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‘क्या करें... खिचड़ी खाने तक का चावल अब नहीं बचा है’

-न्यूजलॉन्ड्री,

‘खाना हम लोगों को भी नहीं मिल रहा है. हम लोग गुजरात में फंसे हुए हैं. अब तो खिचड़ी भी खाने तक का चावल नहीं बचा है. पैसे भी नहीं हैं. समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें?’’

फोन पर यह बात कहकर गुजरात में फंसे बिहार के सीतामढ़ी जिला के रहने वाले राजेश राय यादव सुबकने लगते हैं.

राजेश राय अहमदाबाद से 30 किलोमीटर दूर बाबला जीआईडीसी में फंसे हुए हैं. उनके साथ बिहार के अलग-अलग जिलों के 40 से ज्यादा मजदूर हैं जो यहां एलबी टेक्स नामक की कंपनी में काम कर रहे थे. इस कंपनी में कपड़ा बनता था. लॉकडाउन के बाद से कंपनी बंद है.

कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू की घोषणा की थी. इसके बाद से कंपनी बंद हो गई.

लॉकडाउन की घोषणा के बाद लोगों का घर से बाहर निकलना बंद हो गया. राजेश के पास जो राशन था उसे ही, वो लोग खा रहे थे. अब वह भी खत्म हो गया है. उनके साथ मौजूद मजदूरों का कहना है- ‘‘अब घर लौटने के अलावा हमारे पास कोई रास्ता नहीं बचा है. घर लौटने की भी कोई सुविधा नहीं है ऐसी हालात में हम लोग पैदल ही जाएंगे.’’

छपरा जिले के रहने वाले 24 वर्षीय अनिल कुमार भी उन मजदूरों में से एक हैं जो यहां फंसे हुए हैं. इनकी मई महीने में शादी होने वाली है. शादी में पैसे की ज़रूरत को देखते हुए ये दो महीने पहले अहमदाबाद कमाने के लिए आए थे, लेकिन अब यहां फंस गए हैं.

अनिल कहते हैं, ‘‘कंपनी बंद होने के बाद परेशानी बढ़ गई है. रूम पर बैठे रहते हैं. खाने पीने का राशन जो था वो बनाते थे और खाते थे लेकिन अब वो राशन खत्म होने वाला है. गांव के आसपास लोगों ने दो दिन तक खाने को दिया लेकिन अब वो भी नहीं मिल रहा है.’’

ये मजदूर अहमदाबाद से दूर एक गांव में रहते हैं. इनके कमरे में सात से आठ घंटे ही बिजली रहती है. जब मैं इनसे बात कर रहा था तब इनके यहां बिजली नहीं थी.

अनिल कहते हैं, ‘‘यहां सात से आठ घंटे बिजली रहती है. कंपनी में काम करते थे तो दिनभर उधर रहते थे. रात को लौटते थे और खाना बनाकर खाकर सो जाते थे. परेशानी नहीं होती थी लेकिन अब दिनभर बैठना पड़ता है. गर्मी भी बढ़ गई है, इसलिए परेशानी हो रही है. फोन भी ठीक से चार्ज नहीं कर पा रहे हैं.’’

यहां एक कमरे में नौ से दस मजदूर रहते हैं और इसके लिए 2,500 रुपए किराया देते हैं. मजदूर कहते हैं, ‘‘एक कमरे में दस-दस लोग रहते हैं. आदमी कितना राशन खरीद कर रख सकता है. घर पर रहने पर इंसान ज्यादा खाना खाता ही है. बहुत दिक्कत हो गई है.’’

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