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अफसर खा गए पशुओं का चारा

रायपुर.इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में चारा घोटाला सामने आया है। वहां मवेशियों के चारे के लिए मिले 20 लाख रुपए कहीं और खपा दिए गए।

राज्य शासन के कोष लेखा एवं पेंशन संचालनालय की जांच रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है। विभाग ने इसे वित्तीय अनियमितता माना है। इसमें चारा से ज्यादा राशि मजदूरों के नाम पर खर्च की गई है।

विभाग ने वेटरनरी हॉस्पिटल एवं कॉलेज अंजोरा के खर्च का परीक्षण किया। इसमें कॉलेज को पशु आहार और चारा मद से 20 लाख रुपए का आबंटन बजट में किया गया।

इसमें से 75 फीसदी राशि चारा खरीदी में खर्च की जानी थी, लेकिन अफसरों ने केवल 25 प्रतिशत राशि का चारा खरीदा, शेष राशि इसे खिलाने में लगने वाले मजदूरों के भुगतान में दिखा दिया है।

कॉलेज ने 6 लाख 60 हजार 829 रुपए का पशु आहार और चारा खरीदा। इसके अतिरिक्त 16 लाख सात हजार 198 रुपए अन्य मद में खर्च किए गए। यानी कुल 22 लाख 68 हजार 27 रुपए खर्च किए गए, जबकि बजट आबंटन केवल 20 लाख रुपए का था। इस प्रकार दो लाख 68 हजार 27 रुपए अधिक व्यय किया गया

मापदंड के अनुसार दें चारा

कोष लेखा संचालनालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कृषि विभाग के निर्धारित मापदंड के अनुसार मवेशियों को चारा दिया जाना चाहिए। कॉलेज में पशु आहार मद में प्राप्त आबंटन का केवल 25 प्रतिशत खर्च किया गया।

मजदूरी में 75 प्रतिशत व्यय किया गया है। इससे स्पष्ट है कि पशुओं के आहार में अपेक्षाकृत कम व्यय किया जा रहा है, जिससे पशुओं के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।

एक वाहन की मरम्मत में एक लाख खर्च

कृषि विवि ने अनुसंधान संचालक के कार क्रमांक सीजी-04 एमए 4930 के मरम्मत के लिए मेसर्स मंगलम सर्विसेज को एक लाख 1533 रुपए का भुगतान किया गया है। इस संबंध में कोष लेखा एवं पेंशन संचालनालय के अंकेक्षण दल ने परीक्षण के लिए अभिलेख और वाउचर मांगे, लेकिन अनुसंधान संचालक ने इसे उपलब्ध नहीं कराया।

इससे यह पता नहीं चल सका कि उपरोक्त राशि का भुगतान हुआ है या नहीं। संचालनालय ने इसे वित्तीय अनियमितता माना है। इस संबंध में अनुसंधान संचालक डा. एसके पाटिल का कहना है कि उन्होंने अंकेक्षण दल को सारे अभिलेख और वाउचर दिखाए हैं। कार का एक्सीडेंट होने के कारण उसमें ज्यादा खर्च आया। इसका बीमा क्लेम भी किया गया। बीमा से विवि को 70 हजार रुपए मिले।

160 मवेशी,50 मजदूर

विवि प्रबंधन के अनुसार अंजोरा वेटरनरी कॉलेज में कुल 160 मवेशी हैं। इनके रखरखाव के लिए 50 मजदूर रखे गए हैं। इसमें से 25 मजदूर दूध निकालने के लिए डेयरी में तैनात हैं। शेष मजदूर मवेशियों को चराने के लिए हैं।

इन्हें कलेक्टर रेट पर 86 रुपए के हिसाब से मजदूरी दी जाती है। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि यदि साल भर इन मजदूरों से काम लिया जाए तब भी उनकी मजदूरी 16 लाख रुपए नहीं पहुंचेगी।

"अंजोरा में मवेशियों को घास खिलाई जाती है। नेचुरल घास ज्यादा फायदेमंद होती है। फार्म में मवेशियों को चराने के लिए मजदूरों की जरूरत पड़ती है। इसी मद में राशि खर्च हुई। ये मेरे कार्यकाल का मामला नहीं है। मजदूरों को बंद नहीं किया जा सकता।"

केपीसी सिंह, डीन शासकीय वेटनरी कालेज दुर्ग