नहीं करना चाहिए।
मतलब-अप्रैल में फेसबुक ने INTERNET.ORG लांच किया था। इसमें यूजर्स कुछ ही वेबसाइट् का मुफ्त इस्तेमाल कर सकते थे। जिसे नेट न्यूट्रैलिटी का उल्लंघन कमेटी ने माना है। यानी कंटेट इस्तेमाल में किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जा सकता है।
लेकिन नहीं मिलेगी इंटरनेट से फ्री कॉलिंग
कमेटी ने साफ तौर पर कहा है कि ओवर द टॉप प्लेयर्स यानी वाट्स ऐप, वाइबर जैसे एप्लीकेशन से इंटरनेट कॉल की सेवाओं को रेग्युलेट करना चाहिए। इसका सीधा मतलब है कि अभी जो आप मुफ्त में इंटरनेट कॉल की सुविधा ले रहे है, वह खत्म हो जाएगी। टेलीकॉम वाचडॉग ने ओटीटी पर कमेटी द्वारा की गई सिफारिशों पर कड़ा विरोध जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद को हटाने तक की मांग कर दी है।
रेग्युलेशन से कैसे छिनेगी आजादी
टेलीकॉम वाचडॉग के सेक्रेटरी अनिल कुमार के अनुसार कमेटी ने अपनी सिफारिशों में कई ऐसे प्रावधान लागू करने की बात कही है जिससे इंटरनेट इस्तेमाल की आजादी खतरे में पढ़ जाएगी।
वाट्सऐप से फाइल भेजने पर देने होंगे पैसे
उनके अनुसार अभी यूजर वाट्सऐप के जरिए फाइल, पिक्चर, मूवी, वॉयस नोट आदि मुफ्त में भेजते हैं। नए प्रावधान को लागू करने पर यूजर को चार्ज देना पड़ेगा। उसको केवल छोटे मैसेज मुफ्त में देने की छूट मिलेगी।
स्काइप नहीं रहेगा मुफ्त
इसी तरह अगर लोकल नेटवर्क पर स्काइप का इस्तेमाल यूजर करेगा, तो उससे टेलीकॉम कंपनी को चार्ज लेने की छूट होगी। यानी फ्री स्काइप की सुविधा आपको नहीं मिलेगी। जिसका सीधा मतलब नेट न्यूट्रैलिटी का अधिकार आपसे दूर हो जाएगा।

फेसबुक के वाइस प्रेसि‍डेंट (मोबाइल एंड ग्लोबल एक्‍सेस पॉलि‍सी) केवि‍न मार्टि‍न ने डॉट की रि‍पोर्ट पर कहा है कि‍ Internet.org एक ऐसा प्‍लेटफॉर्म है जहां इंटरनेट के इस्‍तेमाल को प्रोमोट कि‍या जा रहा है। यह ओपन और नॉन एक्‍सक्‍लूसि‍व प्‍लेटफॉर्म है। Internet.org गेटवे की तरह काम करता है न कि‍ गेटकीपर की तरह। हम डॉट के कदम का स्‍वागत करते हैं। हम सभी लोगों के साथ मि‍लकर भारत में ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों को ऑनलाइन लाने की कोशि‍श करेंगे।
इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया
एसोसिएशन का कहना है कि जीरो रेटिंग जैसे प्लान इंटरनेट की पहुंच बढ़ाने में सहायक होंगे। ऐसे में कमेटी को रिपोर्ट सभी तरह के प्लान को नेट न्यूट्रैलिटी के खिलाफ देख रही है। जो कि सहीं नहीं है, जीरो रेटिंग जैसे प्लान को नेट न्यूट्रैलिटी के पक्ष में देखना चाहिए।
ऐसे शुरू हुई थी बहस
देश में नेट न्‍यूट्रैलिटी को लेकर यह बहस तब गरम हुई जब एयरटेल ने अपना एयरटेल जीरो प्लान लांच किया था। इस प्लान में एयरटेल ने अपने नेटवर्क के जरिए ग्राहकों को कुछ वेबसाइट फ्री देने की बात की थी। इसके एवज में कई कंपनियां एयरटेल जीरो प्लान के प्लेटफॉर्म पर भुगतान देने के बाद आने को तैयार थीं। दूसरी तरफ, फेसबुक के जरिए शुरू किया गया इंटरनेट डॉट ओआरजी अभियान का मकसद 5 अरब लोगों को ऑनलाइन लाना है। इसके लिए फेसबुक ने भारत में टेक्नोलॉजी प्रमुख सैमसंग, क्वालकॉम और मोबाइल ऑपरेटर्स से हाथ मिलाने की बात कही थी। कंपनी ने हाल ही में रिलायंस कम्युनिकेशन से भी टाई-अप किया था।