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Resource centre on India's rural distress
 
 

सेंसर-आधारित प्रणाली से ग्रामीण क्षेत्रों मे पानी की समस्या होगी दूर

-इंडिया वाटर पोर्टल,

भारत जल शक्ति मंत्रालय ने ग्रामीण इलाकों में पानी की व्यवस्था और भविष्य की स्थिति जानने के लिये विभिन्न राज्यों में सेंसर आधारित प्रणाली की शुरुआत की है। 

राज्य और केंद्र के सर्वरों में भेजे जाएंग  आकड़े 

इस प्रोजेक्ट के तहत जमीनी स्तर से  आकड़े जुटाए जाएंगे।  उसके बाद उसे राज्य और केंद्र के सर्वरों में  भेजा जाएगा। ताकि इसका इस्तेमाल पानी की आपूर्ति की  मात्रा,गुणवत्ता और नियमितता को आकनें के लिए किया जा सके। इसके अलावा ये  पानी की आपूर्ति में कमी और पानी की कमी को भी सुनिश्चित  कर काफी लंबे समय तक पानी की गुणवत्ता और मात्रा की जांच भी करेगा।

जल शक्ति मंत्रालय द्वारा एक बयान के अनुसार राज्य केंद्र सर्वरों  को डाटा भेजने का एक फायदा  यह भी होगा की समय के साथ विभिन्न समूह में पानी की मांग के स्वरूप  का आकलन करने में मदद मिलेगी साथ ही  इसका इस्तेमाल, मांग प्रबंधन को पानी की स्थिति की सटीक जानकारी,गैर-राजस्व पानी को कम करने और गांवों में पानी की आपूर्ति का उचित और प्रभावी प्रबंधन ,संचलान और रखरखाव के लिए किया जायेगा। 

नई तकनीकी का भी किया जा रहा है  प्रयोग 

हाल ही में तकनीकी में भी काफी प्रगति हुई है जैसे 'इंटरनेट ऑफ थिंग्स' जिसे IOT के रुप मे जाना जाता है ( इस तकनीक का इस्तेमाल सभी गैजेट्स और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को इंटरनेट के माध्यम से आपस में जोड़ने के लिए किया जाता है)

 'बिग डाटा एनालिटिक्स' ( एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें डेटा के बहुत बड़े समूह को एकत्रित करना, निर्माण करना,आकलन करना जिससे हिडन पैटर्न तथा उपयोगी सूचना को ढूंढा जा सके।. इसका सबसे बड़ा उदाहरण फेसबुक है जो अपने डेटा बेस में करीब 500 टेराबाइट हर दिन सेव करता है), 'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस' ( यह  कंप्यूटर साइंस की एक शाखा है जो ऐसी मशीनों को विकसित कर रही है जो मनुष्य की तरह सोच सके और कार्य कर सकें) इसके अलावा मोबाइल  डेटा की कम होतो कीमतें भी शामिल है, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर भी ग्रामीण इलाको मे  पानी की आपूर्ति के बुनियादी ढांचा को  डिजिटल लाइज करने का एक अवसर दे रहा है डिजिटलाइज सप्लाई  इंफ्रास्ट्रक्चर  वास्तविक समय को आकाने और साक्ष्य अधारित  नीति बनाने में मदद करेगा।

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