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देश में फुटबॉल का गढ़ रहे पश्चिम बंगाल में ही पहचान खो रहा यह खेल

-गांव कनेक्शन,

आसमान में टिमटिमाते तारों को देखना, उनके बारे में बातें करना और उनसे जुड़ी जानकारियां हासिल करना सबको अच्छा लगता है, लेकिन ज़मीं के छोटे-छोटे कस्बों, गाँव और शहरों के उन सितारों को हम नहीं जान पाते जिनकी अपनी चमक होती है। जो अपने हुनर के दम पर पूरी दुनिया में रोशनी फैलाने का हौसला रखते हैं। ऐसे सितारे जो अपनी रोशनी से देश को गौरान्वित कर सकते हैं। पर अफ़सोस कि ऐसे तारों को न हम देखना चाहते हैं और न जानना। इसके पीछे तर्क देते हैं कि कहते हैं ज़माना बदल रहा है, अब सिर्फ हुनर बोलता है। पर सच्चाई इससे कोसों दूर है।

अगर यह सच होता तो लाखों प्रतिभाएं यों ही दफ़न न होतीं। अवसाद में आकर जिंदगी खत्म न करतीं। विविधता प्रधान हमारे भारत में खेल भी विविधता से भरे हैं। खुशकिस्मती यह कि इनसे जुडे प्रतिभावान खिलाड़ियों की भी कमी नहीं है। फिर आखिर ऐसी क्या कमी है कि इनकी प्रतिभा, हुनर खुलकर सामने नहीं आ पाता। क्यों ये किसी गाँव, किसी शहर या किसी कस्बे के बंद दरवाज़े के अंदर ये बंद हो जाते हैं। देश में लोग क्रिकेट, क्रिकेटर्स और उनकी तथाकथित जीवनशैली के बार खूब जानते हैं और जानना भी चाहते हैं। इसी तरह टेनिस के बारे में भी जानते हैं। पर हॉकी, खो-खो, कबड्डी और फुटबॉल जैसे खेलों के बारे में नहीं जान पाते।

दरअसल, इन खेलों और खिलाडियों को क्रिकेट और उनके खिलाडियों के सामान न तो वरीयता मिलती है और न ही उनका कैरियर क्रिकेटरों की तरह शानदार होता है। हालाँकि पिछले कुछ सालों में पहल तो हुई है पर मंज़िल बहुत दूर है। ऐसा ही कुछ बंगाल का भी किस्सा है। एक समय था जब बंगाल में फुटबॉल का खेल उत्सव की तरह था। मोहल्लों से लेकर बड़े-बड़े शहरों के मैदानों पर गोलपोस्ट के बीच थिरकते कदमों पर सामूहिक नृत्य से माहौल बनता था। पर चाय बागानों के बंद होने के बाद से इस खेल की लोकप्रियता भी फीकी पड़ने लगी। दरसअल, चाय बागानों में खेले जाने वाले मैच जश्न की तरह होते थे। इसके बावजूद इस खेल और खिलाडियों को वह पहचान नहीं मिल पाई जिसके वे हक़दार थे। खेल दबता गया तो प्रतिभायें भी दबती गईं। गाँव कनेक्शन ने राज्य की शानो-शौकत माने जाने वाले इस खेल की स्थिति का विश्लेषण किया।

पश्चिम बंगाल के हासीमारा के चाय बागान क्षेत्र के निवासी फुलजेंस बारला अपने समय के मशहूर फुटबॉल खिलाडी थे। गाँव कनेक्शन से बातचीत में पुराने दिनों को याद ताजा करते हुए उनकी की आंखें चमक उठती हैं। समय के साथ तस्वीरें भले धुंधली हो गई हों लेकिन स्मृतियां आज भी ताजा हैं।

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