Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/superstitious-crimes-new-india-hindi.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | नए भारत में पनपते अंधविश्वास आधारित अपराध | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

नए भारत में पनपते अंधविश्वास आधारित अपराध

-कारवां,

“हमे नहीं पता कि क्या हुआ है!”

आदिवासी कार्यकर्ता और पेशे से डॉक्टर अभय ओहरी रतलाम, मध्य प्रदेश में जय आदिवासी युवा शक्ति नाम का एक आदिवासी युवा संगठन चलाते हैं. एक दिन उन्हें संगठन के एक कार्यकर्ता का फोन आया, जिसने घबराई हुई आवाज में उन्हें जल्द से जल्द रतलाम जिला अस्पताल पहुंचने के लिए कहा. उन्हें बताया गया कि “राजाराम खादरी का शव यहां है. वो मर चुका है. उस पर कुछ तंत्र-मंत्र किया गया है.”   

ओहरी कुछ समझ नहीं पा रहे थे. 20 फरवरी 2021 की सुबह जब उन्हें यह फोन आया, तब वह नींद से जगे ही थे. हड़बड़ी में अस्पताल पहुंचने के दौरान उनके दिमाग में केवल 27 वर्षीय राजाराम खादरी से जुड़ी बातें घूम रही थीं. ओहरी के बाद राजाराम ही वह शख्स थे, जो समूचे आदिवासी गांव में डॉक्टर बन पाए थे. कुछ दिन पहले ही राजाराम ने ओहरी को बताया था कि वर्षों की निजी प्रैक्टिस के बाद उन्हें सरकारी आयुर्वेदिक डॉक्टर के रूप में नियुक्ति मिल गई है. दोनों सहकर्मी आखिरी बार राजाराम के दो वर्षीय बेटे आदर्श के जन्मदिन के मौके पर मिले थे. 2021 की गर्मियों में जब मैं ओहरी से उनके क्लिनिक में मिली, तो उन्होंने अपनी और राजाराम की आखिरी मुलाकात के बारे में मुझे बताया जो मौत से बस दो महीने पहले हुई थी.

अंग्रेजी हुकूमत के समय में निर्मित अस्पताल के पुराने सफेद भवन में पहुंचने पर ओहरी ने राजाराम का शव देखा. पूरा शरीर कुमकुम से सना हुआ था. शरीर पर कई जगह पीले रंग के लच्छे भी बंधे हुए थे. ओहरी कहते हैं, “मैं एक डॉक्टर हूं. मैंने हजारों लाशों का निरीक्षण किया है. पर फिर भी मैं राजाराम को देखने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था.” राजाराम के हाथ-पांव पर निशान थे, जो इशारा कर रहे थे कि उसे बंधक बनाया गया था. साथ ही पूरे शरीर पर धारधार वस्तुओं से की गई चोटों के भी कई निशान थे. मृत्यु के पश्चात भी शव से खून का बहना बंद नहीं हुआ था.           

ओहरी के अस्पताल पहुंचने से पहले वहां के स्टाफ को राजाराम की जेब में एक पहचान-पत्र मिला था, जो उसकी 28 वर्षीय पत्नी सीमा कटारा का था. स्टाफ सदस्यों को यह समझते देर नहीं लगी कि यह वही सीमा है, जो उनके अस्पताल में नर्स का काम करती थी. उन्होंने उसे फोन लगाया, पर उसका नंबर बंद था. उसके परिवार में भी कोई फोन का जवाब नहीं दे रहा था. ओहरी कहते हैं, “मुझे महसूस हुआ कि कुछ बहुत भयावह घटा है. मैंने तुरंत ही पुलिस को उनके घर की तलाशी के लिए सूचना दी.”  

शुरुआती जानकारी मिलने के बाद पास के शिवगढ़ स्थित पुलिस थाने से कुछ पुलिस अधिकारी सुबह के तकरीबन 8 बजे राजाराम के गांव ठिकरिया पहुंचे. वहां पहुंचने पर उन्होंने देखा कि सड़क के दोनों ओर खड़ी दो नीली इमारतों वाले राजाराम के पुश्तैनी घर के बीचोबीच तकरीबन नौ महिलाएं झूमते हुए “जय हो” चिल्ला रही थी. ये सभी महिलाएं राजाराम की रिश्तेदार थी.          

