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कोविड-19 संक्रमण की आपराधिक जवाबदेही तबलीग़ी जमात के माथे ही क्यों है?

-द वायर, 

कोविड-19 के बाद दुनिया पहली जैसी नहीं रहेगी. ऐसे में जबकि अपने अत्याधुनिक स्वास्थ्य ढांचे के बावजूद पश्चिम के विकसित देशों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा है. यह जाहिर है कि मानवता को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति से निपटने के नए तरीकों की खोज करनी होगी.

ख़ासतौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका को इस बात का एहसास जरूर हो रहा होगा कि आतंकवाद के खिलाफ युद्ध पर इसके द्वारा किया गया बेशुमार खर्च कितना गलत और भटका हुआ कदम था.

आरोप-प्रत्यारोप का खेल
शुरू में किसी ने भी चीन पर मामलों की संख्या को छिपाने और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ सूचना साझा करने में देरी लगाने का आरोप नहीं लगाया. किसी ने भी हफ्तों तक यात्रा पर प्रतिबंध लगाने की सलाह देने से इनकार करने के लिए डब्ल्यूएचओ की तरफ उंगली नहीं उठाई.

किसी ने भी नए वायरस के ख़तरे को स्वीकार करने से पहले अहम हफ्ते गंवाने के लिए अमेरिका की गलती नहीं निकाली- राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप यह कहते रहे कि सब कुछ ठीक रहेगा और उन्होंने अपने ही विशेषज्ञों की सलाह को नजरअंदाज किया. (अब उन्होंने डब्ल्यूएचओ को आर्थिक सहायता रोककर एक दूसरा ही संकट खड़ा कर दिया है).

इतना ही नहीं, किसी ने एक महामारी को वैश्विक महामारी का रूप देने में कुछ यूरोपीय देशों द्वारा निभाई गई बड़ी भूमिका के लिए उनकी आलोचना नही की- अगर चीन से वायरस 27 देशों में पहुंचा, तो अकेले इटली से यह 46 देशों में पहुंचा.

भारत सरकार और मुख्तार अब्बास नकबी ने क्रमशः 13 मार्च और 18 मार्च को बयान देकर यह कहा कि ‘भारत में कोई स्वास्थ्य आपातकाल नहीं है’, लेकिन इस बयान के लिए किसी ने उनकी आलोचना नहीं की.

फ्रांस, इटली, जर्मनी और स्पेन जैसे देश अपने यहां लॉकडाउन लगाने का फैसला काफी पहले कर चुके थे, लेकिन लॉकडाउन का फैसला करने में अच्छी-खासी देरी करने के लिए किसी ने भारत सरकार की आलोचना नहीं की.

डब्ल्यूएचओ का संविधान कहता है कि अपने लोगों के स्वास्थ्य का ख्याल रखना सरकारों की प्राथमिक जिम्मेदारी है. सवाल है कि क्या सरकारों को कभी भी उनकी नाकामियों के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा?

बाद में जब कई देशों से लोगों के कोविड-19 से संक्रमित होने की खबरें आने लगीं, तब एक-दूसरे पर आरोप मढ़ने का खेल शुरू हो गया. अमेरिका ने इसे चायना वायरस कहना शुरू कर दिया, अमेरिका में कुछ लोगों ने धर्मनिष्ठ यहूदियों पर आरोप लगाया.

अफ्रीकी लोगों ने गोरे नस्ल पर उंगली उठाई, पाकिस्तान को शियाओं की गलती दिखाई दी और भारत में हमने नोवेल कोरोना वायरस के प्रसार की पूरी जिम्मेदारी तबलीगी जमात पर डाल दी है.

हालांकि, तेलंगाना ने 18 मार्च को ही तबलीगी जमात के पहले मामले के बारे में सूचना दे दी थी, लेकिन इस बारे में एक सप्ताह से ज्यादा समय तक कुछ भी नहीं किया गया. (संसद मे मुख्तार अब्बास नकवी के 18 मार्च के उस बयान को याद कीजिए, जिसमें उन्होंने कहा था कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है.)

किसी ने भी भारत सरकार द्वारा यात्राओं पर प्रतिबंध लगाने और हवाई अड्डों पर सबकी स्क्रीनिंग करने का फैसला लेने में गैर मुनासिब देरी करने को लेकर कोई बात नहीं की.

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