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अनाज वितरण खर्च में केंद्र दे सकता है राज्यों को राहत- आर एस राणा

बड़ी पहल
देश में 82 करोड़ लोगों को खाद्यान्न सुनिश्चित होगा
सभी राज्यों में पीडीएस का कंप्यूटरीकरण अनिवार्य
इससे असली लाभार्थियों को आवंटन किया जाएगा
छह राज्यों में कंप्यूटरीकरण का कार्य लगभग पूरा

खाद्य सचिवों की बैठक में वितरण खर्चों के बंटवारे पर विचार होगा

केंद्र सरकार खाद्य सुरक्षा कानून के तहत चलाई जाने वाली योजना में खाद्यान्न के वितरण से जुड़े परिवहन सहित तमाम खर्चों में राहत दे सकती है। खाद्य सुरक्षा कानून पर गठित पांच राज्यों के खाद्य सचिवों की बैठक 13 दिसंबर को दिल्ली में होनी है, जिसमें राज्य सरकारों को राहत देने पर फैसला लिया जा सकता है।

चार राज्य हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश खाद्य सुरक्षा कानून को लागू कर चुके हैं तथा पंजाब और कर्नाटक की राज्य सरकारों ने भी इसे लागू करने की तैयारी पूरी कर ली है।

खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि खाद्य सुरक्षा कानून में खाद्यान्न के भंडारण, हैंडलिंग, परिवहन लागत और राशन दुकानदारों के कमीशन आदि जैसे मुद्दों पर कुछ राज्यों को आपत्तियां है। इनका हल निकालने के लिए केंद्रीय खाद्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति की बैठक 13 दिसंबर को दिल्ली में होनी है। बैठक में अहम मुद्दा खाद्यान्न की हैंडलिंग और पविहन लागत का है।

प्रमुख उत्पादक राज्यों से खपत राज्यों को खाद्यान्न की परिवहन लागत के साथ ही हैंडलिंग का वहन केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर भी कर सकती है। केंद्र और राज्य सरकार का इसमें अनुपात कितना हो, इस पर विचार-विमर्श किया जायेगा। समिति में हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उड़ीसा और त्रिपुरा के खाद्य सचिवों को शामिल किया गया है।

उन्होंने बताया कि राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल और दिल्ली में खाद्य सुरक्षा बिल का कार्यान्वयन शुरू हो चुका है तथा पंजाब और कर्नाटक की राज्य सरकारों ने लागू करने की तैयारी पूरी कर ली है। अन्य राज्यों ने भी खाद्य सुरक्षा कानून को लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है।

खाद्य सुरक्षा अधिनियम ऐतिहासिक अधिनियम है जो देश के 82 करोड़ लोगों को खाद्यान्न सुनिश्चित करने के साथ ही लोगों को खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने का अधिकार प्रदान करता है। यह कम कीमत पर लोगों को खाद्यान्न की पर्याप्त मात्रा प्राप्त करने का अधिकार देता है। इसके तहत लाभार्थियों को 3 रुपये प्रति किलो चावल, 2 रुपये प्रति किलो गेहूं और 1 रुपये प्रति किलो की दर से मोटे अनाज (बाजरा, रागी) का आवंटन किया जायेगा।

उन्होंने बताया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को सभी राज्यों में कंप्यूटरीकृत करने की आवश्यकता है ताकि खाद्यान्न का आवंटन असली लाभार्थी को हो सके। देश के करीब छह राज्यों में पीडीएस के कंप्यूटरीकरण का कार्य लगभग पूरा हो चुका है तथा अन्य कई अन्य राज्यों में भी इस पर काम चल रहा है।