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चना, अरहर और मक्का किसानों को नहीं मिल रहा समर्थन मूल्य, सरकारी खरीद नाममात्र की

-आउटलुक,

मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत दलहन और तिलहन की खरीद सीमित मात्रा में होने के कारण किसानों को चना, अरहर, मक्का और सरसों न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 300 से 1,075 रुपये प्रति क्विंटल तक नीचे भाव पर बेचनी पड़ रही है। केंद्र सरकार पीएसएस के तहत दलहन और तिलहन की खरीद कुल उत्पादन का 25 फीसदी तक करती है। नेफेड अरहर, चना और सरसों की खरीद कर भी रही है, लेकिन कुल उत्पादन के मुकाबले खरीद नाममात्र की ही हो रही है। इस कारण किसानों को मजबूरन अपनी उपज समर्थन मूल्य से नीचे भाव पर बेचनी पड़ी रही है।

नेफेड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पीएसएस के तहत उत्पादक राज्यों की मंडियों से 9.03 लाख टन चना, 5.05 लाख टन अरहर और 6.32 लाख टन सरसों की खरीद हुई है। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस को देखते हुए, रबी फसलों के लिए पीएसएस के तहत दैनिक खरीद की सीमा 25 क्विंटल से बढ़ाकर 40 क्विंटल प्रतिदिन कर दी गई है। चना की खरीद आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश और हरियाणा से की जा रही है जबकि अरहर की खरीद तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गुजरात और ओडिशा से की गई है। सरसों की खरीद राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात और हरियाणा से की गई है। मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में किसानों से पीएसएस योजना के तहत चना, मसूर और सरसों की खरीद की समय सीमा को 30 मई से बढ़ाकर 10 जून करने का फैसला लिया है।

पीएसएस योजना के तहत तय मात्रा 25 फीसदी के मुकाबले खरीद कम

कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू रबी में चना की पैदावार 109 लाख टन होने का अनुमान है जबकि अभी तक खरीद हुई है केवल 9.03 लाख टन की, यानि कुल उत्पादन का केवल 8.29 फीसदी। इसी तरह अरहर के उत्पादन का अनुमान 35.5 लाख टन का है जबकि खरीद हुई है केवल 5.05 लाख टन की जो कुल उत्पादन का केवल 13.47 फीसदी ही है। सरसों की समर्थन मूल्य पर खरीद हुई है 6.32 लाख टन की जबकि उत्पादन अनुमान है 87.03 लाख टन का। कुल उत्पादन की केवल 7.27 फीसदी सरसों की खरीद ही अभी तक हो पाई है। मक्का की समर्थन मूल्य पर खरीद हो नहीं हो रही है जबकि मक्का के उत्पादन का अनुमान चालू रबी सीजन में 88 लाख टन का है।

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