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कोविड-19 संकट के बीच सेक्स वर्करों ने की कल्याण योजनाओं में शामिल करने की मांग

-कारवां,

मई के मध्य में दिल्ली के जीबी रोड इलाके में रहने वाले हजारों सेक्स वर्करोंं ने कोविड-19 संकट के दौरान, बेरोजगार और गरीब लोगों के लिए भोजन प्रदान करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं से सहायता मांगी. कुछ सेक्स वर्करोंं ने मुझे बताया कि वे अपनी आजीविका को लेकर चिंतित हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि आने वाले महीनों में यह महामारी उनकी आय को प्रभावित करेगी.

एक सेक्स वर्कर ने अपना नाम न छापने की शर्त पर मुझे बताया, "हमें सरकार से कोई मदद नहीं मिली, कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हमें भोजन दिया."

उन्होंने कहा कि उनके पास उपलब्ध राशन दस दिनों तक चलेगा. "हमारे पास पैसे नहीं बचे हैं और अब खाना बनाने के लिए ईंधन भी खत्म हो रहा है." उन्होंने आगे कहा, “मैं 20 साल से यहां रह रही हूं. यहां रहने वाले ज्यादातर लोगों के पास राशन कार्ड नहीं है, लेकिन उनके पास आधार कार्ड है. सरकार या किसी निर्वाचित प्रतिनिधि ने हमारी दुर्दशा के बारे में पूछताछ नहीं की है.” जीबी रोड की रहने वाली एक अन्य सेक्स वर्कर ने मुझे बताया, “अब हमारे पास आय का कोई साधन नहीं है. सरकार को हमारी मदद करनी चाहिए.” सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मुझे बताया कि कई सेक्स वर्कर अपने बच्चों के खाने-पीने और शिक्षा को लेकर चिंतित हैं.

सरकारी सहायता की कमी ने सेक्स वर्कर्स के साथ होने वाले सामाजिक भेदभाव को बढ़ा दिया है, जिससे राहत सहायता तक उनकी पहुंच सीमित हो गई है. दिल्ली के एक सामाजिक कार्यकर्ता इकबाल अहमद ने मुझे बताया कि ज्यादातर लोग जो जरूरतमंदों के लिए भोजन उपलब्ध करा रहे हैं, वे सेक्स वर्कर्स के काम से जुड़े कलंक के कारण उनकी मदद के लिए आगे नहीं आते हैं. “जीबी रोड का नाम सुनने के बाद कई लोग राशन किट इकट्ठा करने और वितरित करने में मदद करने के लिए तैयार नहीं थे. कभी-कभी, उनके नाम पर एकत्र किए गए दान भी उन तक नहीं पहुंच पाते हैं. बहुत सारे काम जो कुछ एनजीओ सेक्स वर्कर्स के लिए करने का दावा करते हैं, वे सिर्फ कागज पर होते हैं."

सेक्स वर्करों के लिए काम करने वाले दो संगठन, ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ सेक्स वर्कर्स और नेशनल नेटवर्क ऑफ सेक्स वर्कर्स, ने मदद के लिए केंद्र सरकार के निकायों को पत्र लिखा है और सामाजिक-सुरक्षा उपायों में शामिल करने की मांग की है. एआईएनडब्ल्यूएस देश भर में कम से कम पांच लाख सेक्स वर्करों का एक समूह है, जबकि एनएनएसडब्ल्यू दक्षिण भारत, महाराष्ट्र, झारखंड और गुजरात में सेक्स वर्करों के संगठनों का एक नेटवर्क है.

15 अप्रैल को एआईएनडब्ल्यूएस की अध्यक्ष कुसुम ने राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के महानिदेशक को पत्र लिखा और सेक्स वर्करों के सामने आने वाले मुद्दों को उठाया. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत काम करने वाला नाको देश में एचआईवी, एड्स नियंत्रण कार्यक्रमों को चलाता है. नाको महिला सेक्स वर्करों और पुरुष सेक्स वर्करों जैसी चिन्हित की गई ऐसी आबादी के बीच जिन्हें जोखिम अधिक है, चलाए गए कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य जांच और एचआईवी की दवा भी प्रदान करता है.

कुसुम ने पत्र में लिखा है, "नाको के पास भूख, आर्थिक संकट, आजीविका, मानसिक स्वास्थ्य से जूझ रहे लोगों तक पहुंचने के लिए सबसे अच्छे तरीके हैं. नाको के पास एकदम हाशिए के समुदाय तक पहुंचने और उन्हें घर के दरवाजे पर संभंव सहायता पहुंचाने के लिए समुचित एजेंसी से जोड़ने का उचित तंत्र और काफी ज्यादा अनुभव है. लेकिन दुर्भाग्य से हमारी दशक पुरानी दोस्ती कोविड के समय में राहत के रूप में आवश्यक परिणाम नहीं ला रही है."

11 मई को दिल्ली उच्च न्यायालय ने अधिवक्ता अनुराग चौहान द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की, जिसमें केंद्र और दिल्ली सरकार से सेक्स वर्कर्स और एलजीबीटी समुदाय को लॉकडाउन अवधि के दौरान भोजन, आश्रय और दवाइयां उपलब्ध करने के निर्देश देने की मांग की गई थी. अदालत ने अन्य कारणों के साथ यह कहते हुए याचिका को खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता को नहीं पता था कि "ऐसे व्यक्तियों की पहचान कैसे की जाए." न्यायाधीशों ने कहा, " याचिका बिना किसी जमीनी कार्य और बिना विचारे दायर की गई है."

हालांकि एआईएनएसडब्ल्यू और एनएनएसडब्ल्यू के अनुसार, इन नेटवर्क के साथ काम करने वाले राज्य और जिला-स्तरीय समुदाय-आधारित संगठनों के अलावा, नाको के मौजूदा लक्षित कार्यक्रम के माध्यम से सामाजिक-सुरक्षा योजनाओं और राहत सहायता का कार्यान्वयन किया जा सकता है. एआईएनएसडब्ल्यू ने नाको को लिखे अपने पत्र में कई राहत के उपाय सुझाए. इस पत्र में समुदाय को राशन, कम से कम 2000 रुपए प्रति कार्यकर्ता की आर्थिक सहायता, फंसे हुए लोगों के लिए परिवहन सुविधा, मास्क, सैनिटाइजर, प्रजनन-स्वास्थ्य सेवाएं और मानसिक-स्वास्थ्य के लिए परामर्श शामिल हैं. उन्होंने सरकार से सेक्स वर्कर्स के लिए छह महीने की योजना बनाने को कहा क्योंकि ये लोग लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी काम नहीं कर पाएंगे.

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