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ऊँट के मुह में जीरा – झारखंड मुख्यमंत्री की राहत घोषणा अपर्याप्त

- भोजन का अधिकार अभियान (झारखंड) द्वारा जारी प्रेसनोट

झारखंड सरकार ने अपने राहत योजनाओं के तहत घोषणा की है कि, जन वितरण प्रणाली से छूटे जिन पात्र परिवारों ने राशन कार्ड के लिए आवेदन किया है, उन्हें 10 किलो अनाज मिलेगा । एक धारणा बनाई गई है कि ऐसे परिवारों को 10 किलो अनाज प्रति माह मिलेगा । वास्तव में, इस तरह का कुछ भी होता नहीं दिख रहा है ।

इसके बजाए, ग्राम पंचायत मुखिया को निर्देश दिया गया है कि वे अपनी 10 हज़ार रु के आकस्मिक निधि से जरूरतमंद परिवारों को 10 किलो अनाज दें। आकस्मिक निधि का प्रावधान पहले से ही मौजूद था - इसे राहत के रूप में नहीं गिना जा सकता है। इसके अलावा राशन कार्ड के लिए आवेदन किए 7 लाख परिवारों को 10 किलो का एक बार का राशन भी देने के लिए यह निधि अपर्याप्त है। इस संकट के दौरान छूटे परिवारों को जन वितरण प्रणाली के दायरे में जोड़ने का कोई प्रावधान नहीं किया गया है।

भोजन का अधिकार अभियान (झारखंड), झारखंड सरकार से इन सभी छूटे परिवारों को जन वितरण प्रणाली से जोड़ के,  ढाराष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून अनुसार मासिक राशन,  देने की मांग करती है। सरकार को संकट के इस समय में जन वितरण प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए भी व्यापक प्रयास करने की ज़रूरत है।

भले ही लॉकडाउन जल्द समाप्त हो जाए, इस संकट की महीनों तक चलने की संभावना है । इस अवधि में लाखों परिवार अपने अस्तित्व के लिए सरकारी कल्याणकारी योजनाओं (विशेष रूप से जन वितरण प्रणाली और नकद हस्तांतरण योजनाओं) पर निर्भर रहेंगे। इस स्थिति में, यह सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि जन वितरण प्रणाली अच्छी तरह से चले और सभी वंचित परिवारों को इससे लाभ मिले। दुर्भाग्यवश, झारखंड सरकार ने अभी तक सामान्य उपायों और कोशिशों के अलावा कुछ ख़ास किया नहीं है ।

छूटे परिवारों को जोड़ने के अलावा, जन वितरण प्रणाली से संबंधित कई अन्य उपायों की तत्काल आवश्यकता है, जैसे:

अगले तीन महीने तक दोगुना राशन देने की केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को लागू करने के लिए सक्रिय कदम उठाए जाने चाहिए। अभी तक इस पर झारखंड सरकार द्वारा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। इस माह (अप्रैल) डीलरों को दोगुना राशन वितरित करने का निर्देश तो दिया गया है, लेकिन अभी तक जारी सरकारी आदेशों के अनुसार अभी अप्रैल और मई के लिए अग्रिम राशन देना  है, और न कि दोगुना राशन । कई जगहों पर तो दो माह का अग्रिम राशन भी नहीं बांटा जा रहा है।

अभी यह तुरंत सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि जन वितरण प्रणाली सही रूप से चले। उदाहरण के लिए, सरकारी कर्मचारियों (अगर आवश्यक हो तो कुछ क्षेत्रों में  पुलिसकर्मियों) को राशन दुकानों पर वितरण की निगरानी करने की ज़िम्मेवारी देनी चाहिए  ताकि डीलर द्वारा किसी प्रकार की चोरी न की जाए ।

 विशेष शिकायत निवारण व्यवस्था लागू की जाए ताकि शिकायतों का तेजी से समाधान हो सके और भ्रष्ट डीलरों और सरकारी अधिकारीयों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जा सके। शिकायत निवारण के लिए स्वतंत्र इकाईओं, और न कि खाद्य विभाग, का इस्तेमाल होना चाहिए।

जन वितरण प्रणाली के अलावा, झारखंड सरकार को स्पष्ट रूप से एक व्यापक राहत पैकेज लागू करना चाहिए, न केवल लॉकडाउन अवधि के लिए, बल्कि कम-से-कम अगले छह महीनों तक के लिए । फिलहाल, सरकार के रवैये से लगता है कि उनमे यह धारणा बैठी है कि संकट लॉकडाउन के साथ ही खत्म हो जायेगा । मुख्यमंत्री द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों और उपायुक्तों को संबोधित कल के पत्र (संलग्न) में दिए चंद अपर्याप्त वादों से व्यापक राहत का उद्देश्य पूरा होते बिलकुल नहीं दिख पा रहा है।


अधिक जानकारी के लिए, अशर्फी नन्द प्रसाद (7488609805) अथवा विवेक (8873341415) से संपर्क करें या rtfcjharkhand@gmail.com पर लिखें.