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अनपढ़ रखने की साजिश!

जयपुर. भाजपा राज में गरीब बच्चों की पढ़ाई के प्रति आकर्षित करने के लिए नगर निगम द्वारा शुरू किए गए ‘हॉल इन द वॉल’ प्रोजेक्ट की सभी इकाइयों पर दलीय राजनीति के चलते ताले लग गए।

इस प्रोजेक्ट को संचालित करने वाले एनजीओ हाईवेल ने करार खत्म होने के बाद बोरिया-बिस्तर समेट लिया। नगर निगम के संबंधित अधिकारी-कर्मचारी जब प्रोजेक्ट का संचालन नहीं कर पाए तो सभी इकाइयां बंद कर दीं। अब लाखों रुपए के कंप्यूटर सरकारी स्कूलों में धूल खा रहे हैं। खास बात यह है कि वर्तमान महापौर समेत, जिम्मेदार अधिकारियों को तो जानकारी ही नहीं है कि नगर निगम की ओर से ऐसा कोई प्रोजेक्ट शुरू किया गया था, जबकि पूर्व महापौर पंकज जोशी कहते हैं कि कांग्रेस, भाजपा कार्यकाल में लगाए गए प्रोजेक्ट्स को समूल खत्म करने में जुटी है।

उसे कोई वास्ता नहीं कि उसके कदम से सरकारी पैसे का नुकसान और आम आदमी को मिलने वाली सहूलियतें खत्म होंगी। डीबी स्टार टीम ने शहर में दौरा करके शुरू किए गए प्ले लर्निग कंप्यूटर एजुकेशन की जानकारी की तो पता चला कि जो बच्चे पढ़ाई में अरुचि के कारण स्कूल जाने से परहेज कर रहे हैं, उन्हें इस प्रोजेक्ट के माध्यम से स्कूलों के प्रति लगाव पैदा करने के लिए हॉल इन द वॉल प्रोजेक्ट शुरू किया था। तत्कालीन महापौर अशोक परनामी ने 25 अप्रैल, 08 को जवाहरनगर स्थित पिंकसिटी स्कूल में उद्घाटन करके इस योजना की शुरुआत की थी। इसके बाद इसकी कई इकाइयां अलग-अलग इलाकों के सरकारी स्कूलों में स्थापित की गईं।

सत्ता बदलते ही आंखें मूंदीं: शहर की सत्ता बदलते ही अधिकारियों ने हॉल इन द वॉल प्रोजेक्ट से आंखें मूंद लीं। अब हालात ये हैं कि ज्यादातर स्कूलों से कम्प्यूटर्स गायब हो चुके हैं, जहां पर लगे हैं, वहां पर ताले नजर आ रहे हैं। डीबी स्टार की टीम नगर निगम के जवाहरनगर स्थित पिंकसिटी स्कूल में गई, अब यहां पर कोई कंप्यूटर नजर नहीं आ रहा है, उसके लिए लगाए गए तामझाम हटा लिए गए हैं। बिजली का कनेक्शन भी काट दिया है। निकट ही रहने वाले लोगों ने बताया कि सालभर होने को आया है, कम्प्यूटर खराब हो गए थे, सही करवाने के बजाय उतारकर पता नहीं कहां ले गए।

दूसरे पिंकसिटी स्कूल में तो घुसते ही दिखाई पड़ रहा था कि यहां पर ताले महीनों से नहीं खुले। वहां खेल रहे बच्चों ने बताया कि इसका तो बिजली कनेक्शन भी कट चुका है। टीम ने गिरधारीपुरा, संजय नगर, राउमावि सोडाला, मीणावाला सहित दो दर्जन से ज्यादा स्कूलों का दौरा किया तो सभी जगह एक जैसे हालात नजर आए। नगर निगम में बैठे ओहदेदारों से जब योजना के बारे में जानकारी ली, तो उनका जवाब ही सवाल था कि ऐसी कोई योजना भी बनी थी, हमें तो इल्म नहीं है।

