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कोरोना के बाद चीन से एक और महामारी आने वाली है?

-लल्लनटॉप,

अभी तक कोरोनावायरस से छुटकारा ही नहीं मिला है, चीन से एक और वायरस आ गया है. और आशंका जताई जा रही है कि ये वायरस कोरोनावायरस की तरह ही संक्रामक है. इस वायरस में भी कोरोना की तरह ही pandemic यानी महामारी बनने की क्षमता है.

ये स्वाइन फ़्लू है. नए तरीक़े का. सोमवार को इससे जुड़ी एक रिसर्च प्रकाशित हुई है. दावा किया गया है कि आने वाले भविष्य में इस स्वाइन फ़्लू से महामारी फैल सकती है. लेकिन कुछ वैज्ञानिकों ने ये भी कहा है कि इस वायरस में हालफ़िलहाल में ऐसी कोई दिक़्क़त नहीं होने वाली है. क्या है इस वायरस का ABCD? आसान भाषा में जानिए.

स्वाइन फ़्लू क्या है?

स्वाइन का मतलब होता है सुअर. और इनसे जो फ़्लू — आम भाषा में सर्दी ज़ुकाम — होता है, उसे कहते हैं स्वाइन फ़्लू. सुअर इस स्वाइन फ़्लू के कैरियर माने जाते हैं. साल 1918 में सबसे पहली बार फ़्लू की महामारी फैली थी. उस समय स्वाइन फ़्लू की परिकल्पना सामने आयी. कैसे? क्योंकि उस समय इंसानों को सर्दी-ज़ुकाम-बुखार हो रहा था, तो सुअरों में भी यही लक्षण दिख रहे थे. 1930 में इस वायरस की पहचान की गयी. नाम दिया गया H1N1. उसके बाद लम्बे समय तक इसी H1N1 को स्वाइन फ़्लू का रीज़न माना गया. बात आगे बढ़ी. 21वीं सदी आते-आते H1N1 वायरस में जेनेटिक बदलाव देखे गए. लेकिन ये सभी बदलाव H1N1 जैसे संक्रामक नहीं थे.

वैज्ञानिकों का कहना है कि मीडिया ज़्यादा डर पैदा कर रहा है, जबकि रिसर्च पेपर ऐसा कोई डराने वाला दावा नहीं करता है.
साल 2009 में स्वाइन फ़्लू की महामारी फैली. लगभग 5 लाख लोग इस बीमारी के संपर्क में आए थे. और 18 हज़ार से ज़्यादा लोगों की इस बीमारी की वजह से मौत हुई थी.

साल 2010 में World Health Organisation (WHO) ने आधिकारिक बयान दिया कि स्वाइन फ़्लू की महामारी ख़त्म हो गयी है. लेकिन साल 2015 में भारत में स्वाइन फ़्लू के लगभग 31 हज़ार मामले सामने आए. और 1800 से ज़्यादा लोगों की इस बीमारी की वजह से मौत हो गयी.

ये फैलता कैसे है?

स्वाइन फ़्लू सुअरों में साथ रहने से, झुंड में रहने से फैलता है. साथ ही ये उन इंसानों को जल्दी संक्रमित करता है जो पोल्ट्री फ़ार्म या सुअर पालन का काम करते हैं. ऐसे इन्फ़ेक्शन को Zoonotic इन्फ़ेक्शन कहते हैं, मतलब किसी ग़ैरमनुष्य जानवर से मनुष्य को होने वाला इन्फ़ेक्शन. अब पोल्ट्री फ़ार्म में किसी व्यक्ति को सुअरों से स्वाइन फ़्लू का इन्फ़ेक्शन हो गया, तो जैसे कोरोनावायरस का इंफ़ेक्शन सांस के रास्तों से होता है, ठीक वैसे ही स्वाइन फ़्लू का इन्फ़ेक्शन भी सांस के रास्तों से दूसरे लोगों को हो सकता है. और बचाव का तरीक़ा भी वही है. हाथ धोईए. साफ़-सफ़ाई रखिए. आंख-नाक-मुंह-कान और चेहरा न छुएं. ध्यान रहे कि ये खाने के सामानों से नहीं फैलता है. अगर आप सुअर का मांस या कोई भी मांस खाते हैं, उससे स्वाइन फ़्लू नहीं फैलता है. लेकिन फिर भी हिदायत दी जाती है कि खा रहे हैं तो साफ़-सफ़ाई से खाइए.

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