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स्थानीय बनाम बाहरी: मानेसर में प्रवासी मजदूरों पर हमला

-न्यूजलॉन्ड्री,

“सर, उन्होंने कृष्णा का हाफ मर्डर कर दिया है. पहले कमरे में मारे और फिर बाहर ले जाकर सरिया से सर पर मार दिया. उसका ढेर सारा खून तो डेरा (कमरा) पर ही गिर गया था. बिना देखे मार रहे थे वे लोग.”

बिहार के छपरा जिले के रहने वाले 24 वर्षीय छोटू कुमार यह बात हमें बताने के बाद चुप हो जाते हैं. दहशत से भरी उनकी चुप्पी में उनकी असहायता को महसूस किया जा सकता है.

छोटू हिंदी और भोजपुरी की मिलीजुली जुबान में बताते हैं, ‘‘सुबह ग्यारह बज रहा था. मैं और कृष्णा एक ही थाली में चावल और आलू-सोयाबीन की सब्जी खा रहे थे. गेट खुला था तभी हंगामा शुरू हो गया. 20 से 25 लोग कमरे में आ गए. उनके हाथ में हॉकी, रॉड और सरिया था. बिना कुछ पूछे उन्होंने मारना शुरू कर दिया. जैसे-तैसे मैं बचकर भागा लेकिन कृष्णा फंस गया. उसे बाहर घसीटकर ले गए और सर पर सरिया से मार दिया. वो अधमरा हो गया.’’

हरियाणा के औद्योगिक नगर मानेसर में रहने वाले प्रवासी मजदूर एक तरफ कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन के चलते काम और पैसे की तंगी से जूझ रहे हैं तो दूसरी तरह उन्हें यहां के स्थानीय निवासियों की बेहरमी का भी शिकार होना पड़ रहा है.

मानेसर में रहने वाले मजदूरों और स्थानीय लोगों के बीच टकराव की खबरें अक्सर आती रहती हैं लेकिन बीते आठ अप्रैल को जो हुआ वह हैरान करने वाला है. यह घटना ऐसे वक्त में घटी है जब लॉकडाउन के कारण सबकुछ रुका हुआ है, लोगों को घरों में रहने की हिदायत है, हर जगह पुलिस तैनात है, लोगों को घरों से नहीं निकलनेकी सलाह दी जा रही है.

मानेसर के अलियरपुर इलाके में हज़ारों की संख्या में प्रवासी मजदूर रहते हैं जो यहां मारुति और उसके पार्ट्स बनानी वाली अलग-अलग कंपनियों में नौकरी करते हैं.

कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा 24 मार्च से देशभर में 21 दिनों के लिए किए गए लॉकडाउन के बाद बहुत सारे मजदूर तो पैदल ही अपने घरों के लिए निकल गए थे, लेकिन काफी संख्या में मजदूर अभी भी यहां फंसे हुए हैं.

लॉकडाउन की घोषणा के बाद इन मजदूरों का काम-धंधाबंद हो गया है. वेअपने किराये के कमरों में ही क़ैद होकर रह गए हैं. अलियरपुर गांव में एक चार मंजिला बिल्डिंगहै जिसका नाम है बीजीआर. इस बिल्डिंग में सात सौ के करीब प्रवासी मजदूर रहते हैं. एक कमरे में तीन से चार मजदूर रहते हैं और किराये के रूप में 3500 रुपए महीना देते हैं. बीती आठ अप्रैल को इसके अंदर 30 से 35 स्थानीय युवक घुस गए और वहां मौजूद मजदूरों पर हमला कर दिया.

इस पिटाई में आठ मजदूर घायल हुए हैं लेकिन सबसे ज्यादा चोट सिवान जिले के नौतन के रहने वाले कृष्ण कुमार प्रसाद को लगी है. इन्हें गुरुग्राम के पारस अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां से प्राथमिक इलाज के बाद उन्हें मारुति के अधिकारियों ने किसी सुरक्षित जगह पर भेज दिया है. कृष्ण कुमार मारुति में ही काम करते हैं.

क्यों हुई मारपीट

मारपीट क्यों हुई? हमने फोन पर छोटू से यह बात पूछी तो वो बताने लगा, ‘‘हमारे घर के सामने बिहार के आरा जिले का एक मुस्लिम परिवार सब्जी की दुकान लगाता है. हम लोग भी उनसे ही सब्जी लेते है. सात अप्रैल की शाम को कुछ लड़के सब्जी लेने गए थे. उसी समय गांव केस्थानीय लड़कों ने सब्जी बेचने वाली महिला और उसके पति को पीटना शुरू कर दिया. वहां जो अन्य लोग सब्जी ले रहे थे उन्हें भी मारने लगे.हमलावर लड़कों ने सब्जी की दुकान बंद करने को बोला. हम लोग वहीं मौजूद थे, झगड़ा होता देख हम लोगों ने हस्तक्षेप किया कि क्यों मार रहे हो. इस पर उन लड़कों ने गाली देते हुए अगले दिन देख लेने की धमकी दी. ये कहकर वे लोग चले गए.’’

इस धमकी को उस समय वहां रहने वाले मजदूरों ने गंभीरता से नहीं लिया.

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