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लॉकडाउन का पालन नहीं किया तो आपके खिलाफ क्या कानूनी कार्रवाई हो सकती है?

-सत्याग्रह,

कोरोना वायरस से पैदा हुए संकट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक बार फिर देश को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि सरकार ने पूरे देश को लॉकडाउन करने का फैसला किया है. यह लॉकडाउन 21 दिनों तक यानी 14 अप्रैल तक जारी रहेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह भी कहा कि यह लॉकडाउन ‘जनता कर्फ्यू’ से एक कदम आगे की बात है और इसे कर्फ्यू जैसा ही समझा जाए.

प्रधानमंत्री के इस संबोधन के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लॉकडाउन को लेकर दिशा निर्देश जारी किए हैं. इनमें बताया गया है कि लॉकडाउन के दौरान कौन-सी सेवायें जारी रहेंगी और कौन सी बंद रहेंगी. इनमें यह भी बताया गया है कि जो लोग दिशा निर्देशों का पालन नहीं करेंगे, उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जायेगी. यह कार्रवाई इंडियन पीनल कोड यानी भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-188 के तहत होगी.

आईपीसी की धारा-188 क्या है?

धारा-188 का संबंध 123 साल पहले बने कानून ‘महामारी रोग अधिनियम-1897’ से है. इस कानून को लॉकडाउन के आदेशों का उल्लंघन करने वालों पर कानूनी कार्रवाई के मकसद से बनाया गया था. इस कानून का उल्लंघन करने वालों के लिए आईपीसी की धारा-188 में सजा का प्रावधान किया गया है.

धारा-188 में कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति महामारी रोग अधिनियम के तहत जारी आदेश का पालन नहीं करता और इसके चलते किसी सरकारी व्यक्ति के काम में बाधा पहुंचती है या वह चोटिल होता है, तो एक महीने की जेल या जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं. जुर्माना अधिकतम 200 रुपये तक हो सकता है.

यही नहीं, अगर आदेश की यह अवज्ञा मानव जीवन, स्वास्थ्य या सुरक्षा के लिए खतरा बनती है या फिर किसी दंगे का कारण बनती है, तो अवज्ञा करने वाले व्यक्ति को छह महीने की जेल या एक हजार रुपये जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.

हालांकि, इस मुद्दे से जुड़े कुछ मामलों की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी कहा है कि महामारी रोग अधिनियम के तहत जारी आदेश की अवज्ञा करने भर से किसी व्यक्ति को धारा-188 के अंतर्गत दण्डित नहीं किया जा सकता. अधिकारियों को यह साबित करना भी जरुरी है कि उसकी अवज्ञा के चलते वाकई नुकसान (धारा में बताया गया नुकसान) हुआ है.

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