इस बारे में पूर्व महापौर पंकज जोशी का कहना है कि कांग्रेस वैसे तो वर्ल्ड क्लास सिटी का राग अलापती है, जबकि हकीकत मेंशहर को तरक्की करने के बजाय पीछे की ओर धकेलना चाहती है। राजस्थान विकास परिषद के जिलाध्यक्ष मोहन सिंह नावरिया का कहना है कि अधिकारी नेताओं को खुश करने के लिए पुराने कार्यकाल की योजनाओं पर ध्यान नहीं देकर जनता का अहित कर रहे हैं।

यह थी योजना: इस प्रोजेक्ट में नगर निगम के साथ राजस्थान प्रारंभिक शिक्षा परिषद, माइकल एंड सुसान डेल फाउंडेशन, प्रथम राजस्थान व हाइवेल भी शामिल थे। खेल-खेल में कंप्यूटर सिखाने वाले इस प्रोजेक्ट को लागू करने के लिए तत्कालीन शिक्षा व नगरीय प्रमुख शासन सचिव ने रुचि दिखाई। शहर में २क्क् जगह ४क्क् कंप्यूटर लगाए जाने थे।

इसके लिए शिक्षा विभाग को स्कूलों के बाहर की जगह देनी थी, नगर निगम को निर्माण करना था और हाइवेल को कम्प्यूटर देने थे, एनजीओ को शिक्षक मुहैया कराने थे। निर्धारित अवधि में शिक्षा विभाग स्कूलों के नाम नहीं बता सका और सिर्फ सवा सौ जगहों पर ही ये प्रोजेक्ट शुरू हो सका। जैसे ही एग्रीमेंट का समय समाप्त हुआ, हाइवेल बचे हुए कम्प्यूटर(जो नहीं लग पाए) समेटकर चलती बनी। जानकारों का कहना है कि हाइवेल कुछ राशि की मांग नगर निगम से करती थी, जिसे नहीं मिलने पर कई जगहों पर ताला लगाकर चली गई है।

अब बचा क्या है? - एमपी मीणा, आयुक्त मुख्यालय, नगर निगम से सवाल

हॉल इन दा वॉल प्रोजेक्ट को चलाने की जिम्मेदारी किसकी है?
ये क्या है, मुझे तो जानकारी नहीं है। (जानकारी देने के बाद) मुझे तो आज तक किसी ने इस प्रोजेक्ट के बारे में नहीं बताया। पीए से संबंधित बाबू की जानकारी लेने के बाद उसे फाइल सहित बुलाया।

प्रोजेक्ट की अवधि समाप्त होने के बाद इसे चलाने की जिम्मेदारी किस पर है?
मुझे तो अभी कुछ दिनों पहले ही फाइल मिली है, तीन फाइलें हैं, ज्यादा जानकारी नहीं है।

अभी प्रोजेक्ट को चलाने की जिम्मेदारी किसकी है?
वो तो प्रोजेक्ट ही समाप्त हो गया है। अब क्या बचा है।

कुछ दिनों के लिए इतना खर्चा क्यों किया गया?
..एग्रीमेंट तो पढ़ा होगा, उसमें फिर देख लो। (मीणा ने बीच में टोकते हुए)

मुझे जानकारी नहीं है कि ये हॉल इन दा वॉल कंप्यूटर प्रोजेक्ट क्यों बंद कर दिया गया, इसकी जानकारी करवाती हूं। - ज्योति खंडेलवाल, महापौर

कांग्रेस विकास की नहीं दलगत राजनीति कर रही है, स्लम्स में हाइटेक एजुकेशन देने की जो भाजपा राज में शुरुआत हुई थी, उसे बंद कर जता दिया है कि उनकी नजर में डवलपमेंट के मायने कुछ नहीं हैं। एजुकेटेड होने के बाद कहीं उनका वोट बैंक खिसक नहीं जाए इसलिए उन्हें अनपढ़ ही रहने देना चाहती है। कांग्रेस तो सिर्फ बातें करके वोट हथियाना जानती है, जबकि धरातल पर काम तो भाजपा ही करती है। - मनीष पारीक, उपमहापौर