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कोरोना वायरस: उत्तराखंड के भुतहा गांवों में भी लौटे प्रवासी

-न्यूजलॉन्ड्री,

पिछले कई सालों से खाली पड़े उत्तराखंड के कई गांवों में अब लोग लौटने लगे हैं. अब तक इन भुतहा हो चुके गांवों में 564 लोगों के वापस लौट आने की ख़बर है. ये वे लोग हैं, जिन्हें राज्य सरकार ने विभिन्न साधनों से उनके गांवों तक पहुंचाया है. अन्य साधनों से अपने इन भुतहा गांवों में पहुंच चुके लोगों की संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है.

उत्तराखंड ग्रामीण विकास एवं पलायन आयोग की सितम्बर- 2019 में जारी रिपोर्ट के अनुसार पिछले 10 वर्षों में राज्य के 700 गांव पूरी तरह से खाली हो चुके हैं और इस दौरान 1.19 लाख लोग एक बार गांव छोड़ने के बाद दोबारा वापस नहीं लौटे. कोरोना लॉकडाउन के बाद इनमें से भी कई लोगों के वापस अपने गांव लौट आने की संभावना जताई जा रही है.

स्वतंत्र टिप्पणीकार और राजनीतिक विश्लेषक योगेश भट्ट कहते हैं कि बड़ी संख्या में लोगों का गांवों की तरफ लौटना एक अच्छा संकेत हो सकता है. वे मानते हैं कि आने वाले दिनों में पहाड़ लौटने वाले लोगों की संख्या बढ़ सकती है. हालांकि प्रशासनिक स्तर पर इन लोगों का अभी तक कोई रिकॉर्ड नहीं रखा जा रहा है. अब शासन ने सभी ग्राम प्रधानों को अपने-अपने गांवों में लौटे लोगों की सूची बनाकर जल्द से जल्द प्रशासन को सौंपने का निर्देश दिया है.

इस काम में अभी एक सप्ताह का समय लगने की संभावना है. कोविड-19 की दहशत के बीच भुतहा गांवों के साथ ही अन्य गांवों के लोग भी बड़ी संख्या में वापस लौट रहे हैं, लेकिन इससे गांवों में एक अजीबो-गरीब समस्या पैदा हो गई है. गांवों में रह रहे लोग फिलहाल बाहर से लौटे इन लोगों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं. कुछ गांवों में ऐसे लोगों के साथ दुर्व्यहार किये जाने की भी खबरें आ रही हैं.

ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे लोग जो सालों से गांव नहीं आए हैं, अब बीमारी लेकर यहां आ रहे हैं. लगभग हर जिले में प्रशासन को ऐसी शिकायतें मिल रही हैं, जिनमें कहा गया है कि बाहर से आये हुए लोग खुद को क्वारंटाइन करने के बजाय खुले घूम रहे हैं. कुछ शिकायतों में कहा गया है कि हाथ में क्वारंटाइन की मुहर लगे कुछ लोग यह कहकर ग्रामीणों को गुमराह कर रहे हैं कि वे पूरी तरह से स्वस्थ हैं, इसलिए यह मुहर लगी है. ऐसे लोग खुलेआम गांवों में घूम रहे हैं.

प्रशासन ऐसी शिकायतों के निवारण और वस्तुस्थिति जानने के लिए अभी तक कोई ठोस क़दम नहीं उठापाया है. बाहर से आए हुए लोगों पर नज़र रखने के लिए कुछ गांवों में निगरानी समितियां बनाई गई हैं.

रुद्रप्रयाग जिले के पिल्लू गांव की ग्राम प्रधान लता देवी ने बताया कि उनके गांव में करीब एक दर्जन लोग शहरों से लौटे हैं. सूचना मिली थी कि वे लोगों से मिलजुल रहे हैं, इसके तत्काल बाद उन्होंने गांव में गणमान्य लोगों की एक कमेटी बना दी है. कमेटी के सदस्यों ने सभी बाहर से आने वालों को समझा दिया है और अब वे पूरी तरह से सहयोग कर रहे हैं.

इसी जिले के तुनगा गांव में भी ग्राम प्रधान की देख-रेख में ऐसी समिति का गठन किया गया है, जो बाहर से आये लोगों पर नज़र रख रही है. चमोली जिले के घाट विकासखंड के दूरस्थ रामणी गांव के ग्राम प्रधान सूरज सिंह पंवार का कहना है कि उनके गांव की कुल आबादी का आधा से बड़ा हिस्सा रोजी-रोटी और अन्य कारणों से बाहर है, लेकिन इन दिनों ज्यादातर लोग वापस आ गये हैं.

उनका कहना है कि कुछ लोग क्वारंटाइन के नियम का पालन नहीं कर रहे थे. ऐसे लोगों के साथ सख्ती से पेश आना पड़ा है. उनकी जबरन जांच करवाई जा रही है और एक समिति बनाकर उन पर नज़र रखी जा रही है. पंवार का कहना है कि फिलहाल जो स्थिति है, उसे देखते हुए न चाहते हुए भी ऐसा करना पड़ रहा है. रुद्रप्रयाग जिले के डालसिंगी गांव की ग्राम प्रधान आशा देवी केअनुसार गांव में कई लोग बाहर से आये हैं. उन्हें खुद को पूरी तरह से अलग रखने की सख्त हिदायत देने के साथ ही स्वास्थ्य जांच करवाने के लिए कह दिया गया है.

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