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किसान आंदोलन में बिहार के किसान क्यों नहीं हैं? खुद किसानों की जुबानी समझिए

-गांव कनेक्शन,

देश के कई राज्यों के किसान कृषि कानूनों के विरोध में इस समय दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे हैं। इस किसान आंदोलन में पंजाब और हरियाणा के किसान अग्रणी भूमिका में हैं तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान दूसरी ओर से मोर्चा थामे हुए हैं, लेकिन इस किसान आंदोलन में बिहार कहां है? जबकि कृषि कानून के विरोध में बिहार का जिक्र बार-बार हो रहा है।

कहीं-कहीं हुए प्रतिकात्मक विरोध प्रदर्शनों को छोड़ दें तो बिहार में विरोध प्रदर्शन न के बराबार हुए हैं, लेकिन क्यों? कृषि कानून के संदर्भ में बिहार का जिक्र क्यों हो रहा, यह जानना भी जरूरी है। दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसानों को इस इस बात की भी चिंता है कि कृषि कानून से आने वाले दिनों में सरकार एपीएमसी (कृषि उपज विपणन समिति) मंडियां खत्म हो जाएंगी, जबकि बिहार में यह लगभग 15 साल पहले ही खत्म किया जा चुका है।

वर्ष 2006 में जब बिहार सरकार ने एपीएमसी अधिनियम खत्म किया था, तब इसे कृषि क्षेत्र के लिए एक बड़ा सुधारवादी कदम बताया था, लेकिन राज्य में किसान उपज की सही कीमत जूझ रहे हैं। राज्य में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद न के बराबर है। देश की राजधानी में जुटे किसानों की सबसे बड़ी मांग एमएसपी को कानून बनाने की है।

बिहार में इस साल धान की कीमत यही कुछ 900 से 1,200 रुपए क्विंटल के आसपास है जबकि धान की एमएसपी केंद्र सरकार ने ग्रेड ए के लिए 1,888 रुपए प्रति क्विंटल और अन्य धान के लिए 1868 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है। बिहार में हर साल लगभग 80 लाख टन धान की पैदावार होती है, लेकिन मुश्किल से 20 प्रतिशत की ही सरकारी खरीद हो पाती है। यही कारण है कि किसान यहां से पंजाब की मंडियों में धान की तस्करी भी करते रहे हैं। पिछले दिनों गांव कनेक्शन ने इस पर विस्तृत रिपोर्ट भी की थी। धान के अलावा बिहार में बड़े पैमाने पर पैदा होने वाले मक्के का भी यही हाल है।

मतलब खुश तो बिहार के किसान भी नहीं हैं, फिर भी यहां के किसान आंदोलन क्यों नहीं कर रहें? या वे ऐसे आंदोलनों से दूर क्यों रहते हैं? यह समझने के लिए पहले हमने कुछ किसानों से बात की। बिहार की राजधानी पटना से लगभग 200 किमी दूर उत्तर प्रदेश के चंदौली वाराणसी से सटे जिला कैमूर के रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र के ब्लॉक रामगढ़ के गांव देवहलिया में रहने वाले युवा किसान अंगद सिंह जिनके पास लगभग दो एकड़ खेत है, से जब हमने पूछा कि देश में किसान सरकार के नए कृषि कानून बिल को लेकर विरोध कर रहे हैं, लेकिन आप लोग शांत क्यों हैं?

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