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कोरोना लॉकडाउन : उत्तर प्रदेश में दलितों पर बढ़ रहे ठाकुरों के अत्याचार, पुलिस और प्रशासन नहीं दे रहे साथ

-कारवां,

कोरोना महामारी से निपटने के लिए लागू राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन में उत्तर प्रदेश के दलितों को दबंग जातियों, खासकर ठाकुरों, की हिंसा का शिकार होना पड़ रहा है. इस दौरान शहरों में रोजगार खत्म हो गए हैं और लाखों लोग गांव तो लौट आए हैं लेकिन यहां इन्हें जातिवादी उत्पीड़न का शिकार होना पड़ रहा है.

12 जून को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अजय सिंह बिष्ट या आदित्यनाथ के जिले गोरखपुर में थाना गगहा के तहत आने वाले पोखरी गांव में में दलितों की एक बस्ती पर 100 से ज्यादा ठाकुरों ने हमला कर दिया. हमले में बहुत लोगों को गंभीर चोटें आईं और पुलिस ने कई धाराओं में मुकदमा भी दर्ज किया लेकिन अब तक इस घटना के किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है.

पोखरी गांव के 24 साल के अतुल कुमार ने मुझे बताया कि 12 जून को गांव में देवी काली की पूजा थी जिसे अतुल के मोहल्ले के तीन लोग, रजनीकांत, छोटू और उनके पिता मुरारी, देखने गए थे. अतुल ने मुझे बताया, “कुछ देर बाद मुरारी वहां से लौट आए. मुरारी के वापस आ जाने के बाद छोटू और रजनीकांत को गांव के ठाकुर मां-बहन की गाली देने लगे और दोनों को वहां से खदेड़ दिया.” अतुल ने आगे बताया, “लेकिन अगले दिन 13 जून को करीब 8 बजे हमारे मोहल्ले के शैलेश को, जो पकड़ी मार्किट जा रहा था, ठाकुरों ने रास्ते में पकड़ लिया और उसके साथ मारपीट की.”

मार से घायल शैलेश घर पहुंचा ही था कि बुजुर्ग ठाकुरों ने घर आकर माफी मांग ली और और दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया जिसके वहां मौजूद सभी लोग अपने-अपने घर चले गए. इसके बाद करीब 10 बजे सौ की संख्या में ठाकुरों ने गांव पर हमला कर दिया और उन्होंने गांव में मौजूद सभी लोगों को मारा. अतुल ने बताया, “मेरी गर्भवती भाभी मनीषा देवी को भी मारा.” गांव की चंद्रकला, अंकिता, रजनीकांत, रामकिरत और अन्य लोगों को गंभीर चोटें लगीं. अतुल ने कहा, “चंद्रकला तो दो दिनों तक गोरखपुर मेडिकल अस्पताल में भर्ती रही.” अतुल ने बताया कि हमले में उसके हाथ की एक उंगली टूटी गई. “मेरी डॉक्टरी जांच 10 दिन बाद हुई लेकिन तब तक मेरी चोट ठीक हो गई थी.”

गांव पर हमला करने वाले ठाकुर भद्दी-भद्दी गालियां दे रहे थे, अतुल ने बताया और कहा, “वे कह रहे थे ‘अबे चमार तुम्हारी यह हिम्मत कि तुम हमारे सामने बोलोगे.’ हम लोगों ने 29 नामजद और 71 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.”


अतुल और उसका भाई अभिषेक मुंबई में मजदूरी करते हैं. उसने बताया, “हम दोनों भाई 18 मई को अपने घर आए थे लेकिन ठकुरों के हमले से सहम से गए हैं. उन्होंने हमारे मोहल्ले की चार बाइकें तोड़ दीं और खूब तोड़फोड़ की. हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही.”

मैंने इस मामले के जांच अधिकारी नीतीश कुमार से फोन पर बात की लेकिन उन्होंने मेरे सवालों का जवाब फोन पर देने से इनकार कर दिया और मुझसे कहा कि यदि बात करनी है तो गोरखपुर में आकर उनसे मिलूं.

गोरखपुर जैसी दूसरी घटना अयोध्या जिले के समरधीर गांव की है. 17 जुलाई को इस गांव के ठाकुरों ने दलितों की बस्ती पर हमला बोल दिया. गांव के ब्रजलाल गौतम ने मुझे बताया, “हमारे मोहल्ले का एक छोटा बच्चा, जिसकी उम्र 10 साल की होगी, तालाब में मछली मारने गया था. वहीं पुलिया पर तीन ठाकुर लड़के शराब पी रहे थे. यह शाम 5 बजे के आसपास की घटना है. उनमें से एक लड़के ने एक ढेला इसके कांटे पर मार दिया. उस छोटे बच्चा ने अनजाने में गाली दे दी तो उसे तालाब में डुबोने लगे. उसी वक्त उसका बड़ा भाई प्रमोद वहां आ गया, तो वे लोग प्रमोद को भी मारने लगे. वहीं पर हमारे मोहल्ले के दो-तीन लड़के और आ गए और बीच-बचाव करने लगे कि ठाकुर उन्हें भी मारने लगे.”

ब्रजलाल ने आगे बताया, “हम लोग अगली सुबह 18 जुलाई को 9 बजे हैदरगंज थाने शिकायत करने गए, तो पुलिस वालों ने हमारा ही चलना यह कह कर काट दिया कि तुम लोग मास्क नहीं पहने हो.” ब्रजलाल ने दावा किया, “हमलोग चेहरे पर गमछा लपेटे थे. हम 10 लोग थे. सबका 500-500 रुपए का चालान काट दिया.”

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