राजाराम की मां थ्वारी बाई और पिता कन्हैया लाल खादरी की कुल आठ बेटियां और दो बेटे थे. राजाराम के छोटे भाई का नाम विक्रम है. उसकी उम्र 26 वर्ष है. संतोष सभी भाई-बहनों में सबसे बड़ी है लेकिन परिवार में सबसे अधिक दबदबा 40 वर्षीय मंझली बहन तुलसी पलासिया का है. तुलसी के पति का नाम राधेश्याम है और उनका परिवार ठिकरिया से 35 किलोमीटर दूर धराड़ में रहता है. पुलिस के अनुसार तुलसी पिछले तीन से चार वर्षों से भोपा का काम करती है, जिन्हें स्थानीय स्तर पर चुड़ैल और भूतप्रेत से जुड़ी समस्याओं का उपचार करने वाला माना जाता है. तुलसी का मानना है कि उसके 17 वर्षीय बेटे के पास अलौकिक शक्तियां है और वह शेषनाग का अवतार है. पौराणिक कथाओं में शेषनाग को सभी नागों का राजा माना जाता है. हिंदू भगवान विष्णु को अक्सर शेषनाग पर आराम करते हुए चित्रित किया जाता है. तुलसी, उसकी बेटी माया, एक और नाबालिग पुत्र, राहुल और उसके जीजा के बेटे समेत पूरा परिवार तंत्र-मंत्र से जुड़ी विधियों में शामिल रहते थे.   

पारंपरिक तौर पर भोपाओं को भील आदिवासी समुदाय में पुजारी-गायक का दर्जा हासिल है. वे ‘फड़’ को पूजते हैं, जो उनके लिए एक प्रकार से मंदिर की भूमिका निभाता है. फड़ एक लंबे कपड़े का बना होता है, जिस पर स्थानीय देवी-देवताओं से जुड़े बहुधा मंत्र और लोक कथाएं लिखी हुई होती हैं. बीमारी या किसी भी संकट की घड़ी में गांव के लोगों द्वारा बुलाए जाने  पर भोपा ऐसे ही एक ‘फड़’ के माध्यम से तमाम विधियों को अंजाम देते हैं.        

राजाराम के घर पहुंची पुलिस ने जब वहां मौजूद महिलाओं को अलग हटने के लिए कहा, तो उन्होंने खुद को हिंदू देवी दुर्गा का अवतार बताते हुए अधिकारियों को अनाप-शनाप कहना शुरू कर दिया. उस दिन पुलिस दल का हिस्सा रहीं कांस्टेबल शीना खान ने मुझे बताया कि पुलिस भी कुछ समझ नहीं पा रही थी. इसलिए उन्होंने अधिक बल आने तक इंतजार करने का निर्णय किया. तब तक घटना स्थल पर भीड़ जुटने लगी थी. दस मिनट के बाद भीतर से किसी ने कुछ देर के लिए एक खिड़की खोली. शीना ने देखा कि अंदर दो बच्चे रो रहे थे. पुलिस को भी अंदर से लगातार चीखने-चिल्लाने की आवाजें आ रही थीं. शीना कहती हैं, “जब हमने देखा कि अंदर बच्चे भी हैं, तो हमें उनकी चिंता होने लगी. अल्लाह जाने उस कमरे में क्या चल रहा था.” पुलिस ने और देर न करते हुए दरवाजा तोड़कर भीतर प्रवेश करने का फैसला किया. 

शीना याद करती हैं, “मैंने वहां जो देखा, उसे मैं कभी भूल नहीं सकती.” पूरा कमरा अगरबत्तियों के धुएं में इस कदर लिपटा हुआ था कि अंदर कुछ नजर नहीं आ रहा था. हर जगह खून, टूटे हुए नारियल, नींबू, कुमकुम, कई किलो जली हुई अगरबत्तियां और लकड़ियां बिखरी हुई थी. तुलसी की बेटी माया सीमा और राजाराम के दो साल के बेटे आदर्श के पेट के ऊपर बैठी हुई थी. माया के एक हाथ में तलवार थी और दूसरे हाथ की उंगलियां आदर्श के मुंह के अंदर थी. आदर्श की मौत हो चुकी थी. दूसरे कोने में तुलसी थ्वारी बाई के पेट के ऊपर बैठकर उनका गला दबाते हुए बाल खींच रही थी. थ्वारी के शरीर से तलवार के घावों के कारण बेतहाशा खून बह रहा था. तीसरे कोने में विक्रम के घायल बच्चे खौफ से चीख रहे थे और परिवार के अन्य सदस्यों ने उन्हें पकड़ा हुआ था. पुलिस के अंदर आने के बाद भी माया और तुलसी ने आदर्श और थ्वारी बाई के शरीर को इतना कस कर जकड़े रखा कि उन्हें अलग करने के लिए पुलिस दल के तीन से पांच सदस्यों को जमकर मशक्कत करनी पड़ी.      

