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अम्फान साइक्लोन अपडेट: 1999 के बाद पहली बार बंगाल की खाड़ी में बना सुपर साइक्लोन पड़ा थोड़ा कमजोर, खतरा बरकरार

-गांव कनेक्शन,

बंगाल की खाड़ी में बना सुपर साइक्लोन 'अम्फान' (जिसे उम पुन भी कहा जा रहा है) बंगाल की खाड़ी में बहुत तेजी से उत्तर से उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ रहा है। हालांकि यह थोड़ा कमजोर होकर 'सुपर साइक्लोन' से 'अत्यंत गंभीर चक्रवाती तूफान' में बदल गया है। उम्मीद की जा रही है कि यह पश्चिम बंगाल-बांग्लादेश तट पर डीघा (पश्चिम बंगाल) और हटिया द्वीप समूह (बांग्लादेश) के बीच 20 मई की शाम तक टकराएगा। भारत के मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार, "यह सुपर साइक्लोन बहुत घातक और विनाशकारी क्षमता रखता है। इससे संचार और बिजली के खंभों, खड़ी फसलों और सड़कों को व्यापक पैमाने पर नुकसान हो सकता है।"

मौसम विभाग पहले ही ओडिशा, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम और मेघालय में भारी बारिश की चेतावनी जारी कर चुका है। लैंडफाल के समय जब यह साइक्लोन समुद्र तट से टकराएगा तब हवा की गति 155 से 165 किलोमीटर प्रति घंटा (किमी प्रति घंटा) होने की उम्मीद है, जो 185 किमी प्रति घंटे की रफ्तार के साथ पूर्वी मेदिनीपुर और उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिलों की तरफ बढ़ रही है।

समुद्र तटों पर मछुआरों द्वारा मछली पकड़ने की गतिविधियों पर पाबंदी लगा दी गई है। लैंडफाल के दौरान यह दक्षिण और उत्तर 24 परगना जिले के निचले इलाकों को लगभग चार से पांच मीटर और पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर जिले के निचले इलाकों को तीन से चार मीटर तक जलमग्न कर सकता है। पश्चिम बंगाल में लोगों की मदद के लिए राष्ट्रीय आपदा ईकाई (एनडीआरएफ) की 19 टीमों को तैनात किया गया है, जबकि चार टीमों को स्टैंडबाई के रूप में रखा गया है। इसी तरह ओडिशा में भी एनडीआरएफ की 13 टीमें तैनात हैं, जबकि 17 टीमों को जरूरत के समय इस्तेमाल किया जा सकता है।

लगभग दो दशकों के बाद ऐसा हो रहा है जब बंगाल की खाड़ी में कोई सुपर साइक्लोन बना। आखिरी बार ऐसा सुपर साइक्लोन अक्टूबर 1999 में आया था जब ओडिशा इसकी चपेट में आया था और 10,000 से अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। हवा की गति के आधार पर भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) चक्रवातों को चक्रवाती तूफान, गंभीर चक्रवाती तूफान, बहुत गंभीर चक्रवाती तूफान, अत्यंत गंभीर चक्रवाती तूफान और सुपर साइक्लोन के रूप में वर्गीकृत करता है।

लेकिन अम्फान को जो चीज और खतरनाक बनाती है, वह यह है कि 18 घंटे के भीतर ही यह श्रेणी -1 साइक्लोन से श्रेणी 5 साइक्लोन में परिवर्तित हो चुका है। इस तरह कह सकते हैं कि बंगाल की खाड़ी में बहुत मजबूत साइक्लोन विकसित हो रहा है।

भारतीय मौसम विज्ञान संस्थान, पुणे में जलवायु वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत रॉक्सी मैथ्यू कोल्ल कहते हैं, "हमारे शोध से पता चला है कि महासागरों के अधिक तापमान की वजह से उत्तर हिंद महासागर में चक्रवातों की गति बहुत तेज हो रही है। वर्तमान मामले में बंगाल की खाड़ी विशेष रूप से गर्म रही है, जिसकी वजह से पहले एक चक्रवात और फिर बहुत कम समय में ही एक सुपर साइक्लोन आ रहा है।"

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