Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/अब-तो-पिंजरे-में-पलेंगी-मछलियां-6028.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | अब तो पिंजरे में पलेंगी मछलियां! | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

अब तो पिंजरे में पलेंगी मछलियां!

रायपर: अब 'पिंजरे में पलेंगी मछलियां'। जी हां, यह सुनने में थोड़ा सा अजीब लगता है पर यह सच है। मछली पालन की इस आधुनिक तकनीक को केज (पिंजरा) कल्चर कहा जाता है। कोरिया जिले के मुख्यालय बैकुण्ठपुर स्थित झुमका जलाशय में मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केज कल्चर की स्थापना की गयी है। केज कल्चर में पिंजरानुमा संरचना में मछली पालन का कार्य किया जाता है। इसमें पिंजरे के अंदर लगे जाल के कारण जहां मछली बीज को बड़ी मछलियां व अन्य परभक्षी नहीं खा पाते, वहीं मछलियों को पूरक आहार व अन्य दवाइयां आदि देने में आसानी होती है और उनकी मात्रा भी काफी कम लगती है।

मछली भोजन में प्रोटीन का बहुत अच्छा स्त्रोत मानी जाती है। इस कारण दिनांेदिन मछलियों की मांग भी काफी बढ़ती जा रही है। जिले के हाट बाजारों में बाहर से मछलियों को लाकर बेचा जाता है। जिससे यहां के मछली पालक किसानों को मुनाफा काफी कम होता है। बाहर से लाई जाने वाली मछलियां काफी पुरानी रहती है। जो सेहत के लिए भी नुकसानदायक होती है।

इसे देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा एकीकृत कार्ययोजना के तहत मछली पालन विभाग के माध्यम से 33 लाख 52 हजार रुपये की लागत से झुमका जलाशय में प्रदर्शन इकाई के रूप में एक केज स्थापित किया गया है। यहां 6 गुना 4 मीटर के आठ पिंजरे बनाए गए हैं। इन पिंजरों में 24 हजार मछली बीज का संचयन मत्स्य विभाग द्वारा किया गया है।

मछली पालन विभाग की देखरेख में झुमका जलाशय स्थित मछुआ सहकारी समिति के सदस्यों द्वारा इसका संचालन किया जाएगा। मछुआ समिति के माध्यम से मछलियों को पूरक आहार और दवाइयां आदि दी जाएगी। यहां दस माह में 240 क्विंटल मछली का उत्पादन हो सकेगा। बाजार में 8 हजार रुपये प्रति क्विंटल की दर से मछली बेची जाती है।

इस तरह कुल 19 लाख 20 हजार रुपये की आमदनी यहां के मछुआरों को इस अवधि में प्राप्त हो सकेगी। इसमें मछलियों के पूरक आहार आदि पर हुए व्यय करीब 9 लाख रुपये को कम कर दिया जाए तो दस लाख रुपये मछुआरों को शुद्ध मुनाफा होगा। यह मुनाफा जलाशय के अन्य हिस्सों से उत्पादित मछली से अतिरिक्त होगा। स्थानीय स्तर पर बड़ी मात्रा में ताजी मछलियों की उपलब्धता होने से उपभोक्ताओं को भी कम कीमत में अच्छी मछलियां मिल सकेगी।

झुमका जलाशय में स्थापित केज कल्चर में नील क्रांति मंथन कक्ष के नाम से एक कमरा बनाया गया है जिसमें क्षेत्र के मछुआरों व विभागीय कर्मचारियों को समय-समय पर मछली पालन की आधुनिक तकनीकों के बारे में प्रशिक्षण भी मुहैया कराया जा सकेगा। इसमें एक भंडार कक्ष भी बनाया गया है। जहां मछलियों के पूरक आहार, दवाएं व उत्पादित मछलियों को रखा जाएगा।