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क्यों छूट मिलते ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से दूर होना शुरू हो गए किसान ?

-गांव कनेक्शन,

"इस साल मैंने एप्लीकेशन लगा कर बैंक को बता दिया कि हमें इंश्योरेन्स नहीं लेना है। किसानों को पता ही नहीं चलता है कि प्रीमियम का पैसा कहां गया! इससे सरकार का भी नुकसान होता है और अपना भी। इंश्योरेंस का भी कोई फायदा नहीं हो रहा है," ये बातें हमसे हरियाणा के अम्बाला में रहने वाले 48 वर्षीय किसान नरेश कुमार कहते हैं।

अम्बाला के लखनौरा गांव में रहने वाले नरेश अपने तीन भाइयों के साथ चार एकड़ जमीन पर खेती करते हैं। साल 2018 में उन्होंने सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक में किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) खाता खुलवाया था। इसके साथ ही वे प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के लाभार्थियों में शामिल हो गए, लेकिन केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना को लेकर उनका अनुभव काफी खराब रहा है।

नरेश बताते हैं, "नौ मार्च, 2019 को करीब 100 गांवों में ओलावृष्टि हुई थी। इससे हमारी रबी की फसल को भारी नुकसान हुआ। इसके अगले दिन मैंने कृषि अधिकारी को फोन कर इसकी जानकारी दी। इसके चार-पांच दिन बाद सर्वे करने के लिए कुछ लोग आए थे, लेकिन अब तक हमें पैसा नहीं मिला।" नरेश कुमार की मानें तो उन्हें न तो फसल नुकसान का क्लेम मिला है और न ही प्रीमियम के पैसे (1396 रुपये)। नरेश कुमार इस साल के खरीफ सीजन में उन लाखों किसानों की सूची में शामिल हैं जिन्होंने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) से दूरी बना ली है।

पीएमएफबीवाई की वेबसाइट के मुताबिक इस रिपोर्ट को लिखे जाने तक करीब 85 लाख किसानों ने ही खरीफ सीजन में फसल बीमा के लिए अपना आवेदन बैंकों को दिया है। पिछले साल के मुकाबले देखें तो यह आंकड़ा काफी कम और चौंकाने वाला है। साल 2019 के खरीफ सीजन में 3,80,59,742 (करीब तीन करोड़ 81 लाख) किसान इस योजना की लाभार्थी सूची में शामिल थे। हालांकि अधिकतर राज्यों ने इस योजना के लिए आवेदन की आखिरी तारीख 31 जुलाई तय की है। लेकिन अब तक जिस तरह का ट्रेंड (प्रतिदिन करीब 11 लाख आवेदन) दिख रहा है, उससे माना जा सकता है कि तय समय सीमा तक पिछले साल के मुकाबले बीमाकृत किसानों की संख्या काफी कम हो सकती है। इसके अलावा राजस्थान सहित कुछ राज्यों ने बीमा के लिए आवेदन करने की आखिरी तारीख 15 जुलाई रखी थी जो अब खत्म हो चुकी है।

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