Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/अब-तकनीक-के-शिकंजे-में-मनरेगा-3101.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | अब तकनीक के शिकंजे में मनरेगा | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

अब तकनीक के शिकंजे में मनरेगा

देहरादून, जागरण ब्यूरो। भविष्य में महात्मा गांधी नेशनल ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट 'मनरेगा' की प्रगति तकनीकी संजाल में फंस सकती है। केंद्र सरकार भविष्य में उन्हीं राज्यों को अगली किश्तें जारी करेगी जिनका एमआईएस अपडेट होगा। यह तभी संभव है जब ग्राम पंचायत स्तर पर ऑनलाइन फीडिंग की व्यवस्था हो, जो कम से कम साल भर तक उत्तराखंड में संभव नहीं है।

केंद्र से 'मनरेगा' में पैसा नहीं मिलेगा तो जाहिर है कि मजदूरी भी नहीं मिलेगी। इसका सीधा असर मजदूर के पेट पर न पड़े इसलिए केंद्र सरकार एमआईएस और एमपीआर (मासिक प्रगति रिपोर्ट) के अंतर को फिलहाल नजर अंदाज कर रही है। दरअसल भारत सरकार ने यह गाइडलाइन बना दी है कि 'मनरेगा' के तहत खर्च होने वाली राशि और सृजित मानव दिवस के एमपीआर और एमआईएस डाटा में असमानता नहीं होनी चाहिए। एमपीआर के सापेक्ष खर्च और सृजित मानव दिवसों का अंतर तभी खत्म किया जा सकता है, जब ग्राम पंचायत स्तर पर ऑनलाइन फीडिंग की व्यवस्था हो। अभी राज्य में 'मनरेगा' के आंकड़े ब्लाक स्तर पर कंप्यूटर में तो फीड किये जा रहे हैं, लेकिन ऑनलाइन नहीं। ब्लाकों से ये कंप्यूट्रीकृत आंकड़े जिला मुख्यालयों पर सीडी या पेन ड्राइव में भेजे जाते हैं, जहां से इन्हें ऑनलाइन फीड किया जाता है।

हालांकि राज्य शासन ने जिला स्तर पर अफसरों की नकेल कसने की कवायद छेड़ी है, लेकिन फिर भी तकनीकी दिक्कतें रुकावट बन सकती हैं। ग्राम्य विकास सचिव डॉ. राकेश कुमार लगातार इसका अनुश्रवण कर रहे हैं। इसके कुछ जिलों से बेहतर नतीजे मिलने शुरू भी हुए हैं। उत्तराखंड में 'मनरेगा' के तहत 19 जनवरी तक खर्च राशि का ब्यौरा एमपीआर के सापेक्ष एमआईएस में 67.51 फीसदी ऑनलाइन फीड हुआ। वहीं, सृजित मानव दिवस एमपीआर के सापेक्ष एमआईएस में 57.95 फीसदी फीड किये जा चुके हैं।

उत्तराखंड में 19 जनवरी तक एमपीआर में 22529.22 लाख रुपये की राशि के सापेक्ष 15208.66 लाख रुपये के खर्च का ब्यौरा ऑनलाइन है। हरिद्वार इस मामले में सबसे फिसड्डी है। यहां खर्च राशि का 39.44 फीसदी ब्यौरा ही एमआईएस में है। सृजित मानव दिवस तो 23.12 फीसदी ही आनलाइन हैं। उधमसिंह नगर ने खर्च राशि का 90 फीसदी और मानव दिवसों का 81 फीसदी से अधिक ब्यौरा दर्ज किया है। खर्च राशि के ब्यौरे को 50 फीसदी से अधिक ऑनलाइन दर्ज करने में नैनीताल, चमोली, देहरादून जिले हैं। उत्तरकाशी, चंपावत, टिहरी, बागेश्वर, पौड़ी, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ अपने आंकड़े 60 से 88 फीसदी तक ऑनलाइन कर चुके हैं।