शीना कहती हैं, “वे सब अपनी किसी अलग ही दुनिया में थे. पहले उन्होंने हमारी ओर कोई ध्यान नहीं दिया. बाद में वे हमसे गाली-गलौज करने लगे.” वह याद करती हैं कि किस तरह वहां मौजूद महिलाएं चिल्ला रही थीं कि सीमा एक डायन और चुड़ैल है. उनका कहना था कि सीमा ने राजाराम को अपने वश में कर लिया था और और अगर वे चुड़ैल को मार देंगी, तो राजाराम फिर से जीवित हो उठेगा.  यह सब सुनते ही पुलिस ने सीमा की तलाश जारी कर दी. थोड़ी देर में वह उन्हें सड़क के दूसरी ओर मवेशियों के लिए बनी जगह से सटे एक कमरे में मिली. सीमा के शरीर से खून बह रहा था. वह घायल थी और बेहोश थी. पर जिंदा थी. तब तक वहां पहुंच चुके उसके माता-पिता तुरंत ही उसे अस्पताल ले गए. उसके गले में दो रुपए का एक सिक्का अटका हुआ मिला, जिसके कारण वह बोल नहीं पा रही थी.    

तुलसी, उसकी बेटी माया और उसका बेटा, जिसे वह शेषनाग का अवतार मानती थी, को हिरासत में लेकर उन पर हत्या का मुकदमा दायर किया गया. साथ ही राहुल और राजाराम के छोटे भाई-बहन विक्रम और सागर को भी हिरासत में लिया गया. शिवगढ़ पुलिस थाने के हेड कांस्टेबल हेमंत परमार कहते हैं, “वे कुछ भी अनाप-शनाप बके जा रहे थे. मैं नहीं जानता कि वे किसी देवी-देवता के वश में थे या नाटक कर रहे थे. पर 21 और 22 फरवरी के दोनों दिन हिरासत में उनका व्यवहार ऐसा ही रहा.” इस दौरान तुलसी और माया दावा करते रहे कि सीमा के अंदर चैनपुरा का वास था. ठिकरिया से तकरीबन 15 किलोमीटर दूरी पर स्थित चैनपुरा गांव बहुत से आदिवासी देवी-देवताओं के मंदिरों का गढ़ है. ओहरी बताते हैं कि पूरे क्षेत्र में चैनपुरा को एक आत्मा के रूप में जाना जाता है. तुलसी और माया ने पुलिस को बताया कि शेषनाग के कहने पर ही वे दोनों चैनपुरा की आत्मा से अपने परिवार की रक्षा करने की कोशिश कर रही थी.   

पुलिस जांच में सामने आया कि पूरे कर्मकांड में तुलसी और उसका परिवार इसी आत्मा को मारने का प्रयास कर रहे थे. उनका मानना था कि आत्मा ने सीमा को अपने वश में कर लिया था. सीमा के बेहोश होने पर उन्हें लगा कि आत्मा राजाराम के शरीर में प्रवेश कर गई है. राजाराम की मौत के बाद उन्हें लगा कि आत्मा आदर्श के शरीर में चली गई थी. जब आदर्श की भी मौत हो गई, तो उन्हें लगा कि आत्मा ने थ्वारी बाई के शरीर के अंदर प्रवेश कर लिया था.  

इस वारदात के आठ दिन बीत जाने पर सीमा को उसके पति और बच्चे की मृत्यु की खबर दी गई. गले में फंसे सिक्के को निकालने के लिए उसे अस्पताल में कई तरह की प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ा. वो एक महीने तक बेज़ुबान रही, पर अपनी आपबीती बयां करने के लिए मौत को धता बता आई. मैं जुलाई में सीमा से मिलने जिला अस्पताल पहुंची. तब तक वह नर्स के रूप में अपने काम पर लौट चुकी थी. कभी राजाराम के साथ खरीदे गए घर में अब वो अकेली अपने माता-पिता के साथ रहती है. सीमा बताती है, “वो तांत्रिक विधि थी. पर वो उसे ढंग से पूरा नहीं कर पाए.” उसका कहना है कि उसकी आर्थिक स्वतंत्रता के चलते ये पूरी विधि उसके परिवार को नुकसान पहुंचाने के लिए रची गई थी.   

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.