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अन्‍ना की मुहिम के खिलाफ अर्जी, हजारे ने सोनिया से मांगा जवाब

नई दिल्ली. लोकपाल बिल पर ड्राफ्टिंग कमिटी की पहली बैठक से पहले उठे सीडी विवाद पर अन्‍ना हजारे ने कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी को आज चिट्ठी लिखी है। उन्‍होंने आरोप लगाया है कि लोकपाल बिल की ड्राफ्टिंग की प्रक्रिया पर पानी फेरने की कोशिश हो रही है।

उधर, पिछले दिनों लोकपाल बिल को लेकर सरकार की ओर से जारी अधिसूचना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है। एमएल शर्मा नामक एक वकील की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि सिविल सोसायटी लोकपाल बिल पर जारी अधिसूचना का हिस्‍सा नहीं हो सकती और लोकपाल बिल का मसौदा देश की संसद को तैयार करना चाहिए। यह याचिका भ्रष्‍टाचार के खिलाफ अन्‍ना की मुहिम आगे बढ़ाने में बाधा भी बन सकती है।

सोनिया को लिखी चिट्ठी में अन्‍ना ने कहा कि देशभर में यह संदेश देने की कोशिश हो रही है कि हम सरकार के आगे झुक गए हैं। उन्‍होंने चिट्ठी में लिखा है, 'पिछले दो दिनों में जिस तरह से सिविल सोसायटी के लोगों के खिलाफ खुलकर दुष्प्रचार किया जा रहा है, वह चिंता का विषय है। ऐसा लगता है कि लोकपाल बिल ड्राफ्टिंग की प्रक्रिया को पटरी से उतारने के लिए देश के भ्रष्‍टाचारी एकजुट होने लगे हैं।' दिग्विजय सिंह का नाम लिए बिना अन्‍ना ने कहा, 'कांग्रेस के महासचिवों में से एक ने पिछले दिनों कई बयान दिए। क्‍या वह (सोनिया गांधी) अपनी पार्टी के महासचिव के बयान से सहमत हैं।'

गौरतलब है कि कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने हाल में एक निजी चैनल से इंटरव्‍यू में अन्ना हज़ारे पर परोक्ष हमला करते हुए कहा था कि उन्होंने लोकपाल बिल बनाने के लिए गठित समिति के सदस्यों का चयन सावधानी पूर्वक नहीं किया। दिग्विजय ने इस बात पर भी सवाल उठाया कि जंतर-मंतर पर आयोजित किए गए इतने बड़े आंदोलन के लिए अन्ना को कहां से इतनी बड़ी रकम मिली। दिग्विजय ने अन्ना से यह भी पूछा था कि क्या नेता असभ्य हैं कि उन्हें सिविल सोसायटी का सदस्य नहीं बनाया जा सकता। दिग्विजय ने कहा था, 'अगर सिविल सोसायटी के लोग जंतर-मंतर पर आयोजित चार दिन के धरने-प्रदर्शन पर 50 लाख रुपये खर्च कर सकते हैं, तो वह लोग नेताओं से यह मांग कैसे कर सकते हैं कि चुनावों में एक सीमा तक खर्च करें।'

माया के सूबे से शुरू होगा अन्‍ना का अभियान

लोकपाल बिल पर जनता का समर्थन हासिल करने के मकसद से अन्‍ना हजारे का भ्रष्‍टाचार के खिलाफ देशव्‍यापी अभियान इस महीने शुरू होगा। अन्‍ना इस अभियान की शुरुआत अप्रैल के आखिर में उत्‍तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से शुरू होगी। देश में जन लोकपाल बिल लाने की मांग को लेकर पिछले दिनों राजधानी दिल्‍ली में जंतर-मंतर पर आमरण अनशन पर बैठे अन्‍ना हजारे ने ऐलान किया था कि वह देशभर में घूम-घूम कर भ्रष्‍टाचार के खिलाफ मुहिम और इस बिल के प्रति लोगों को जागरुक करेंगे।

इससे पहले हजारे ने चुनौती दी कि यदि उनके ट्रस्‍ट में किसी तरह के भ्रष्‍टाचार की भनक सरकार को लगती है तो वो इसकी जांच कर सकती है। हजारे ने यह चुनौती ऐसे वक्‍त दी है जब केंद्र में सत्‍तारुढ़ गठबंधन का एक तबका महाराष्‍ट्र में उनके ट्रस्‍ट में कथित गड़बडियों की जानकारी जुटाने में लगा है ताकि मजबूत लोकपाल बिल को मूर्त रूप दिए जाने और भ्रष्‍टाचार के खिलाफ उनके अभियान को कमजोर किया जा सके।

अन्‍ना ने रविवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उन्‍होंने अपने ट्रस्‍ट 'हिंद स्‍वराज' में वित्‍तीय गड़बड़ी के आरोपों की जांच कराए जाने के लिए पहले ही महाराष्‍ट्र सरकार को लिखा था और इसके लिए उन्‍होंने अनशन भी किया था। लेकिन यूपीए के सूत्र इस पर चुप्‍पी साधे हुए हैं कि इस बारे में गठित जस्टिस पी बी सावंत जांच आयोग की रिपोर्ट पर सरकार आगे कदम उठाएगी या नहीं।

भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे की जंग को देश में ही राजनेताओं द्वारा कमजोर करने की भले कोशिश हो रही हो लेकिन इसे विदेशी मीडिया खूब तवज्‍जो दे रहा है। विदेशी मीडिया ने अन्ना को 'एंटी करप्शन हीरो' और '२१वीं सदी का गांधी' जैसे कई नाम दिए हैं।