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जल संकट: पानी की कमी से जूझ रहे इस गाँव के लोग गर्मियों में नदी किनारे बना लेते हैं बसेरा

-गांव कनेक्शन, 

सुबह चार बजे ही गाँव के ज्यादातर लोग पानी के लिए नदी की ओर निकल जाते हैं और जब मई-जून में और ज्यादा गर्मी बढ़ जाती है तो नदी के किनारे ही लोग बसेरा बना लेते हैं। पानी की कमी की वजह से बहुत से लोग गाँव छोड़ कर जा चुके हैं। ये मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले का देवरी माल गाँव है। यहां के जहांगीर धुरवे (32 वर्ष) गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "चार बजे सुबह से ही हम लोग पानी के लिए नर्मदा की तरफ निकल जाते हैं। नहाने-धोने का तो छोड़िए यहाँ पीने तक के लिए पानी नहीं मिल पाता है इस कारण से इस गाँव के लगभग आधे लोग गाँव छोड़कर बाहर जा चुके हैं। अभी मई जून के महीने में जब ये धरती तपने लगती है तो गाँव के लोग मवेशी लेकर नर्मदा के किनारे ही अपना बसेरा बनाते हैं।"

देवरी माल गाँव के ही भूरा सिंह की उम्र साठ साल से ऊपर हो चुकी है। अपने कपड़े दिखाते हुए वो कहते हैं कि जब यहाँ पीने का ही पानी नहीं है तो अन्य कामों के लिए पानी तो रहने ही दीजिए। ये भी पढ़ें- चारों तरफ से पानी से घिरे देश में पीने के पानी लेने दिन में दो बार कई किलोमीटर पैदल जाती हैं महिलाएं पानी लाने के लिए सुबह चार बजे जाना पड़ता है अपने घर की चौखट पर बैठी बालमोहतिन चल नहीं सकती, बस लाचार होकर दरवाजे पर बैठकर आते-जाते लोगों को देखती रहती हैं। वो 11 साल पहले की उस घटना को याद करती हैं, जब वो कुएं में गिर गईं थीं, वो पानी भरने के लिए झुकीं और सीधे 25-30 फीट ने कुएं में गिर गईं। क्योंकि कुएं में पानी नहीं था तो वो सीधे पत्थर से टकराईं। उसके बाद जब उनकी आंख अस्पताल में खुली। बस उस दिन से वो कभी चल नहीं पायीं। जिस गाँव की में बालमोहतिन रहती हैं (35 वर्ष) उस गाँव में लोग पानी की बूंद-बूंद के लिए तरसते हैं। ये मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले का देवरी माल गाँव है।

बाल मोहतिन उस दिन को वो याद करती हैं और आंखों में आंसू लिए आज भी कोसती हैं वो गाँव कनेक्शन से बताती हैं, "पति ने इलाज के लिए बहुत कर्ज भी लिया था, लेकिन आखिर में डॉक्टर ने कहा कि अब मैं चल-फिर नहीं सकती। उस दिन के बाद से मैं कहीं नहीं गईं, उसके बाद मायके तक नहीं जा सकी, जब कोई कभी गाड़ी लेकर आ जाता है तो चली जाती हूं लेकिन गरीब लोग कहाँ से गाड़ी बुक करेंगे।" बालमोहतिन के आंसू सिर्फ उनकी नहीं बल्कि पूरे गाँव के लाचारी के आंसू हैं। नर्मदा नदी का गंदा पानी पीने को हैं मजबूर पानी की कमी के कारण इस गाँव के लोग नर्मदा नदी का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। नर्मदा नदी से पानी लाना ही इनके लिए सबसे मुश्किल है क्योंकि नर्मदा भी इनके गाँव से डेढ़-दो किलोमीटर दूर हैं।

यहां पर लोग सुबह चार बजे उठकर पानी पाने जाते हैं, सोमबाई (36 वर्ष) भी उन्हीं में से एक हैं। सोमबाई कहती हैं, "सुबह चार बजे उठ कर पानी लेने के लिए नर्मदा नदी जाते हैं, लेकिन वहां का रास्ता इतना पथरीला और खराब है कि रोज कोई ना कोई महिला गिरकर चोटिल होती है। चोट लगने के बाद लगभग बीस किलोमीटर दूर शहपुरा अस्पताल में आना पड़ता है। गाँव से यहाँ आने के लिए भी लगातार साधन नहीं मिलता है। अपने साधन से जाइए वरना सवारी गाड़ियां तो मुश्किल से ही मिलेंगी।"

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