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पंजाब सरकार का ड्रग्स के खिलाफ युद्ध का पाखंड

-कारवां,

दिसंबर 2015 में पंजाब का बठिंडा जिला तरह-तरह की गतिविधियों की हलचल से भरा था. राज्य में शिरोमणि अकाली दल की सरकार थी और प्रकाश सिंह बादल मुख्यमंत्री थे. अभी नई-नई बनी आम आदमी पार्टी दिल्ली के अपने इलाके से बाहर जमने के लिए हाथ-पैर मार रही थी और इस कोशिश में थी कि राष्ट्रीय राजनीति में उसका दखल हो सके. मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस 2017 के विधानसभा चुनावों के अपने अभियान की शुरुआत कर रही थी और इसके लिए उसने पवित्र शहर तलवंडी साबो में अपनी ताकत का प्रदर्शन करने के लिए एक विशाल रैली का आयोजन किया था. इस सभा में अमरिंदर सिंह को भाषण देना था जिन्होंने अभी ही पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष का पद संभाला था. एक महीने पहले ही राज्य के उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने दावा किया था कि अमरिंदर सिंह यहां भीड़ नहीं जुटा सकेंगे. बठिंडा बादल परिवार का गढ़ माना जाता है.

मंच पर कांग्रेसी सदस्यों की भीड़ जमा थी जो अपनी जगह बनाने के लिए धक्का-मुक्की कर रहे थे. इन सबके बीच अमरिंदर सिंह खड़े थे. उन्होंने हाथ धोने के लिए पानी मांगा. इसके बाद अपने एक सहयोगी से उन्होंने कहा कि वह पवित्र ग्रंथ गुटका साहिब की एक प्रति उन्हें पकड़ा दें जिसमें सिख धर्म से संबंधित भजन होते हैं. नीले आवरण वाली इस पुस्तक को बाएं हाथ में पकड़ कर ऊपर तक लहराते हुए उन्होंने तेज आवाज में कहा, "यह हमारे हाथ में गुटका साहिब है और सामने यहां से 3 किलोमीटर की दूरी पर दमदमा साहिब है." दमदमा साहिब सिख धर्म का एक पवित्र केंद्र है. इसके बाद अमरिंदर सिंह ने कुछ शानदार वायदे किए.

दिसंबर 2015 में बठिंडा में एक रैली में अमरिंदर सिंह ने सत्ता में आने पर चार सप्ताह के भीतर नशीली दवाओं के खतरे को खत्म करने का वादा किया था.. दिसंबर 2015 में बठिंडा में एक रैली में अमरिंदर सिंह ने सत्ता में आने पर चार सप्ताह के भीतर नशीली दवाओं के खतरे को खत्म करने का वादा किया था.. 
दिसंबर 2015 में बठिंडा में एक रैली में अमरिंदर सिंह ने सत्ता में आने पर चार सप्ताह के भीतर नशीली दवाओं के खतरे को खत्म करने का वादा किया था.
"चार हफ्ते बिच नशे दा लत तोड़ के छड्डू" यानी मैं चार हफ्ते के अंदर नशे की आदत की कमर तोड़ कर रख दूंगा. उनकी इस घोषणा का भीड़ ने हर्ष ध्वनि से स्वागत किया. उन्होंने यह भी कहा कि वह भ्रष्टाचार का खात्मा कर देंगे, नौजवानों में बेरोजगारी कम करेंगे और बादल सरकार द्वारा कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के खिलाफ थानों में दर्ज सभी एफआईआर को रद्द कर देंगे. उन्होंने कहा, "मैंने अपने दसवें गुरु की कसम खाकर यह सारा कुछ करने की प्रतिज्ञा की है" और यह कहते हुए उन्होंने एक बार फिर गुटका साहिब को हवा में लहराया. उन्होंने आगे कहा, "अगर आप जानना चाहते हैं कि यह सब कुछ मैं कैसे कर सकूंगा तो इसका जवाब केवल समय ही दे सकता है."

यह एक नाटकीय घटना थी जिसे पंजाब का मतदाता शायद ही कभी भूल सके. रैली में कई बार उनके नाम के साथ वक्ताओं ने "भावी मुख्यमंत्री" शब्द जोड़ा. अगले वर्ष 2016 में पूरे साल आम आदमी पार्टी ने भी ड्रग के मुद्दे को सामने रखकर सरकार पर दबाव बनाया और अनेक वायदे किए. पार्टी ने अमरिंदर सिंह पर आरोप लगाया कि पंजाब में नशीले पदार्थों के सेवन से उत्पन्न संकट से जुड़े अत्यंत विवादास्पद व्यक्ति बिक्रम सिंह मजीठिया के प्रति अमरिंदर सिंह काफी नरमी बरतते हैं. बिक्रम सिंह मजीठिया सुखबीर सिंह बादल के बहनोई हैं. उन दिनों मजीठिया राजस्व मंत्री के पद पर थे और आने वाले चुनाव में अपने गढ़ मजीठा से खड़े होने वाले थे. आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नशीले पदार्थों (ड्रग) के धंधे में लिप्त होने का उन पर खुलकर आरोप लगा रहे थे. इससे पहले किसी ने इतने खुले ढंग से सार्वजनिक तौर पर उन पर ऐसा आरोप नहीं लगाया था. अगस्त 2016 में अमरिंदर सिंह को भी मजबूरी में कांग्रेस की एक रैली में कहना पड़ा कि "अगर कांग्रेस ने 2017 में सरकार बना ली तो मैं बिक्रम सिंह मजीठिया को जेल के सीखचों के अंदर डाल दूंगा."

चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली और मार्च 2017 में अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री का पद संभाल लिया. उसी महीने पंजाब सरकार ने ड्रग्स के खिलाफ स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया और पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक हरप्रीत सिंह सिद्धू को इसका प्रमुख बनाया. सिद्धू की यह नियुक्ति बड़े तामझाम के साथ की गई. सिद्धू को खास तौर पर छत्तीसगढ़ से यहां लाया गया था जहां वे ऐंटी इनसरजेंसी के डेपुटेशन पर भेजे गए थे. एसटीएफ के नियमों के अनुसार उन्हें पुलिस महानिदेशक को नहीं बल्कि सीधे मुख्यमंत्री को अपनी रिपोर्ट देनी थी.

एसटीएफ ने काफी शोर-शराबे के साथ अपना काम शुरू किया. पंजाब सरकार की एक प्रेस रिलीज के अनुसार राज्य में ड्रग से संबंधित 36 हजार से अधिक मामले दर्ज किए गए, 45 हजार से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया और तमाम प्रतिबंधित पदार्थों के साथ 13 सौ किलोग्राम से अधिक हेरोइन जब्त की गई. सिद्धू ने हमें जो आंकड़े दिए वह कई गुना बढ़ा कर दिए गए थे: तकरीबन 50 हजार मामले दर्ज किए गए थे और 2017 से इस वर्ष मई के बीच 64 हजार से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया था. उल्लेखनीय बात यह है कि लगभग 200 मामले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दर्ज किए गए. लेकिन चार किलोग्राम हेरोइन रखने और नशे का कारोबार करने वालों के साथ सांठगांठ करने के आरोप में इंदरजीत सिंह नाम के पुलिस इंस्पेक्टर की गिरफ्तारी के बाद से तरह-तरह की अड़चनें सामने आने लगीं जो पंजाब की ड्रग समस्या की छानबीन करने वाले किसी भी व्यक्ति को महसूस हो रही थी.

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