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अगले साल से 3 रुपये की दर से 35 किलो अनाज

नई दिल्ली। संप्रग प्रमुख सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद [एनएसी] की बुधवार हुई बैठक में वर्ष 2011 से सर्वाधिक गरीब जिलों में प्रत्येक परिवार को तीन रुपये प्रति किलो की दर से हर महीने 35 किलोग्राम गेंहू, चावल देने की सिफारिश की गई। साथ ही प्रस्तावित सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक का नया मसौदा तैयार करने पर भी आमराय बनी।

बैठक में खाद्य सुरक्षा विधेयक को लागू करने के लिहाज से कार्यसमूह ने अपनी सिफारिशें रखीं।

एनएसी द्वारा जारी वक्तव्य के मुताबिक बैठक में पहले साल में देश के सर्वाधिक गरीब जिलों में से 25 प्रतिशत में प्रत्येक परिवार को प्रति महीने 35 किलोग्राम खाद्यान्न तीन रुपये प्रति किलोग्राम की दर से मुहैया कराने पर सहमति बनी।

सूत्रों के मुताबिक पहले साल में 150 से 200 जिलों में यह योजना चलाई जाएगी। इसके अलावा सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सार्वभौमिक करने के लिहाज से शेष जिलों, प्रखंडों में धीरे-धीरे सभी ग्रामीण क्षेत्रों तक इसे बढ़ाया जाएगा। सभी जिलों में अनुसूचित जाति, जनजाति समेत कमजोर वर्गों के लिए 35 किलोग्राम खाद्यान्न सुनिश्चित करने और अन्य वर्ग के लिए उचित मूल्य पर 25 किलोग्राम अनाज देने की बात तय हुई।

सू˜़ाों ने यह भी स्पष्ट किया कि खाद्य सुरक्षा में सार्वभौमिकता सुनिश्चित करने के लिहाज से इसमें गरीबी रेखा से नीचे [बीपीएल] या गरीबी रेखा से ऊपर [एपीएल] का कोई अंतर नहीं रखा जाएगा। हालांकि कुछ मानदंड जरूर तय किए जाएंगे।

जिलों का चयन इनमें रहने वाले निर्धन, वंचित और कमजोर लोगों के आधार पर किया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी ग्रामीण विकास मंत्रालय और योजना आयोग पर रहेगी।

समझा जाता है कि अनाज वितरण की योजना के लिहाज से देश में अंत्योदय की व्याख्या में परिवर्तन पर भी एनएसी के सदस्य विचार कर रहे हैं और इसमें कमजोर वर्ग के तौर पर बुजुगरें, महिलाओं, एचआईवी रोगियों आदि को शामिल किए जाने पर विचार हो सकता है।

खाद्य सुरक्षा से जुड़े कार्यसमूह में शामिल एनएसी की एक सदस्य ने कहा कि योजनाओं के क्रियान्वन और वित्तीय पहलुओं पर अभी आमराय बनना शेष है। इस पर 30 अगस्त को होने वाली अगली बैठक में चर्चा होगी।

इसके अलावा योजना आयोग द्वारा हाशिम समिति की सिफारिशों के आधार पर तय मानदंडों के आधार पर शहरों में भी परिवारों की पहचान होगी और उन्हें 35 किलोग्राम खाद्यान्न प्रति महीने तीन रुपए प्रति किलोग्राम की दर पर मुहैया कराया जाएगा।

बैठक में सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक पर भी चर्चा हुई, जो कि अभी राज्यसभा में लंबित है।

सदस्यों के बीच इस बात पर सहमति बनी कि वर्तमान विधेयक का मसौदा सारे उद्देश्यों की पूर्ति नहीं करता और इस मुद्दे पर विधेयक का नया मसौदा पेश करने की जरूरत महसूस की गई। इस मकसद से कार्यसमूह कानूनी विशेषज्ञों से भी सलाह लेगा।

सूत्रों के मुताबिक सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिहाज से एक राष्ट्रीय प्राधिकरण बनाने का भी विचार रखा गया।