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अन्ना बोले, चरित्र साफ हो तो सरकार झुकाना कठिन नहीं

अन्‍ना हजारे ने भ्रष्‍टाचार के खिलाफ लड़ाई में जब से सरकार को झुकाया है, तब से देश में कई आवाजें उनके विरोध में उठी हैं। पर दुनिया में अभी भी वह हीरो बने हुए हैं। मलेशियाई अखबार 'द स्‍टार' ने 18 अप्रैल के अंक में उन्‍हें भारत में भ्रष्‍टाचार से लड़ने वाला नया हीरो करार दिया है। अखबार ने लिखा है कि उनके विरोध में जो कुछ आवाजें उठीं, जनता ने उन्‍हें अनसुना कर दिया। 

अन्‍ना को अपने आंदोलन में लोगों का जो समर्थन मिला है, उसका अंदाज खुद उन्‍हें भी नहीं था। 17 अप्रैल को दैनिक भास्‍कर में बतौर अतिथि संपादक आए अन्‍ना ने लिखे विशेष संपादकीय में यह बात मानी है। पूरा संपादकीय ये है: 

मुझे उम्मीद नहीं थी कि इतना व्यापक समर्थन मुझे मिलेगा। आम आदमी भ्रष्टाचार से आजिज आ चुका है। जीना मुश्किल है। अभी लड़ाई की शुरुआत हुई है। हमें दूर तक जाना है। यह सिस्टम या किसी राजनीतिक दल का हिस्स बन कर नहीं हो सकता है। आज बाहर रहकर लोगों का जो विश्वास जीता है वह पार्टी या संगठन बनाकर नहीं टिकेगा।

संगठन बनाने के बहुत खतरे हैं। संगठन पूरे देश के अलग अलग राज्यों में खड़ा होगा। संगठन में आने वाले लोग कौन हैं इसकी जांच कराना बहुत मुश्किल होगा। हम कैसे चेक करेंगे। अगर संगठन में ऐसे लोग आ गए जो भ्रष्टाचार या अनैतिक कामों में लिप्त हैं तो बहुत बदनामी होगी। इसलिए हमने तय किया है कि हम जगह जगह भरोसे का आदमी तलाशकर सामाजिक संगठनों के सहयोग से आगे बढ़ेंगे। मैंने जिंदगी में बहुत से आंदोलन किए हैं। मुझे पता है कि सिस्टम से कैसे लड़ा जाता है।

मैंने अपने चरित्र को इतना संभाला है कि यह हर तरह से संदेह से परे है। ऐसा न हो तो आप सरकार को झुका नहीं सकते। मैंने गांधी जी के साथ शिवाजी का जिक्र अपने आंदोलन में किया क्योंकि गांधी जी कठोर शब्द बोलने को भी हिंसा मानते थे। मैं समाज की भलाई के लिए सरकार के खिलाफ कठोर शब्द इस्तेमाल कर रहा था।

अब हमारे सामने सबसे पहला काम लोकपाल बिल का अच्छा ड्राफ्ट तैयार करना है। हमने सरकार से कहा है कि अगर आपके पास कुछ है तो हमें दीजिए। मैं 15 -20 राज्यों में जाकर लोगों से सुझाव मागूंगा। अगर किसी जज के भ्रष्टाचार में लिप्त होने की पुख्ता शिकायत मिलती है तो इसकी जांच करने और मुकदमा चलाने का अधिकार लोकपाल को होगा, लेकिन उसको हटाने का अधिकार नहीं होगा। उनकी जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से अनुमति लेने की भी जरूरत नहीं होगी। मंत्रियों को हटाने का अधिकार लोकपाल को नहीं होगा क्योंकि यह प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है। लेकिन मंत्रियों की जांच करने और उनपर मुकदमा चलाने की अनुमति लोकपाल जरूर दे सकेगा। हम आने वाले दिनों में राइट टू रिकाल की मुहिम को भी आगे बढ़ाएंगे। लोगों में भ्रष्टाचार के खिलाफ गुस्सा है। इसे अगर सही तरह के इस्तेमाल नहीं किया गया तो अराजकता फैल जाएगी। नीयत साफ हो तो किसी भी आंदोलन की सफलता में संदेह नहीं होगा। भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों की इस मुहिम के सफल होने का मुझे पूरा भरोसा है।