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SC को Aadhar की सूचना के दुरुपयोग की चिंता

नई दिल्ली। आधार मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एकत्रित सूचना के दुरुपयोग की आशंका का जिक्र करते हुए कहा कि अगर हर लेनदेन (ट्रांजेक्शन) में बायोमैट्रिक सत्यापन होगा तो बहुत-सी सूचना एकत्रित होगी जिनका दुरुपयोग हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि इसके लिए डाटा प्रोटेक्शन बहुत जरूरी है।

यह टिप्पणी आधार की वैधानिकता पर सुनवाई कर रही पांच न्यायाधीशों की पीठ ने बुधवार को की। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है। जब यूआइडीएआइ की ओर से पेश वकील राकेश द्विवेदी आधार के पक्ष में दलीलें दे रहे थे और आधार को निरस्त करने की मांग का विरोध कर रहे थे, तब पीठ ने सवाल किया कि अगर हर ट्रांजेक्शन में बायोमैट्रिक सत्यापन किया जाएगा तो हर बार मेटा डेटा क्रिएट होता है।

पीठ ने कहा कि अकेले अंगुलियों के निशान से कोई सूचना की जानकारी नहीं मिलती, लेकिन जब इसे अन्य जानकारी से जोड़ा जाता है तो बहुत सारी सूचना एकत्रित होगी। इसका दुरुपयोग हो सकता है जिसमें सर्विलांस भी शामिल हैं। कोर्ट ने कहा कि इसके लिए डाटा प्रोटेक्शन बहुत जरूरी है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि मान लें किसी का जन्म से आधार सत्यापन हो तो पहले उसका नर्सरी में एडमीशन, फिर पहली नौकरी, फिर विदेश यात्रा यानी बहुत सारी जानकारी एकत्रित हो जाती है। इनका दुरुपयोग हो सकता है। इसके जवाब में द्विवेदी ने कहा कि बहुत से मामले में सिर्फ एक बार ही सत्यापन होता है, जैसे पैन कार्ड, मोबाइल सिम आदि।

सामान्य कानून की तरह हो जांच

कोर्ट ने डाटा सुरक्षा के लिए अतिरिक्त उपाय पर सवाल पूछा तो द्विवेदी ने कहा कि कोर्ट इस मामले में बहुत ज्यादा आगे जाकर (कल्पनाशील होकर) विचार कर रहा है। कोर्ट को इसे सामान्य कानून की तरह परखना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई भी चीज शत प्रतिशत खामी रहित नहीं होती। कानून का परीक्षण वाजिब आधार पर होना चाहिए। इन दलीलों पर पीठ ने कहा कि वे सिर्फ सेफ गार्ड की बात कर रहे हैं। द्विवेदी ने कहा कि भविष्य में भी कोर्ट इस कानून की समीक्षा कर सकता है।

देशभर में स्वीकार्य पहचानपत्र

इससे पहले आधार को सही ठहराते हुए द्विवेदी ने कहा कि आधार देश भर में स्वीकार्य पहचानपत्र है। किसी भी राज्य का निवासी दूसरे राज्य में जाकर इसे पहचान पत्र की तरह इस्तेमाल कर सकता है। अगर कोर्ट को आधार में कुछ कमी नजर आती है तो कोर्ट उसके बारे में दिशानिर्देश तय कर सकता है लेकिन याचिकाकर्ताओं की आधार को खारिज करने की मांग सही नहीं है। द्विवेदी ने कहा कि ये आरोप गलत हैं कि आधार कार्ड न होने की वजह से लोगों को सुविधाओं के लाभ से वंचित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आधार कानून की धारा-7 में कहा गया है कि आधार कार्ड न होने से किसी को सामाजिक कल्याण की योजनाओं के लाभ से वंचित नहीं किया जाएगा। ऐसे मामलों के तरीके उसमें दिए गए हैं लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि आधार कार्ड बनाया ही न जाए। आधार मामले में सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी।