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अब जमीन के बदले मिलेगा मुआवजे का दोगुना फायदा

रामगोपाल सिंह राजपूत, भोपाल। शहर के विकास के लिए भूमि अधिग्रहण होने पर सरकार अब भू-स्वामियों को महज एक अधिकार देकर मुआवजे से दोगुना तक फायदा देने की तैयारी कर रही है। दरअसल अभी तक भूमि अधिग्रहण होने पर मुआवजा देने का प्रावधान था। इसके लिए कभी सालों भी लग जाते थे और भू- स्वामी मुआवजे के लिए भटकता रहता था। नई व्यवस्था के तहत यह सारी परेशानी तो दूर होंगी ही, साथ ही भू-स्वामी को मुआवजे से दोगुना तक फायदा लेने के लिए एक विशेष अधिकार दिया जाएगा। वह होगा फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर)।

इसका उपयोग भू-स्वामी अपनी किसी दूसरी जमीन पर या अन्य किसी भू-स्वामी की जमीन के विकास करने के रूप में कर सकेगा। मसलन वह बहुमंजिला बिल्डिंग तैयार कर सकता है या फिर रो-हाउस भी तैयार कर सकेगा। इसके लिए उसके पास निर्धारित एफएआर के तहत अधिकार प्राप्त होंगे। इस तरह भू-स्वामी को मुआवजे से कहीं ज्यादा आमदानी होगी। इस एफएआर को वह बेंच भी सकेगा। ।

दरआसल, सरकार अन्य राज्यों की तर्ज पर प्रदेश में टीडीआर (ट्रांसर्फर डेवलपमेंट राईट) व्यवस्था लागू करने जा रही है। इसके लिए टाउन एंड कंट्री प्लानिंग ने 1973 के अधिनियम में संशोधन की तैयारी कर ली है। भू-अर्जन की जटिल प्रक्रिया से बचने के लिए यह व्यवस्था लागू करने की तैयारी सरकार ने की है। भू-अर्जन की प्रक्रिया से सरकार और भूमि स्वामी दोनों को नुकसान होता था।

इसके चलते नई व्यवस्था लागू की जा रही है। इस प्रणाली को समझने के लिए सरकार ने कर्नाटक, राजस्थान और महाराष्ट्र में लागू टीडीआर सिस्टम को समझने के लिए अधिकारियों का दल भी भेजा था। संबंधित राज्यों में लागू सिस्टम के अध्ययन के बाद इसे प्रदेश में लागू किया जा रहा है। इसका जिम्मा टाउन एंड कंट्री प्लानिंग को दिया गया है। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के अधिनियम में संशोधन के बाद प्रदेश में टीडीआर व्यवस्था लागू हो जाएगी।

सरकार को यह फायदा

किसी भी शहर में विकास योजना लागू होने से भूमि की दरों में परिवर्तन हो जाता है। नगरीय भूमि की कीमतें बढ़ जाती हैं। ऐसे में सरकार को सार्वजनिक उपयोग जैसे सड़क मार्ग, खेल मैदान, पार्क और के लिए भूमि अर्जन करना मुश्किल होता है। भारी-भरकम मुआवजे के कारण योजना महंगी पड़ जाती है। वहीं भू-अर्जन की प्रक्रिया लंबी और जटिल होती, जिससे विकास होने में समय लगता है। टीडीआर प्रणाली लागू होने के बाद इन झंझटों से बचा जा सकेगा।

भूमि -मालिकों को फायदा

विकास योजना लागू हो जाने से जिन भूमि स्वामियों की भूमि आवासीय से व्यवसायिक हो जाती है, उन्हें फायदा होता है। वहीं जिनकी भूमि सार्वजनिक उपयोग जैसे मार्ग, पार्क या अन्य विकास के अंतर्गत आ जाती है, उन भूमि स्वामियों को नुकसान होता है। टीडीआर सिस्टम लागू होने से ऐसे किसानों को उतनी ही जमीन अन्य स्थान पर मिल जाएगी, जिससे उन्हें नुकसान नहीं होगा।

यह है भू-अर्जन की प्रक्रिया

भू-अर्जन की प्रक्रिया में कम से 1 साल और अधिकतम 5 साल तक का समय लग जाता है। इसके तहत सबसे पहले धारा-50-1 की कार्रवाई के तहत योजना और जमीन की जानकारी का प्रकाशान होता है। धारा 50-2 के तहत गजट प्रकाशन होता है। धारा 50-3 के योजना का प्रारूप तैयार होता है। धारा-50-4 और 50-7 के तहत जमीन मालिकों से आपत्तियां बुलाई जाती हैं और उनकी सुनवाई होती है। इसके बाद योजना कलेक्टर के पास जाती है और प्रकाशान होता है। धारा-50-11 के तहत मुआवजे की गणना होती और मुआवजा बांटा जाता है।

यह रहेगा टीडीआर

भूमि मालिक को ट्रांसर्फर डेवलपमेंट राईट (टीडीआर) प्रणाली के तहत फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) मिलेगा। इसकी कीमत मुआवजे की कीमत से डबल होगी। इसका उपयोग वह अपनी अन्य किसी जमीन या फिर अन्य भूमि स्वामी की जमीन पर कर सकेगा। इसे बेचा भी जा सकता है।

इनका कहना है

सरकार की मंशा के अनुरूप प्रदेश में टीडीआर सिस्टम लागू करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके लिए टीएंडसीपी के अधिनियम में संशोधन किया जाएगा।

गुलशन बामरा, डायरेक्टर, टीएंडसीपी