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UPA कार्यकाल के जीडीपी आंकड़ों में संशोधन को लेकर NITI Ayog की भूमिका पर विवाद

नयी दिल्ली : पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के कार्यकाल के दौरान के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के संशोधित आंकड़ों को जारी करने में नीति आयोग की भूमिका को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. सरकार के ही कुछ लोगों का मानना है कि इस घोषणा से नीति आयोग को अलग रखकर विवाद से बचा जा सकता था. नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार और मुख्य सांख्यिकीविद प्रवीण श्रीवास्तव ने बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में पुरानी शृंखला के संशोधित आंकड़े जारी किये.

संशोधित आंकड़ों के अनुसार, कांग्रेस की अगुवाई वाली पिछली यूपीए सरकार के कार्यकाल में अर्थव्यवस्था की औसत वृद्धि दर 6.7 फीसदी रही, जबकि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में यह 7.3 फीसदी रही है. पहले जो आंकड़े आये थे, उसके अनुसार, यूपीए के 10 साल के कार्यकाल में औसत वृद्धि दर 7.75 फीसदी रही थी. हालांकि, सरकार का कहना है कि केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) एक स्वतंत्र एजेंसी है और आंकड़े निकालना उसकी जिम्मेदारी है, लेकिन कुमार और श्रीवास्तव के संयुक्त संवाददाता सम्मेलन पर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और कई अन्य लोगों ने सवाल उठाये हैं.

सरकार के एक शीर्ष सूत्र का कहना है कि नीति आयोग को इस घोषणा से बाहर रखकर विवाद से बचा जा सकता था. अधिकारी का कहना है कि नीति आयोग की जीडीपी की गणना में कोई भूमिका नहीं है. यह काम सीएसओ का है. चिदंबरम ने भी इस संशोधन में नीति आयोग की भूमिका को लेकर सवाल खड़ा किया और सब कुछ आयोग द्वारा किया धरा बताया. वहीं, पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रणब सेन ने इसमें आयोग की भूमिका पर सवाल उठाया.


वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस संशोधन का बचाव करते हुए कहा कि सीएसओ बेहद विश्वसनीय संगठन है और यह वित्त मंत्रालय से दूरी बनाकर रखता है. विपक्षी दल कांग्रेस ने भी कहा कि यह सब नीति आयोग की वजह से हुआ है. अब समय आ गया है कि इस अनुपयोगी निकाय को बंद कर दिया जाये. चिदंबरम ने बुधवार रात को ट्वीट किया कि पुराने आंकड़े राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग ने तैयार किये थे. क्या आयोग को भंग कर दिया गया है.


चिदंबरम ने कहा कि पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रणब सेन पूरी तरह सही हैं. नीति आयोग का आंकड़ों की गणना से कोई लेना देना नहीं है. चिदंबरम ने कहा कि क्या नीति आयोग के उपाध्यक्ष आंकड़ों पर बहस को तैयार होंगे, बजाय पत्रकारों से यह कहने के आपका सवाल जवाब देने योग्य नहीं है. सेन ने कहा कि लोगों की नजरों में सीएसओ की विश्वसनीयता को चोट पहुंची है.


सेन ने कहा कि हमारी हमेशा से यह प्रणाली रही है कि सीएसओ के आंकड़े राजनीतिक हस्तक्षेप से बचे रहे. यहां तक कि प्रधानमंत्री को भी आंकड़े जारी होने से कुछ देर पहले ही पता चलते है, लेकिन अब नीति आयोग के साथ ऐसा करना, जो कि योजना आयोग की तरह राजनीतिक संस्थान है, की वजह से सीएसओ की विश्वसनीयता प्रभावित हुई है. सेन ने कहा कि जब कोई राजनीतिक संस्थान आंकड़े जारी करता है, तो आंकड़ों की विश्वसनीयता और सांख्यिकी एजेंसियों की राजनीतिक स्वतंत्रता पर सवाल खड़ा होता है.