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अपने बच्चों को मोटापे और रोगों से मुक्त रखने के लिए पैकेट पर ‘चेतावनी लेबल’ की मांग उठानी होगी!

-जनपथ,

बच्चों में बढ़ते मोटापे और उसकी वजह से वयस्क होने पर उनमें असंचारी बीमारियों (NCD) का जोखिम तेजी से बढ़ रहा है। इससे भारतीय माता-पिता बेहद चिंतित हैं। इसको लेकर अब वह चाहते हैं कि प्रोसेस्ड (प्रसंस्कृत) खाद्य पदार्थों के नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा कड़े नियम बनाए जाने चाहिए।

वसा, चीनी और नमक का ज्यादा मात्रा में सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। ज्यादातर पैकेटबन्द खाद्य पदार्थों में अतिरिक्त कैलोरी होती है जिसे शून्य कैलोरी भी कहा जाता है। चूंकि उनमें पोषक तत्वों विटामिन और नेचुरल फाइबर की कमी होती है, उनसे वज़न बढ़ता है और हाई ब्लड शुगर होता है। चीनी और वसा में उच्च आहार वाले खाद्य पदार्थ मस्तिष्क पेप्टाइड की गतिविधि को कम कर सकते हैं जिसे मस्तिष्क-व्युत्पन्न न्यूरोट्रॉफिक कारक (Brain-derived neurotrophic factor) कहा जाता है। यह सीखने और समझने के लिए जिम्मेदार होता है।

मस्तिष्क की कार्य क्षमता आपके द्वारा खाए जाने वाले भोजन पर निर्भर करती है। यह आपके शरीर और मस्तिष्क को अवसाद और तनाव की ओर ले जाता है। साथ ही अमिनो एसिड की पर्याप्त मात्रा न होने के कारण भी आप अवसादग्रस्त हो सकते हैं।

पैकेज्ड फूड का सेवन करने वालों के लिए एक और प्रमुख दुष्प्रभाव श्‍वसन समस्या है। इस प्रकार के खाद्य पदार्थों का अधिक मात्रा में सेवन श्वास की समस्या का कारण बन सकता है। जैसे-जैसे आपका मोटापा बढ़ता है वैसे ही सांस लेने की समस्याओं में वृद्धि होती है। हाल ही के अध्ययन से पता चलता है कि सप्ताह में तीन से चार बार पैकेज्ड फूड का सेवन करने वाले बच्चे अन्य बच्चों की तुलना में अधिक मोटे और अस्थमा रोग से ग्रसित होते हैं।

विभिन्न प्रकार के पेय पदार्थ सहित फास्ट फूड में कार्बोहाइड्रेट की उच्च मात्रा होती है जबकी इनमें फाइबर बिल्कुल भी नहीं होता है। फाइबर आपके पाचन के लिए बहुत ही आवश्यक घटक होता है। जब आपका पाचन तंत्र इन खाद्य पदार्थो को तोड़ता है तो कार्बोहाइड्रेट आपके रक्त प्रवाह में ग्लूकोज के रूप में शामिल हो जाता है। परिणामस्वरूप आपके शरीर में रक्त शर्करा के स्तर में वृद्धि हो जाती है। आपका शरीर पैनक्रिया द्वारा इंसुलिन जारी करके ग्लूकोज में बढ़ोतरी को कम कर देता है। इंसुलिन आपके शरीर में चीनी को उन कोशिकाओं में स्थानांतरित करता है जिन्हें ऊर्जा के लिए उपयोग किया जाता है, लेकिन अक्सर कार्बोहाइड्रेट की उच्च मात्रा का सेवन करने से आपकी रक्त शर्करा में बार-बार बढ़ोतरी हो सकती है।

इस संदर्भ में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ने एक महत्वपूर्ण अध्ययन पिछले वर्ष किया था। इस अध्ययन में उसने मोटापे और चेतावनी लेबल के बीच परस्पर संबंध को रेखांकित करते हुए एक सर्वेक्षण को सामने रखा था। उक्त अध्ययन का फैक्ट शीट नीचे देखा जा सकता है।

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